देश की नई संसद का उद्घाटन (New Parliament Building Innaugration) रविवार 28 मई को होना है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पूरे विधि-विधान के साथ पूजा-अर्चना के बाद नई संसद भवन का उद्घाटन करेंगे. इस मौके पर खास रस्म भी होगी, जिसे 'सेंगोल सेरेमनी' कहा जा रहा है. पीएम मोदी (PM Narendra Modi) राजदंड सेंगोल (Sengol Ceremony) को लोकसभा स्पीकर के चेयर के सामने स्थापित करेंगे. इस रस्म के लिए तमिलनाडु के विभिन्न अधिनामों (मठों) से लगभग 30 प्रमुखों को दिल्ली आमंत्रित किया गया है. मठों के प्रमुख शुक्रवार को दिल्ली पहुंचे. उन्होंने उत्तरा स्वामी मलाई मंदिर में पूजा-अर्चना की.
त्रिची, मदुरै और अन्य स्थानों के मठों के इन प्रमुखों ने थेवारम जैसे तमिल भजनों को भी बदल दिया, जिससे उद्घाटन की रस्में कैसी दिखेंगी, इसकी एक झलक मिलती है. आयोजन के लिए बुलाए गए कुल 60 धार्मिक प्रमुखों में ज्यादातर तमिलनाडु से हैं.
तमिलनाडु के अधीनम या मठों का उच्च जाति के वर्चस्व का विरोध करने का इतिहास रहा है. वे धर्म को जन-जन तक ले जाने के लिए जाने जाते हैं. इनमें से कई मठ सैकड़ों साल पुराने हैं.
उन्होंने कहा, "वे तमिल में कहते हैं कि सेंगोल को झुकना नहीं चाहिए. यह निष्पक्षता का प्रतीक है और हमें गर्व होना चाहिए कि ऐसे पारंपरिक प्रतीकों को उनका सही स्थान मिल रहा है."
इससे पहले कांग्रेस ने सेंगोल के इतिहास और भारत की स्वतंत्रता में इसके महत्व पर बीजेपी के दावों पर सवाल उठाए. कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने आरोप लगाया कि स्वतंत्रता सेनानी सी राजगोपालाचारी के आग्रह पर सेनगोल को सत्ता हस्तांतरण का प्रतीक बनाने का दावा झूठा है. आरजेडी और डीएमके ने भी इसी तरह के सवाल उठाए हैं.
हालांकि, तिरुवदुथुराई अधीनम ने कांग्रेस द्वारा किए गए दावों से निराशा जाहिर करते हुए स्पष्टीकरण जारी किया. वहीं, गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि कांग्रेस न केवल प्राचीन हिंदू प्रतीकों का, बल्कि पवित्र पुरुषों का भी अपमान कर रही है.
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