लव जिहाद पर क्या बोलीं कैराना की सांसद इकरा हसन?

नए कानून पर सांसद इकरा हसन ने बताया कि बीजेपी सरकार सिर्फ धर्म की राजनीति करना जानती है. इसलिए सिविल मैटर में सरकार का हस्तक्षेप हो रहा है. देखा जाए तो ये लोकतत्र के लिए खतरा है.

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नई दिल्ली:

उत्तर प्रदेश विधानसभा के मानसून सत्र के दूसरे दिन मंगलवार को उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध (संशोधन) अधिनियम, 2024 पारित हो गया. संशोधित अधिनियम में छल कपट या जबर्दस्‍ती कराये गये धर्मांतरण के मामलों में कानून को पहले से सख्त बनाते हुए अधिकतम आजीवन कारावास या पांच लाख रुपये के जुर्माने की सजा का प्रावधान किया गया है. इस कानून पर एनडीटीवी ने कैराना की सांसद इकरा हसन से बातचीत की है. 

नए कानून पर सांसद इकरा हसन ने बताया कि बीजेपी सरकार सिर्फ धर्म की राजनीति करना जानती है. इसलिए सिविल मैटर में सरकार का हस्तक्षेप हो रहा है. देखा जाए तो ये लोकतत्र के लिए खतरा है. उन्होंने कहा, जब विषय पहले से ही समाज में है और हमारे क्षेत्र में भी कई ऐसी वारदात हुई हैं इसको लेकर पहले से ही इंफ्रास्ट्रक्चर और कानून मौजूद है.

सरकार दखल क्यों दे रही है? .

कैरानी की सांसद ने कहा, अगर दो एडल्ट अपनी मर्जी से अधिकारों का इस्तेमाल कर रहे हैं तो इसमें सरकारों का देखल देने का क्या मतलब है? अगर दो एडल्ट अपनी मर्जी से संविधान में दिया हुआ अधिकारों का इस्तेमाल कर रहे हैं .कोई कदम उठा रहे हैं तो इसमें सरकारों को दखल देने का क्या मतलब है. उन्होंने कहा कि अगर किसी केस में कुछ गड़बड़ है तो उसके लिए हमारे पास पहले से ही कानून है.

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कांवड़ यात्रा के दौरान नाम देखकर तख्ती लगाए गए

कैरानी की सांसद विशेष बातचीत में एनडीटीवी को बताया कि कांवड़ यात्रा के दौरान दुकान लगाने वालों का नाम देखकर तख्ती लगाया जा रहा है. 

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लव जिहाद पर राय

समाज में इस तरह की राजनीति को बढ़ावा देने के नाम पर उसे एक टाइटल देने का और उसे  जहर घोलने का इनका एक मकसद है. कानून में पहले से ही स्पेशल मैरिज एक्ट इसीलिए बनाई गई है. अगर इंटर कास्ट इंटर  फेथ मैरिज होते हैं उसके लिए यह बनाई गई है.भाजपा सरकार जो कह रही है यह उनकी भेदभाव की राजनीति है. उन्होंने कहा, ये सामाजिक विषय है. इसे धर्म की नजर से नहीं देखनी चाहिए. 

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देखिए संविधान में हमारे बहुत से अधिकार हैं जिससे हम अपने देश में सर उठाकर जी पाते हैं और संविधान के हिसाब से ही हमें चलना चाहिए.

देखिए अगर कोई अपना धर्म बदलना चाहता है तो यह उसके इनर बिलीव से आता है .संविधान का रोल भी इसमें बाद में आता है.जब तक मेरा मन नही करता.यह आप खुद तय कर सकते हैं कि आपको किसी से शादी करनी है किससे नहीं .अगर कोई धर्म परिवर्तन करके शादी करना चाहता है तो यह तो अलग विषय है और यह आप बाइक चॉइस चूज कर सकते हैं .की आपको शादी करनी है क्या आप अपनाना है बहुत तरह के फ्रीडम है जो संविधान में मौजूद है उसको खत्म करने की यह सरकार कोशिश कर रही है .यह बहुत गलत है .एक आदमी को यह अधिकार होना चाहिए कि अपना जीवन किस तरह गुजारना चाहता है क्या खाना चाहता है पहनने का ओढ़ने का अपने साथी को चुनने का अधिकार है और होना चाहिए.
 

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