सिगरेट, गुटखा, पान मसाला के बढ़ जाएंगे दाम? संसद में पेश होंगे दो बड़े बिल

इन विधेयकों का मकसद- पुराना सेस हटाकर नया टैक्स सिस्टम, जीएसटी 28% से 40% पर शिफ्ट करना. पान मसाला पर नया सेस मैन्युफैक्चरिंग प्रोसेस पर आधारित होगा.

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  • वित्त मंत्री संसद में 2 विधेयक पेश करेंगी. इससे तंबाकू पर GST 28% से 40% हो जाएगा लेकिन कुल टैक्स वही रहेगा.
  • उपभोक्ता की जेब पर कोई तत्काल असर नहीं पड़ेगा क्योंकि इन विधेयकों से अभी MRP नहीं बढ़ेगी.
  • नया सेस स्वास्थ्य योजनाओं और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खर्च होगा. पहले राज्यों को जाता था अब केंद्र होगा मजबूत.
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आज 1 दिसंबर 2025 से संसद का शीतकालीन सत्र शुरू हो रहा है. पहले ही दिन वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण दो बड़े विधेयक पेश करेंगी - एक 'केंद्रीय उत्पाद शुल्क संशोधन बिल 2025' और दूसरा 'स्वास्थ्य व राष्ट्रीय सुरक्षा सेस बिल 2025'. ये सिगरेट, गुटखा, पान मसाला जैसे तंबाकू सामान पर जीएसटी को 28% से बढ़ाकर 40% करने के लिए हैं.

इन विधेयकों में क्या है?

ये बिल पुराने सेस (उपकर) को हटाकर नया टैक्स लाएंगे. सिगरेट पर पहले 28% जीएसटी + बहुत ज्यादा सेस लगता था. अब 40% जीएसटी + कम सेस लगेगा, लेकिन कुल टैक्स वैसा ही रहेगा. मतलब, दुकान पर सिगरेट का पैकेट अभी जितना महंगा है, उतना ही रहेगा. गुटखा-पान मसाला पर भी मशीन और उत्पादन के आधार पर नया सेस लगेगा.

सरकार को फायदा: ज्यादा पैसा मिलेगा जो स्वास्थ्य योजनाओं पर लगेगा

सरकार का राजस्व इससे मजबूत होगा. तंबाकू से हर साल अरबों रुपये आते हैं, जो अब 'स्वास्थ्य सुरक्षा' और 'राष्ट्रीय सुरक्षा' के नाम पर सीधे कल्याण योजनाओं में जाएंगे. पहले सेस राज्यों को जाता था, अब केंद्र मजबूत होगा. कुल मिलाकर, बिना कीमत बढ़ाए केंद्र सरकार के खजाना को लाभ होगा.

आपकी जेब पर असर? अभी नहीं, लेकिन कंपनियों पर दबाव बढ़ेगा

हालांकि उपभोक्ताओं को तुरंत ज्यादा पैसे नहीं देने पड़ेंगे. 100 रुपये का सिगरेट पैकेट पहले 128 रुपये (28% टैक्स) था, अब भी वैसा ही रहेगा क्योंकि कुल टैक्स बैलेंस हो गया है. पर कंपनियों को नए नियम मानने में खर्च बढ़ेगा, जो बाद में थोड़ा अपने उत्पाद को महंगा कर सकती हैं. फिलहाल रोज गुटखा खाने, सिगरेट पीने वालों की जेब पर अभी असर नहीं पड़ेगा.

पहले टैक्स बढ़ा तो बिक्री घटी

पहले भी ऐसा हुआ. 2017 में जीएसटी के आने पर सिगरेट बिक्री 10-15% कम हो गई. NSSO सर्वे और ERC रिपोर्ट से मिले इलास्टिसिटी डेटा इसकी पुष्टि करते हैं. 2020 में सेस बढ़ने से गुटखा की वैध बिक्री 8% घटी. WHO के मुताबिक 2022 में ऐसी बढ़ोतरी से कुल तंबाकू इस्तेमाल 5-7% कम हुआ. ये ट्रेंड्स WHO की सिफारिशों (रिटेल प्राइस का 75% से अधिक टैक्स) और उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में स्टडीज से मेल खाते हैं. टैक्स बढ़ाने की पीछे उद्देश्य लोगों का इसे कम से कम सेवन करना है ताकि उनका स्वास्थ्य बेहतर हो.

ये बदलाव GST 2.0 का हिस्सा हैं, विधेयक पास होने के बाद इन्हें लागू किया जाएगा.

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