- जस्टिस सूर्यकांत ने वीर परिवार सहायता योजना की शुरुआत की है जो सैनिकों को कानूनी सहायता प्रदान करेगी.
- योजना सैनिकों को उनकी ड्यूटी के दौरान न्यायिक अधिकारों से वंचित न होने के उद्देश्य से पूरी तरह लागू की गई है.
- योजना का शुभारंभ 26 जुलाई को श्रीनगर में किया गया जो कारगिल विजय दिवस के अवसर पर हुआ था.
भारत के अगले मुख्य न्यायाधीश, जस्टिस सूर्यकांत ने सशस्त्र बलों और उनके परिवारों के लिए एक ऐतिहासिक कानूनी सहायता योजना - वीर परिवार सहायता योजना - की शुरुआत की है. NDTV के साथ एक खास बातचीत में उन्होंने इस पहल और इसके पूरे देश में लागू होने के पीछे के मकसद के बारे में भी बताया. उनकी मानें तो हाल ही में हुए 'ऑपरेशन सिंदूर' से उन्हें इसकी प्रेरणा मिली और उन्हें लगा कि सैनिकों और उनके परिवारों के लिए कानूनी मदद होनी चाहिए. उनका कहना था कि इस योजना से यह सुनिश्चित हो सकेगा कि अपनी ड्यूटी के कारण कोई भी सैनिक न्यायिक अधिकारों से वंचित न रहने पाए.
लॉन्च हुई वीर सहायता योजना
शनिवार यानी 26 जुलाई को पूरा देश कारगिल में मिली जीत की और इसके लिए कुर्बान हुए सैनिकों के कुर्बान को याद कर रहा. 'विजय दिवस' का यह मौका सेना और पैरा मिलिट्री जवानों के लिए भी बड़ा दिन साबित हुआ. इस मौके पर न्यायपालिका ने सैनिकों के लिए कानूनी सहायता योजना लागू की. जस्टिस सूर्यकांत जो इस समय नेशनल लीगल सर्विसेज अथॉरिटी यानी NALSA के एग्जिक्यूटिव चेयरमैन हैं. श्रीनगर में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान उन्होंने वीर परिवार सहायता योजना 2025 को लॉन्च किया.
देश को सेना पर नाज
जस्टिस सूर्यकांत ने कहा, 'बॉर्डर की रक्षा कर रहे जवान घर की चिंता ना करें. घर पर होने वाले कानूनी विवादों पर मिलेगी मदद.' आपरेशन सिंदूर में सेना ने बेहतरीन काम किया है और सभी देशवासियों को भारतीय सेना पर नाज है.' उन्होंने इसके बाद आगे कहा, 'आपरेशन सिंदूर को देखकर ही सैनिकों की कानूनी मदद की योजना बनाई.' उनका कहना था कि ये देश की रक्षा कर रहे सैनिकों के लिए न्यायपालिका का एक प्रयास है. जस्टिस सूर्यकांत इस साल 24 नवंबर को देश के CJI के तौर पर शपथ लेंगे.
बिना टेंशन कर सकेंगे ड्यूटी
इस योजना के लागू होने के बाद सैनिक बिना किसी घरेलू दबाव और खींचतान के देश की रक्षा कर सकेंगे. यह योजना न सिर्फ सैनिकों के लिए होगी बल्कि अर्धसैनिक बलों के लिए भी है जो दूर-दराज के स्थानों पर तैनात हैं. योजना उन तमाम सैनिकों के लिए एक बड़ा वरदान साबित होगी जो अपने घर, माता-पिता, जीवनसाथी और बच्चों को छोड़कर धूप से सराबोर समुद्र तटों से लेकर बर्फ से ढके ग्लेशियरों, सूखे रेगिस्तानों से लेकर समुद्र की गहराइयों तक, विशाल शहरों से लेकर बीहड़ जंगलों तक, सबसे विषम परिस्थितियों में देश की रक्षा के लिए तैनात रहते हैं.
क्या है नालसा
कानून द्वारा स्थापित नालसा 1995 से कार्य कर रहा है और इसका मुख्य उद्देश्य समाज के कमजोर वर्गों को मुफ्त और सक्षम कानूनी सेवाएं प्रदान करना और यह सुनिश्चित करना है कि आर्थिक या अन्य कमजोरियों के कारण किसी भी नागरिक को न्याय से वंचित न किया जाए. अब नालसा सैनिकों की भी देखभाल करेगा. इससे इसके कार्य में एक नया आयाम जुड़ गया है. नालसा कई स्तरों—राष्ट्रीय, राज्य, जिला और तालुका—पर गतिविधियों की देखरेख और समन्वय करता है, जिससे पूरे देश में एक समान और सुलभ कानूनी सहायता प्रणाली सुनिश्चित होती है.