"देश का मामला, विपक्ष का नहीं" : अध्यादेश के खिलाफ विपक्ष को एकजुट कर रहे CM केजरीवाल, शरद पवार से मिले

केंद्र के अध्यादेश मामले में अरविंद केजरीवाल से मीटिंग के बाद शरद पवार ने कहा, "हमें सभी गैर-बीजेपी पार्टियों को एक साथ लाने पर ध्यान देना चाहिए. यह सुनिश्चित करना हमारा कर्तव्य है कि सभी गैर-बीजेपी दल अरविंद केजरीवाल का समर्थन करें."

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मुंबई:

दिल्ली सरकार में अफसरों के ट्रांसफर-पोस्टिंग के अधिकारों (Delhi Transfer Posting Case) पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद केंद्र सरकार अध्यादेश लेकर आई है. मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल इस अध्यादेश के विरोध में विपक्षी दलों का समर्थन जुटाने के लिए विपक्षी नेताओं से मिल रहे हैं. अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) ने गुरुवार को मुंबई में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) अध्यक्ष शरद पवार (Sharad Pawar) से मुलाकात की. अरविंद केजरीवाल ने कहा, "ये देश के लिए बहुत खतरनाक स्थिति है. ये पक्ष विपक्ष की बात नही, बल्कि देश की बात है."

अरविंद केजरीवाल ने मीडिया से कहा, "जो लड़ाई 8 साल में हमने जीती उसे केंद्र सरकार ने 8 दिन में अध्यादेश लाकर निरस्त कर दिया. एनसीपी ने कहा है कि राज्यसभा में इस अध्यादेश को पास ना होने देने के लिए हमारा सहयोग करेंगे.अभी देश को चाहने वाले लोगों को मैं इकट्ठा कर रहा हूं. शरद पवार देश के सबसे बड़े नेताओं में से एक है. मेरी पवार साहब से विनती है कि खुद तो समर्थन कर रहे हैं, देश की दूसरी पार्टियों से भी समर्थन जुटाने में हमारा सहयोग करें."

मुंबई में अरविंद केजरीवाल के साथ पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान, आम आदमी पार्टी से सांसद संजय सिंह, राघव चड्‌डा, दिल्ली सरकार की मंत्री आतिशी भी मौजूद रहे.

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शरद पवार ने क्या कहा?
वहीं, शरद पवार ने कहा, "ये बहुत महत्वपूर्ण प्रेस कॉन्फ्रेंस है. क्योंकि देश में जो समस्या पैदा हुई, इसके पहले उस पर चर्चा हुई. देश में लोकतंत्र के सिस्टम पर हमला हो रहा है. ये समय सिर्फ बहस करने का नहीं है. ये समय प्रजातंत्र को बचाने का है. मेरी पार्टी की तरफ से हमने अरविंद केजरीवाल का समर्थन करने का फैसला किया है. राजनीति में मुझे 56 साल हो गए. ये सवाल दिल्ली का नहीं, बल्कि पूरे देश का है. अन्य राज्यों में जहां भी जरूरत होगी, वहां हम जायेंगे. हम उनका साथ देंगे."

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मुलाकात के बाद शरद पवार ने कहा, "देश में संकट है और यह दिल्ली तक सीमित मुद्दा नहीं है. एनसीपी और महाराष्ट्र की जनता केजरीवाल का समर्थन करेगी. हम केजरीवाल का समर्थन करने के लिए अन्य नेताओं से भी बात करेंगे. हमें सभी गैर-बीजेपी पार्टियों को एक साथ लाने पर ध्यान देना चाहिए. यह सुनिश्चित करना हमारा कर्तव्य है कि सभी गैर-बीजेपी दल अरविंद केजरीवाल का समर्थन करें."

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ममता-नीतीश से मिल चुके हैं केजरीवाल
अध्यादेश के खिलाफ समर्थन जुटाने के लिए केजरीवाल उद्धव ठाकरे, ममता बनर्जी और नीतीश कुमार से भी मिल चुके हैं. सभी नेताओं ने संसद में केजरीवाल का समर्थन करने की बात कही है. उधर, केजरीवाल के समर्थन को लेकर कांग्रेस दो धड़ों में बंटी नजर आई. पार्टी महासचिव केसी वेणुगोपाल अध्यादेश के खिलाफ AAP को समर्थन देने की बात कही. वहीं, दिल्ली में पार्टी के नेता अजय माकन ने समर्थन से इनकार किया. अब इस मुद्दे पर AAP और कांग्रेस के नेताओं में बीच जुबानी जंग शुरू हो गई है.

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ट्रांसफर-पोस्टिंग पर क्या था सुप्रीम कोर्ट का फैसला
सुप्रीम कोर्ट ने 11 मई को फैसला दिया कि दिल्ली में सरकारी अफसरों पर चुनी हुई सरकार का ही कंट्रोल रहेगा. 5 जजों की संविधान पीठ ने एक राय से कहा- 'पब्लिक ऑर्डर, पुलिस और जमीन को छोड़कर उप-राज्यपाल बाकी सभी मामलों में दिल्ली सरकार की सलाह और सहयोग से ही काम करेंगे.'

केंद्र ने जारी किया अध्यादेश
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के 7 दिन बाद केंद्र सरकार ने 19 मई को दिल्ली सरकार के अधिकारों पर अध्यादेश जारी कर दिया. अध्यादेश के मुताबिक, दिल्ली में अधिकारियों के ट्रांसफर-पोस्टिंग का आखिरी फैसला उपराज्यपाल यानी LG का होगा. इसमें मुख्यमंत्री का कोई अधिकार नहीं होगा. ​​​​​​संसद में अब 6 महीने के अंदर इससे जुड़ा कानून भी बनाया जाएगा.

केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका लगाई
दिल्ली में ट्रांसफर-पोस्टिंग को लेकर केंद्र सरकार 19 मई को अध्यादेश लाने के ठीक एक दिन बाद सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई. केंद्र ने संवैधानिक बेंच द्वारा दिए गए 11 मई के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट को फिर से विचार करने की अपील की है.

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