केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी (Nitin Gadkari) भारत को इलेक्ट्रिक व्हीकल के मैन्युफैक्चरिंग हब के रूप में बढ़ावा देने की योजना पर लगातार काम कर रहे हैं. गडकरी का किफायती पब्लिक ट्रांसपोर्ट पर हमेशा से फोकस रहा है. पब्लिक ट्रांसपोर्ट को कम खर्चीला और आरामदायक बनाने के मकसद से नागपुर में जल्द एक पायलट प्रोजेक्ट भी शुरू होगा. गडकरी ने मंगलवार को कहा कि 3 इंटरकनेक्टेड यूनिट और 132 सीटों की क्षमता वाली ट्राम जैसी इलेक्ट्रिक बसों का नागपुर के रिंग रोड पर ट्रायल किया जाना है.
इंफ्रास्ट्रक्चर की रफ्तार को सेलिब्रेट करने के मकसद से आयोजित NDTV के इंफ्राशक्ति अवॉर्ड्स में केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने ये बातें कही. NDTV के एडिटर इन चीफ संजय पुगलिया के साथ चर्चा के दौरान नितिन गडकरी ने कहा, "ट्राम जैसी इलेक्ट्रिक बसें एक मिनट के भीतर वायरलेस तरीके से चार्ज हो सकती हैं. इनमें फ्लाइट की तरह एक साथ 132 लोग बैठ सकते हैं. ये बसें पूरी तरीके से एयर-कंडीशनिंग वाली होंगी. इसमें सफर करने वाले यात्रियों की सुविधा के लिए होस्टेस भी रहेंगे. जैसे फ्लाइट में होती हैं. सफर के दौरान आपको पैकेज्ड फूड, बोतलबंद पानी मिलेगा. इसके साथ ही ऐसी बसों में CCTV और लैपटॉप होल्डर जैसी सुविधाएं भी होंगी."
स्कोडा और टाटा के सहयोग से बनेगी इलेक्ट्रिक बसें
केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि जल्द ही ट्राम जैसी इलेक्ट्रिक बसें भारतीय सड़कों पर दौड़ेंगी. इन्हें स्कोडा और टाटा के सहयोग से विकसित किया जा रहा है. गडकरी ने बताया कि इन बसों की टिकट दरें डीजल बसों की तुलना में 30% तक कम होंगी. नागपुर नगर निगम (NMC) के साथ इस पर एक समझौते को जल्द ही अंतिम रूप दिया जाएगा. गडकरी का मानना है कि शहर इस परियोजना में किए गए निवेश की भरपाई 3 साल के भीतर कर सकेगा.
अब जितना सफर, उतना ही टोल
गडकरी ने इस दौरान टोल टैक्स को लेकर बड़ा ऐलान किया है. गडकरी ने कहा, "अब जितना सफर, उतना ही टोल देना होगा. 3 महीने में GPS और सैटेलाइट बेस्ड टोल सिस्टम का पहला फेज शुरू हो जाएगा. बाद में इसे पूरे देश मे लागू किया जाएगा."
प्रदूषण सबसे बड़ी समस्या
नितिन गडकरी ने बताया, "अभी सबसे बड़ी समस्या प्रदूषण की है. वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण और ध्वनि प्रदूषण. हमारा पहला कदम इन प्रदूषण को कम करना और इसे दूर करना होगा. दिल्ली की बात करें, तो प्रदूषण कम करने के लिए ज्यादा से ज्यादा इलेक्ट्रिक बसें चलाई जाएंगी. ये कॉस्ट इफेक्टिव भी रहेगा. हम इलेक्ट्रिक टैक्सी को भी प्रमोट कर रहे हैं."
इथेनॉल से कम होगा प्रदूषण और पैसे भी बचेगे
केंद्रीय मंत्री ने कहा, "भारतीय तेल कंपनियां 300 इथेनॉल पंप स्थापित कर रही हैं. ऑटोमोबाइल कंपनियां फ्लेक्स व्हीकल ला रही हैं. इसलिए 120 रुपये प्रति लीटर पर पेट्रोल भरने के बजाय अब 60 रुपये प्रति लीटर पर इथेनॉल का इस्तेमाल करना बेहतर है. व्हीकल 60% बिजली पर और 40% इथेनॉल पर चलते हैं. इससे प्रदूषण भी कम होगा."
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बता दें कि इथेनॉल को इलेक्ट्रिक व्हीकल को चलाने के लिए एक विकल्प के रूप में माना जा रहा है, जो ग्रिड से बिजली की जगह लेगा और लिथियम बैटरी को रिचार्ज करने के लिए प्लगइन सिस्टम की जरूरत को भी खत्म करेगा.
पब्लिक ट्रांसपोर्ट की लागत को कम करने पर भी कर रहे काम
गडकरी ने कहा कि सरकार पब्लिक ट्रांसपोर्ट की लागत को कम करने पर भी काम कर रही है. एक डीजल बस को चलाने की लागत 115 रुपये प्रति किलोमीटर है, जबकि एक एसी इलेक्ट्रिक बसें 41 रुपये में चलती हैं. नॉन-एसी बस 37 रुपये में सब्सिडी के साथ चलती हैं." उन्होंने कहा, "सब्सिडी के बिना इसकी लागत 50 से 60 रुपये के बीच होगी. इससे बस के टिकट की कीमतें 15-20% कम करने में मदद मिलेगी."
इथेनॉल, मेथनॉल और CNG का इस्तेमाल किफायती
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि JCB ने जो निर्माण उपकरण बनाए हैं, उसमें 50% इथेनॉल और 50% CNG का इस्तेमाल किया जाता है. ट्रैक्टर निर्माता भी ऐसी मशीनों पर काम कर रहे हैं, जो इथेनॉल, मेथनॉल और CNG पर चलती हैं. गडकरी ने जोर देकर कहा, "अगर हम पेट्रोल-डीजल के बजाय इथेनॉल, मेथनॉल और CNG पर फोकस करें, तो इससे न सिर्फ प्रदूषण कम करने में मदद मिलेगी, बल्कि किसानों की इनकम में भी इजाफा होगा."
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