Exculsive: पिता के फैसले को बदलने के सवाल पर NDTV से क्‍या बोले CJI डी वाई चंद्रचूड़

D Y Chandrachud: चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) डी वाई चंद्रचूड़ का कहना है कि हम आने वाले 10 सालों में न्‍यायपालिका के आधुनिकीकरण के लिए काफी कुछ कर रहे हैं. न्‍यायपालिको को आधुनिक बनाना हमारा लक्ष्‍य है, लेकिन लोगों को न्‍याय देना हमारी प्राथमिकता है.

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न्‍यायपालिका के आधुनिकीकरण के लिए काफी कुछ कर रहे हैं- CJI

नई दिल्‍ली:

चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) डी वाई चंद्रचूड़ (D Y Chandrachud) ने एनडीटीवी को दिये खास इंटरव्‍यू में कई मुद्दों पर अपने विचार रखे. उन्होंने बात कहा कि आने वाले सालों में न्‍यायपालिका में भी आधुनिकता देखने को मिलेगी, इस पर काम भी हो रहा है. हालांकि, उन्‍होंने जोर देकर कहा कि आम नागरिकों की सुविधा के लिए न्यायपालिका को आधुनिक बनाना है. 

डीवाई चंद्रचूड़ से जब पूछा गया कि अपने इकोनॉमिक्‍स में पढ़ाई की और फिर सीजेआई के पद तक पहुंचने पर कैसा लगता है? इस पर CJI ने कहा, "यह जस्टिस ईएस वेंकटरमैया (भारत के 19वें मुख्य न्यायाधीश) को मेरा यूनीक ट्रिब्‍यूट है. वह सुप्रीम कोर्ट के स्‍कॉलर जज रहे थे. आज ईएस वेंकटरमैया की स्मृति में इस व्याख्यान में लेक्‍चर देकर मैं खुद को सम्‍मानित महसूस कर रहा हूं." 

बता दें कि मुख्य न्यायाधीश, भारत के 19वें मुख्य न्यायाधीश ईएस वेंकटरमैया की स्मृति में नेशनल लॉ स्कूल ऑफ इंडिया यूनिवर्सिटी, बेंगलुरु में एक व्याख्यान में शामिल हुए थे. जस्टिस वेंकटरमैया की बेटी, जस्टिस बीवी नागरत्ना, सुप्रीम कोर्ट की जज हैं और भारत की पहली महिला मुख्य न्यायाधीश बनने की कतार में हैं.

चीजें लगातार बदल रही हैं. न्‍यायपालिका में भी बदलाव देखने को मिल रहे हैं. अब घटनाओं की लाइव स्‍ट्रीमिंग होगी है. ऐसे में सीजेआई न्‍यायपालिका में आने वाले समय में क्‍या-क्‍या बदलाव देखते हैं? सीजेआई ने कहा, "हम आने वाले 10 सालों में न्‍यायपालिका के आधुनिकीकरण के लिए काफी कुछ कर रहे हैं. न्‍यायपालिको को आधुनिक बनाना हमारा लक्ष्‍य है, लेकिन लोगों को न्‍याय देना हमारी प्राथमिकता है. हमें आम नागरिकों की सुविधा के लिए न्यायपालिका को आधुनिक बनाना है. न्‍यायपालिका में आधुनिक तकनीक का समावेश किया जाएगा."

सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने जब अपने पिता के एक निर्णय को बदला, तो यह उनके लिए बेहद मुश्किल रहा होगा. उन्‍होंने कहा, "देखिए, जजमेंट, जजमेंट होता है... कोई फैसला देने से पहले आपको जज के रूप में अपने दिमाग की सुननी होती है. हालांकि, किसी निर्णय को देने से पहले आप सर्तक तो रहते ही है कि किसने इस मामले पर पहले अपना फैसला दिया था. ये मेरे पिता का फैसला था. ऐसे में हमारी जज के रूप में जो हमारी ट्रेनिंग होती है, वो मददगार साबित होती है." 

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