सुप्रीम कोर्ट ने विवादों से घिरी मेडिकल प्रवेश परीक्षा नीट-यूजी 2024 से संबंधित 30 से अधिक याचिकाओं पर सोमवार को सुनवाई की. इस दौरान कोर्ट ने कहा कि यदि मेडिकल प्रवेश परीक्षा नीट-यूजी 2024 की शुचिता ‘नष्ट' हो गई है और यदि इसके लीक प्रश्नपत्र को सोशल मीडिया के जरिए प्रसारित किया गया है तो दोबारा परीक्षा कराने का आदेश देना होगा. पीठ ने कहा कि यदि प्रश्नपत्र इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों से लीक हो रहा है, तो ये 'जंगल में आग की तरह फैलेगा. एक बात स्पष्ट है कि प्रश्नपत्र लीक हुआ है.
- पीठ ने एनटीए से पूछा, 'यह मान लें कि सरकार परीक्षा रद्द नहीं करेगी, तो वह प्रश्नपत्र लीक के लाभार्थियों की पहचान करने के लिए क्या करेगी?' कोर्ट ने कहा कि यदि लीक सोशल मीडिया के माध्यम से प्रसारित किया गया है, तो दोबारा परीक्षा का आदेश देना होगा. जो हुआ, हमें उसे नकारना नहीं चाहिए.
- शीर्ष अदालत ने कहा कि वो जानना चाहती है कि प्रश्नपत्र लीक से कितने लोगों को लाभ हुआ और केंद्र ने उनके खिलाफ क्या कार्रवाई की. पीठ ने सवाल किया, 'कितने गलत काम करने वालों के परिणाम रोके गए हैं और हम ऐसे लाभार्थियों का भौगोलिक वितरण जानना चाहते हैं.'
- चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने कहा, 'इसमें कोई संदेह नहीं है कि प्रश्नपत्र लीक हुआ है. हम लीक की सीमा का पता लगा रहे हैं. इसमें कुछ 'चेतावनी के संकेत' भी हैं, क्योंकि 67 उम्मीदवारों ने 720 में से 720 अंक हासिल किए हैं, जबकि पिछले सालों में ये अनुपात बहुत कम था.
- सुप्रीम कोर्ट ने नीट मामले की सुनवाई करते हुए केंद्र और राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (एनटीए) को पांच मई को हुई परीक्षा में गलत लाभार्थियों के खिलाफ कार्रवाई करने को कहा. कोर्ट ने ये भी कहा कि पेपर लीक के आरोपों से इनकार करना समस्या को और बढ़ाने वाला है.
- परीक्षा को पूरी तरह से दोबारा आयोजित करने के संबंध में विचार करने के लिए सीजेआई डी.वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने एनटीए को पेपर लीक की प्रकृति, लीक होने वाले स्थानों और लीक होने व परीक्षा आयोजित होने के बीच के समय के बारे में सर्वोच्च न्यायालय को पूरी जानकारी देने को कहा.
- पीठ ने सीबीआई (केंद्रीय जांच ब्यूरो) से जांच की स्थिति और जांच के दौरान एकत्रित सामग्री के संबंध में एक स्टेटस रिपोर्ट भी पेश करने के लिए कहा है.
- न्यायालय ने अपने आदेश में कहा, "जांच के दौरान एकत्रित सामग्री को जांच अधिकारी को तब पेश करना चाहिए, जब लीक होने का आरोप लगाया गया था और जब लीक हुआ प्रश्नपत्र उपलब्ध कराया गया था."
- इसके अलावा, सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि यदि संभव हो, तो धांधली के लाभार्थियों की पहचान करने के लिए टेक्नोलॉजी और कानून का उपयोग किया जाए, ताकि 23 लाख छात्रों को दोबारा परीक्षा देने की आवश्यकता न पड़े. मामले की अगली सुनवाई 11 जुलाई को होगी.
- वहीं पिछले सप्ताह सर्वोच्च अदालत के समक्ष पेश प्रारंभिक हलफनामे में, केंद्र ने नीट-यूजी परीक्षा को रद्द करने का विरोध करते हुए कहा था कि पूरी परीक्षा को रद्द करने से लाखों ईमानदार छात्रों को नुकसान होगा.
- केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय द्वारा पेश हलफनामे में कहा गया, "अखिल भारतीय परीक्षा में गोपनीयता के बड़े पैमाने पर उल्लंघन के किसी सबूत के अभाव में, पूरी परीक्षा और पहले से घोषित परिणामों को रद्द करना तर्कसंगत नहीं होगा.
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