गांव और दूरदराज के लोगों को कैसे मिल सकता है सस्ता और अच्छा इलाज? एक्सपर्ट्स ने दिए सुझाव

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के महासचिव भरत लाल ने कहा, "स्वास्थ्य सेवा एक बुनियादी मानव अधिकार है और अच्छे स्वास्थ्य के बिना, मनुष्य की पूरी क्षमता का एहसास नहीं किया जा सकता है."

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नई दिल्ली:

"स्वास्थ्य सेवा तक सार्वभौमिक पहुंच: डिजिटल समाधान" (National Conference on “Universal Access to Healthcare: Digital Solutions”) विषय पर राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन दिल्ली में किया गया. इस सम्मेलन का आयोजन राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग (NHRC) और  "संकल्प फाउंडेशन"  (Sankala Foundation) ने नीति आयोग (NITI Aayog) और स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय (Ministry of Health and Family Welfare) के सहयोग से किया.

राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन क्यों हुआ?

इस कॉन्फ्रेंस का आयोजन विशेष रूप से ग्रामीण, दूरदराज और पहाड़ी क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के लिए किफायती और गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाओं तक सार्वभौमिक पहुंच के लिए आगे का रास्ता तलाशा के लिए किया गया.

स्वास्थ्य क्षेत्र में बड़े बदलाव हो रहे: वी के पॉल

कार्यक्रम में डॉ. वी के पॉल, सदस्य (स्वास्थ्य), नीति आयोग ने कहा कि भारत में स्वास्थ्य क्षेत्र में बड़े बदलाव हो रहे हैं. उन्होंने कहा, “एक मजबूत प्राथमिक स्वास्थ्य सेवा प्रणाली आने वाले समय में स्वास्थ्य सेवा के बोझ को कम करने के लिए एक उच्च प्राथमिकता है”, उन्होंने इस नेटवर्क को विशेष रूप से मजबूत करने के लिए उठाए जा रहे कदमों पर जोर दिया.

डॉ. पॉल ने डिजिटल स्वास्थ्य समाधानों के लिए 5 प्रमुख सिद्धांतों पर जोर दिया:

  1. डिजिटल तकनीकों का उपयोग और उन्हें सैचुरेशन के लिए नापना चाहिए.
  2. रोबोटिक्स, एआई आदि जैसी नई तकनीकों का निर्माण करना, लेकिन इस तरह से कि यह डिजिटल विभाजन को न बढ़ाए, और डिजिटल रूप से पढ़े-लिखे न होने वाले लोगों द्वारा आसानी से उपयोग किया जा सके.
  3. सुनिश्चित करें कि समाधान अधिकारों के दायरे में हों और लाभार्थियों को साइबर फ्रॉड से बचाने के लिए ध्यान देते हुए समावेशिता, मानवाधिकारों की सुरक्षा और आगे लोकतंत्रीकरण को बढ़ावा दें.
  4. डिजिटल समाधानों को जीवन को आसान बनाने के लिए एक पारिस्थितिकी तंत्र को बढ़ावा देना चाहिए या बनाना चाहिए और लोगों के लिए इसे और अधिक आसान बनाना चाहिए.
  5. डिजिटल समाधानों को जीवन की गुणवत्ता को बढ़ाना चाहिए, कल्याण को अपनाना चाहिए, पारंपरिक ज्ञान को शामिल करना चाहिए और हमारे स्वास्थ्य सेवा कार्यों में तेजी लानी चाहिए.

गांव-शहरी क्षेत्रों के बीच असमानता को कम करना लक्ष्य

केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव अपूर्व चंद्रा ने कहा कि राष्ट्रीय डिजिटल मिशन का एक लक्ष्य स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच बढ़ाना और ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के बीच असमानता को कम करना है. केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव ने CoWIN और आरोग्य सेतु ऐप (Aarogya Setu App) की सफलता पर प्रकाश डाला, जिससे देश भर में 220 करोड़ से अधिक टीकाकरण करने में मदद मिली. उन्होंने यह भी बताया कि टेलीमेडिसिन, टेलीमानस, ई-रक्तकोष आदि जैसे विभिन्न क्षेत्रों में पहले से ही कई पोर्टल संचालित हैं और उन्हें एक ही पोर्टल में जोड़ने का प्रयास किया जा रहा है.

यू-विन इस महीने के अंत में होगा लॉन्च

अपूर्व चंद्रा ने इस महीने के अंत में यू-विन पोर्टल (U-Win Portal)  के आगामी लॉन्च के बारे में भी बताया, जो 3 करोड़ से अधिक गर्भवती महिलाओं और माताओं और सालाना पैदा होने वाले लगभग 2.7 करोड़ बच्चों के टीकाकरण और दवाओं का स्थायी डिजिटल रिकॉर्ड रखेगा.

"अच्छे स्वास्थ्य के बिना, मनुष्य की पूरी क्षमता का एहसास संभव नहीं"

वहीं, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के महासचिव भरत लाल ने कहा, "स्वास्थ्य सेवा एक बुनियादी मानव अधिकार है और अच्छे स्वास्थ्य के बिना, मनुष्य की पूरी क्षमता का एहसास नहीं किया जा सकता है." उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि NHRC का दायरा आर्थिक से बढ़कर सामाजिक-सांस्कृतिक क्षेत्रों के दायरे में पहुंच गया है और चूंकि स्वास्थ्य क्षेत्र सभी को प्रभावित करता है, इसलिए यह वर्तमान में इस क्षेत्र में भी लगा हुआ है.

यह कहते हुए कि "डिजिटल तकनीक सार्वभौमिक स्वास्थ्य सेवा के लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में छलांग लगाने की जबरदस्त संभावना रखती है", उन्होंने ऐसे समाधानों के माध्यम से जीवन की गुणवत्ता में सुधार करने की दिशा में सभी हितधारकों के साथ जुड़ने के महत्व पर जोर दिया. उन्होंने यह भी कहा कि एनएचआरसी मानसिक स्वास्थ्य, कुष्ठ रोग आदि जैसे मुद्दों से जुड़ी विभिन्न स्वास्थ्य सेवा पहलों में शामिल है.

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