सहकारी समितियों के जरिये 10 लाख करोड़ रुपये के कृषि ऋण वितरण का लक्ष्य रखें : अमित शाह

गृह और सहकारिता मंत्री अमित शाह ने इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए राज्य सहकारी बैंकों और जिला केंद्रीय सहकारी बैंकों के वरिष्ठ अधिकारियों से एक पंचवर्षीय योजना बनाने को कहा.

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अमित शाह ने देश की हरेक पंचायत में प्राथमिक कृषि ऋण सहकारी समितियों के गठन की जरूरत बताई है
नई दिल्‍ली:

केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने शुक्रवार को देश की हरेक पंचायत में प्राथमिक कृषि ऋण सहकारी समितियों (पैक्स) के गठन की जरूरत बताई. उन्होंने कहा कि सहकारी समितियों के जरिये सालाना 10 लाख करोड़ रुपये का कृषि-ऋण मुहैया कराना होगा. शाह ने यहां ग्रामीण सहकारी बैंकों के एक राष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि देश में फिलहाल 95,000 से अधिक पैक्स समितियां मौजूद हैं लेकिन उनमें से करीब 63,000 समितियां ही सक्रिय रूप से काम कर रही हैं. उन्होंने कहा कि देश भर में तीन लाख पंचायतें मौजूद हैं लेकिन पैक्स समितियों की संख्या सिर्फ 95,000 ही है. उन्होंने कहा, 'अभी भी करीब दो लाख से अधिक पंचायतें ऐसी हैं जिनमें पैक्स समिति नहीं हैं. इन पंचायतों में भी इन समितियों के गठन की जरूरत है.'

शाह ने इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए राज्य सहकारी बैंकों (एससीबी) और जिला केंद्रीय सहकारी बैंकों (डीसीसीबी) के वरिष्ठ अधिकारियों से एक पंचवर्षीय योजना बनाने को कहा. उन्‍होंने कहा, 'इस समय पैक्स सदस्यों की संख्या करीब 13 करोड़ है और उनमें से करीब पांच करोड़ लोग कर्ज लेते हैं. ये पैक्स समितियां करीब दो लाख करोड़ रुपये का कर्ज हर साल बांटती हैं.अगर पैक्स समितियों की संख्या तीन लाख तक पहुंच जाती है तो सहकारी समितियों के जरिये 10 लाख करोड़ रुपये तक का कृषि ऋण वितरित किया जा सकेगा.'

उन्होंने कहा, 'पैक्स समितियां कृषि क्षेत्र की कर्ज प्रणाली की आत्मा हैं. पैक्स समितियों के ठीक से काम नहीं करने पर हमारी कृषि प्रणाली भी सही ढंग से काम नहीं कर सकती है. पैक्स समितियों की पहुंच बढ़ाना भी उतना ही अहम है.' गृह और सहकारिता मंत्री ने कहा कि आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने पैक्स समितियों को अधिक प्रभावी और पारदर्शी बनाने के लिए इनके कंप्यूटरीकरण के प्रस्ताव को स्वीकृति दी है. पांच साल के भीतर मौजूदा पैक्स समितियों के कंप्यूटरीकरण के लिए कुल 2,516 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है.

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शाह ने पैक्स समितियों को अपने फलक का विस्तार करने और अधिक संख्या में किसानों को अपने साथ जोड़ने का सुझाव भी दिया. उन्होंने कहा, 'हमें पैक्स की किसानों तक पहुंच बढ़ाने पर ध्यान देना चाहिए. ये समितियां किसानों को कर्ज देते समय मानवीय दृष्टिकोण रखती हैं.'उन्होंने कहा कि सहकारिता मंत्रालय ने पैक्स समितियों के मानक नियमों का एक मसौदा जारी कर राज्य सरकारों एवं अन्य संबंधित पक्षों से सुझाव मांगे हैं. उन्होंने कहा कि सरकार इन सुझावों के आधार पर जल्द ही नियमों को अंतिम रूप देगी.मानक नियमों के मसौदे में पैक्स समितियों को पेट्रोलियम उत्पादों का वितरक बनने और राशन की सरकारी दुकानों के संचालन का काम सौंपने का भी प्रस्ताव रखा गया है. उन्होंने कहा कि इस मसौदे में 22 नए कार्यों से जुड़ने की मंजूरी देने की बात कही गई है.सहकारिता मंत्री ने कहा कि सरकार एक नई सहकारिता नीति लाने, एक विश्वविद्यालय के गठन और सहकारी समितियों का डेटाबेस तैयार करने की दिशा में भी काम कर रही है.

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शाह ने कहा कि देश में सहकारिता आंदोलन का इतिहास करीब 120 साल पुराना है लेकिन इसका विकास असमान रहा है. उन्होंने कहा कि कुछ राज्यों में तो सहकारिता आंदोलन फल-फूल रहा है जबकि कुछ राज्यों में यह संघर्ष कर रहा है.इस मौके पर शाह ने चुनिंदा एससीबीएस, डीसीसीबी और पैक्स समितियों को पुरस्कार भी प्रदान किए. इसके अलावा 100 साल की सेवा पूरी कर चुके कुछ सहकारी ऋण संस्थाओं को सम्मानित भी किया गया.इस कार्यक्रम में सहकारिता राज्य मंत्री बी एल वर्मा, सहकारिता सचिव ज्ञानेश कुमार, राज्य सहकारी बैंकों के राष्ट्रीय महासंघ (नैफ्सकॉब) को चेयरमैन कोंडुरु रविंदर राव, कृभको के चेयरमैन चंद्रपाल सिंह यादव और नैफेड के चेयरमैन बिजेंदर सिंह भी मौजूद थे.

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(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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