"उम्मीदें ज्यादा लेकिन चमत्कार करने यहां नहीं आया हूं" : SC बार एसोसिएशन के प्रोग्राम में CJI ने कहा

सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन की ओर से अपने स्वागत सम्मान में आयोजित समारोह में बोलते हुए CJI ने कहा कि इसके लिए आधुनिक तकनीक के साथ कदम मिलाना जरूरी है. लिस्टिंग से लेकर हियरिंग और फाइलिंग से लेकर फाइनल वर्डिक्ट तक तकनीक से बुनियाद मजबूत करनी होगी.

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सीजेआई चंद्रचूड़ ने हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में जजों के खाली पदों पर चिंता जताई.
नई दिल्ली:

देश के 50वें मुख्य न्यायाधीश (CJI of Supreme Court) डीवाई चंद्रचूड़ (CJI DY Chandrachud) ने कहा कि विकास सिर्फ निचली अदालतों का बुनियादी ढांचा मजबूत करने से नहीं होता, बल्कि वहां के जजों और न्यायिक अधिकारियों को अपनी सोच का ढांचा भी मजबूत करना होगा. ये सबसे ज्यादा जरूरी है कि निचली अदालतों को अधीनस्थ अदालत ना कहा जाए. सीजेआई ने कहा, "वह जानते हैं कि उनसे काफी उम्मीदें हैं लेकिन वह यहां चमत्कार करने नहीं आए हैं." सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन की ओर से अपने स्वागत सम्मान में आयोजित समारोह में बोलते हुए CJI ने कहा कि इसके लिए आधुनिक तकनीक के साथ कदम मिलाना जरूरी है. लिस्टिंग से लेकर हियरिंग और फाइलिंग से लेकर फाइनल वर्डिक्ट तक तकनीक से बुनियाद मजबूत करनी होगी. हम ऐसी कार्य प्रणाली विकसित करेंगे जिससे कौन चीफ जस्टिस है इससे कोई फर्क नहीं पड़ेगा. संस्थागत मैकेनिज्म विकसित करना ही सही उपाय है. 

सीजेआई जस्टिस चंद्रचूड़ ने अपने पूर्ववर्ती सीजेआई के किए सुधारात्मक कार्यों की सराहना करते हुए कहा कि वो उसे आगे भी जारी रखेंगे. बार से बेंच में काबिल वकीलों की नियुक्ति को लेकर भी जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि मैं बहुत खुशकिस्मत हूं कि मैं बहुत सारे वकीलों को सुप्रीम कोर्ट का जज बनाए जाने की प्रक्रिया का हिस्सा रहा हूं.

सीजेआई चंद्रचूड़ ने हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में जजों के खाली पदों पर चिंता जताते हुए इसे मुख्य समस्या बताते हुए आंकड़े दिए कि जिला अदालतों में जजों की तय संख्या के मुकाबले 25 फीसदी और राज्य स्तरीय न्यायपालिका में 30 फीसदी सीटें खाली हैं. वो जमाना गया जब जज सिर्फ यस मैन होते थे. लेकिन अब नई पीढ़ी के जजों की सोच अलग है. जजों की प्रशासनिक जिम्मेदारियों में कटौती होनी चाहिए, क्योंकि उनके लिए न्यायिक कार्य ज्यादा जरूरी है. क्योंकि मेरे सभी साथी जज अनुभवों से भरे है. मुझसे अधिक और विस्तृत व गहरे अनुभवों वाले हैं.

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सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (एससीबीए) द्वारा आयोजित मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ के अभिनंदन समारोह में एससीबीए प्रेसिडेंट सीनियर एडवोकेट विकास सिंह ने एक बार फिर यह मांग उठाई कि हाईकोर्ट के न्यायाधीशों की नियुक्ति करने के लिए प्रस्ताव भेजते समय सुप्रीम कोर्ट में प्रैक्टिस कर रहे वकीलों के नाम पर भी विचार किया जाना चाहिए. 

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इस पर सीजेआई चंद्रचूड़ ने एक दिलचस्प टिप्पणी करते हुए कहा, "मैं एक रहस्य खोल सकता हूं, जब एक युवा वकील हमारे सामने पेश होता है तो हाईकोर्ट से आए न्यायाधीशों के रूप में हमारे पास यह सोचने की प्रवृत्ति है, 'क्या यह व्यक्ति हाईकोर्ट के न्यायाधीश के रूप में नियुक्त होने के लिए पर्याप्त नहीं है? और मेरे दिमाग में वकीलों की एक सूची है. मेरा मानना ​​है कि मेरे सभी सहयोगियों की भी सूचियां हैं और मैं उन नामों का उल्लेख उन मुख्य न्यायाधीशों से करता रहा हूं जो मुझसे पहले आए हैं."

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उन्होंने उपस्थित सभी लोगों को अवगत कराया कि वह जमीनी हकीकत से अवगत हैं और जानते हैं कि कई वकीलों की पहुंच कंप्यूटर या इंटरनेट तक नहीं है. उन्होंने कहा कि उनका एक मिशन यह सुनिश्चित करना है कि टैक्नोलोजी बार के सभी सदस्यों तक पहुंचे और यह दूसरा रास्ता नहीं होना चाहिए. (भाषा से भी इनपुट)

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