NDTV इलेक्शन कार्निवल : इत्र के शहर कन्नौज में BJP या सपा किसकी महकेगी खुशबू? कैसा है वोटर्स का मूड

समाजवादी पार्टी 1998 से कन्नौज में जीतती आ रही है. लेकिन 2019 के चुनाव में बीजेपी ने सपा का विजयी रथ रोक दिया था. इस बार इस सीट से अखिलेश यादव मैदान में हैं. बीजेपी ने उनका मुकाबला करने के लिए मौजूदा सांसद सुब्रत पाठक पर दांव लगाया है. ऐसे में सवाल ये है कि क्या सपा इस बार बीजेपी से कन्नौज सीट छिन पाएगी?

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नई दिल्ली/कन्नौज:

लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections 2024) में पीएम नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने इस बार 400 पार सीटों का टारगेट दिया है. इसके लिए बीजेपी (BJP) पूरा जोर भी लगा रही है. यूपी में लोकसभा की 80 सीटें हैं. यहां पिछले चुनाव में बीजेपी ने 80 में से 62 सीटें जीती थीं. यूपी की कन्नौज और मैनपुरी सीट हमेशा से समाजवादी पार्टी का गढ़ रही हैं. मैनपुरी में तीसरे फेज में वोटिंग हो चुकी है. जबकि कन्नौज में 13 मई को चौथे फेज में वोट डाले जाएंगे. यूपी के पूर्व सीएम और सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव कन्नौज से मैदान में हैं. चुनावी माहौल को समझने और वोटरों का मूड भांपने के लिए NDTV Election Carnival शुक्रवार (10 मई) को कन्नौज पहुंचा.

कन्नौज को इत्र की राजधानी कहा जाता है. समाजवादी पार्टी 1998 से यहां से जीतती आ रही है. लेकिन 2019 के चुनाव में बीजेपी ने सपा का विजयी रथ रोक दिया था. इस बार इस सीट पर त्रिकोणीय मुकाबला है. सपा से अखिलेश यादव मैदान में हैं. बीजेपी ने उनका मुकाबला करने के लिए मौजूदा सांसद सुब्रत पाठक पर दांव लगाया है. जबकि बहुजन समाज पार्टी ने इमरान जफर को कैंडिडेट बनाया है.

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1998 में कन्नौज में शुरू हुआ था सपा का विजय रथ
1998 में पहली बार समाजवादी पार्टी के प्रदीप यादव ने ये सीट जीती थी और सपा का विजय रथ शुरू किया था. इसके बाद यादव परिवार ने 1999 से 2018 तक संसद में कन्नौज सीट से प्रतिनिधित्व किया. अखिलेश यादव ने 2000 साल में कन्नौज से चुनावी शुरुआत की. अखिलेश इस सीट से 2000 का उपचुनाव, 2004 और 2009 का आम चुनाव जीत चुके हैं. 2014 के चुनाव में अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव कन्नौज से चुनाव जीतकर संसद पहुंचीं. 2019 के चुनाव में उन्हें बीजेपी के सुब्रत पाठक ने हरा दिया. अब अखिलेश फिर से इस सीट को जीतने की कोशिश में जुटे हैं. अखिलेश के लिए उनकी बड़ी बेटी अदिति यादव भी प्रचार करने उतरी हैं. ऐसे में सवाल ये है कि क्या सपा इस बार बीजेपी से कन्नौज सीट छिन पाएगी? 

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क्या कहती है बीजेपी?
कन्नौज की जनता को अगले पांच साल बीजेपी को क्यों देने चाहिए? इसके जवाब में बीजेपी नेता देवेंद्र देव कहते हैं, "निश्चित रूप से उत्तर प्रदेश को अपराध मुक्त उत्तम प्रदेश बनाने के लिए फिर से सुब्रत पाठक को सांसद बनाना है. बीजेपी ने विकास के काम किए हैं. यूपी में अब तक 7 एक्सप्रेस वे बने हैं. अभी चारों तरफ विकास का राज है. पूरा उत्तर प्रदेश ही नहीं, बल्कि देश को विकसित बनाने के लिए बीजेपी को लाना है. क्योंकि नरेंद्र मोदी पीएम बनेंगे."

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क्या कहती है समाजवादी पार्टी?
क्या डिंपल यादव की हार का बदला लेने के लिए अखिलेश यादव कन्नौज के मैदान में उतरे हैं? कन्नौज की जनता उन्हें क्यों वोट करे? इसके जवाब में समाजवादी पार्टी के नेता अनिल पाल एक नार लगाते हैं- कन्नौज और कन्नौज में विकास के काम कराने वाले भईया. हमारे भईया, तुम्हारे भईया. मेडिकल कॉलेज, स्कूल बनाने वाले भईया... अखिलेश भईया अखिलेश भईया." अनिल पाल आगे कहते हैं, "मेरे नेता अखिलेश यादव को भारत के संविधान को बचाने की लड़ाई लड़नी है. इसलिए वो चुनाव में उतरे हैं. मेरे नेता को पहली आवाज कन्नौज ने दी है. कन्नौज ने मेरे नेता को बोलना सिखाया है. मेरे नेता को चलना सिखाया है. इसी कन्नौज ने मेरे नेता को लड़ना सिखाया है. कन्नौज ने मेरे नेता को सीएम बनाया है." 

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क्या कहती है बहुजन समाज पार्टी?
बहुजन समाज पार्टी के उम्मीदवार इमरान जफर कहते हैं, "ये कन्नौज के मतदाता हैं. बेशक ये किसी पार्टी के होंगे, लेकिन पहले वो मतदाता हैं. सपा ने जिस विकास की बात की है, वो शहरी विकास की तस्वीर है. आप मेरे साथ चलिए मैं ग्रामीणों के बीच विकास को लेकर जा रहा हूं."

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कैसा है जनता का मिजाज?
दर्शकों के बीच मौजूद एक मतदाता ने सपा से सवाल किया कि उनके नेता ने विकास की झूठी कहानी बताई. कन्नौज में विकास तो बीजेपी ने किया. दूसरी ओर एक और मतदाता ने कहा कि कन्नौज में सपा ने सालों से विकास के काम किए हैं. उनका वोट अखिलेश यादव को जाएगा, ताकि आगे भी विकास के काम हो. 

कन्नौज में क्या हैं चुनावी मुद्दे?
कन्नौज में मुख्य चुनावी मुद्दे खराब सड़कें और जलजमाव की है. शहर के अंदरूनी हिस्से की सड़क भी संकरी है. तंग गलियों से होकर गुजरना लोगों के लिए काफी मुश्किल भरा होता है. खुशबू के लिए पहचान रखने वाले शहर में कूड़ा निस्तारण के लिए पुख्ता इंतजाम नहीं हो सका है. नतीजा यह है कि शहर से रोजाना निकलने वाला करीब 40 टन कूड़ा निस्तारण के बजाए मुख्य सड़क के दाएं-बाएं फेक दिया जाता है. सड़क किनारे कूड़े के ढेर में आग लगाने से उठने वाला धुआं हर किसी का ध्यान खींच रहा है.

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कन्नौज सीट का सियासी समीकरण
जिले की तीन विधानसभा सीट में कन्नौज सदर सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है. यहां सबसे ज्यादा करीब 30 फीसदी वोटर इसी वर्ग से हैं. उसमें भी जाटव बिरादरी की संख्या सबसे ज्यादा है. इसके बाद मुस्लिम वोटर करीब 22 फीसदी हैं. इस सीट पर ब्राह्मण वोटर की संख्या भी 20 करीब 20 फीसदी है. कन्नौज में यादवों की संख्या 25 फीसदी है. क्षत्रिय, कुर्मी भी निर्णायक पोजिशन में हैं. सपा को अपने बेस वोट यादवों के साथ ही नॉन-यादवों के वोट मिलने का भरोसा है. दूसरी ओर, बीजेपी सभी जातियों के बीच अपनी पहुंच बनाने में जुटी है. जबकि बीएसपी ने दलित और मुस्लिम वोट को टारगेट किया है.

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