NDTV-CSDS सर्वे: हर तीसरा शख्स बोला- 4 साल में बेहतर हुई आर्थिक स्थिति, 22% मानते हैं खराब हुई माली हालत

दुनियाभर में छाए मंदी के बादलों के बीच हाल ही में विश्व मुद्रा कोष (IMF) की एशिया-प्रशांत विभाग की उप-निदेशक ऐनी-मैरी गुल्डे-वुल्फ ने कहा था, "भारतीय अर्थव्यवस्था का प्रदर्शन अच्छा है और वह सबसे तेज़ रफ़्तार से बढ़ती हुई एशियाई अर्थव्यवस्था बनी हुई है."

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हिन्दुस्तान की आबादी के बहुत बड़े हिस्से को लगता है कि उनकी माली हालत बेहतर हुई, या पहले जैसी बनी रही.

नई दिल्ली:

हालिया सालों में दुनियाभर के मुल्कों के माली हालात किसी से छिपे नहीं हैं, और सबसे ताकतवर और रईस मुल्क कहे जाने वाले अमेरिका में भी हालात काफी बिगड़ चुके हैं. दरअसल, पिछले तीन साल से भी ज़्यादा वक्त से समूची दुनिया कोरोना वायरस (Coronavirus) और उससे होने वाले रोग कोविड-19 के प्रकोप से जूझती रही है, जिसने हर मुल्क की अर्थव्यवस्था (Indian Economy) को बुरी तरह प्रभावित किया. कई देशों, यहां तक कि विकसित देशों की हालत भी अच्छी नहीं कही जा सकती, लेकिन इसके बावजूद हिन्दुस्तान की आबादी के बहुत बड़े हिस्से को लगता है कि उनकी माली हालत बेहतर हुई, या पहले जैसी बनी रही.

बेहतर है ओवरऑल आर्थिक स्थिति
NDTV द्वारा CSDS के साथ मिलकर किए गए सर्वे 'Public Opinion' में 35 फीसदी उत्तरदाताओं के अनुसार, उनकी आर्थिक स्थिति पिछले चार साल के दौरान बेहतर हुई है, और 42 फीसदी लोगों के मुताबिक, उनकी आर्थिक हालत जस की तस बनी हुई है, यानी उसमें कोई गिरावट नहीं आई है. NDTV-CSDS सर्वे में शामिल लोगों में से सिर्फ 22 फीसदी के मुताबिक, उनकी माली हालत में गिरावट आई है. इस आंकड़े को इस संदर्भ में देखा जाना चाहिए कि इसी अवधि में दुनिया के लगभग सभी देशों की माली हालत कमज़ोर होती चली गई है, लेकिन भारत की स्थिति काफी बेहतर रही है.

दुनियाभर में छाए मंदी के बादलों के बीच हाल ही में विश्व मुद्रा कोष (IMF) की एशिया-प्रशांत विभाग की उप-निदेशक ऐनी-मैरी गुल्डे-वुल्फ ने कहा था "भारतीय अर्थव्यवस्था का प्रदर्शन अच्छा है और वह सबसे तेज़ रफ़्तार से बढ़ती हुई एशियाई अर्थव्यवस्था बनी हुई है... इसके अलावा, भारतीय अर्थव्यवस्था दुनिया में सबसे ज़्यादा तेज़ी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में भी शामिल है..."

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कुछ ही समय पहले वर्ल्ड बैंक के सीनियर इकोनॉमिस्ट ध्रुव शर्मा ने भी NDTV से बातचीत में कहा था कि आर्थिक मोर्चे पर वैश्विक स्तर पर ढेरों चुनौतियों के बाद भी भारत दुनिया की सबसे तेज़ गति से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में बना रहेगा. ध्रुव शर्मा ने कहा था, "हमारा इस साल भी आकलन है कि इंडिया तेज़ी से विकास करेगा और उसका परफॉरमेंस अब भी टॉप-परफार्मिंग मुल्कों में बना रहेगा..."

आज, यानी बुधवार को ही भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने भी एक कार्यक्रम में घोषणा की कि "वित्तवर्ष 2022-23 के लिए अनुमान है कि GDP वृद्धि 7 फीसदी रहेगी, लेकिन यह भी संभावना है कि वृद्धि इससे भी अधिक हो सकती है... कतई आश्चर्य नहीं होगा, अगर पिछले साल की GDP विकास दर 7 फीसदी से भी थोड़ा ऊपर आ जाए..."

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गांव-शहर में भी आर्थिक हालात सुधरे
NDTV-CSDS सर्वे के नतीजों में सामने आया है कि ग्रामीण परिवेश में रहने वालों में से 33 फीसदी के मुताबिक उनकी आर्थिक हालत में सुधार हुआ, जबकि शहरों में रहने वालों में से 40 फीसदी को लगता है कि उनकी माली हालत में सुधार हुआ है. ग्रामीण परिवेश के 43 फीसदी और शहरी परिवेश के 40 फीसदी लोगों के अनुसार, उनकी माली हालत जस की तस बनी हुई है. ग्रामीणों में से 23 फीसदी और शहरों में रहने वालों में से 18 फीसदी के मुताबिक, उनकी आर्थिक स्थिति में गिरावट आई है.

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कैसे किया गया सर्वे?
NDTV और लोकनीति - सेंटर फ़ॉर द स्टडी ऑफ़ डेवलपिंग सोसाइटीज़ (CSDS) ने यह सर्वे भारत के 19 राज्यों के 71 संसदीय क्षेत्रों में किया, जिसके तहत कुल 7,000 से ज़्यादा लोगों से विभिन्न मुद्दों पर सवाल-जवाब किए गए. 10 से 19 मई, 2023 के बीच किए गए इस सर्वे में शिरकत करने वालों में समाज के सभी वर्गों के रैन्डमली चुने गए लोग शामिल रहे.

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