गुजरात दंगे : नरोदा गांव नरसंहार मामले में माया कोडनानी समेत सभी आरोपी बरी

गोधरा में ट्रेन आगजनी की घटना में अयोध्या से लौट रहे 58 यात्रियों की मौत के एक दिन बाद 28 फरवरी 2002 को अहमदाबाद शहर के नरोदा गाम इलाके में दंगों के दौरान कम से कम 11 लोग मारे गए थे.

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  • माया कोडनानी, बाबू बजरंगी, जयदीप पटेल समेत सभी आरोपी बरी
  • 2002 में गोधरा दंगो के बाद राज्यभर में फैले थे दंगे
  • नरोदा गांव में 11 लोगो को जिंदा जलाया गया था
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नई दिल्ली:

साल 2002 में गुजरात दंगे के दौरान नरोदा गाव में हुए नरसंहार मामले में अदालत ने सभी आरोपियों को बरी कर दिया है. अहमदाबाद की विशेष अदालत में इस मामले पर सुनवाई चल रही थी. गौरतलब है कि इस मामले में बाबू बजरंगी और माया कोडनानी भी आरोपी थे. माया कोडनानी गुजरात सरकार में मंत्री रह चुकी हैं. बताते चलें कि इस घटना में 11 लोगों की मौत हो गई थी साथ ही कई अन्य घायल हो गए थे. गृह मंत्री अमित शाह 2017 में सुश्री कोडनानी के बचाव पक्ष के गवाह के रूप में पेश हुए थे. बरी किए गए लोगों के वकील ने आज अदालत के बाहर संवाददाताओं से कहा कि सभी आरोपियों को बरी कर दिया गया है. हम फैसले की प्रति का इंतजार कर रहे हैं. 

बताते चलें कि माया कोडनानी को नरोदा पाटिया दंगों के मामले में भी दोषी ठहराया गया था जिसमें 97 लोगों की हत्या कर दी गई थी और उन्हें 28 साल की सजा सुनाई गई थी. बाद में उन्हें गुजरात उच्च न्यायालय से राहत मिल गई थी.

2008 में SIT को सौंपी गई थी केस

28 फरवरी को अहमदाबाद के नरोडा गांव में हुई घटना के 6 साल बाद सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद जांच एसआईटी को सौंपी गई थी. इस मामले की सुनवाई 2009 से शुरु हुई थी. मामले में 187 लोगों से पूछताछ हुई थी. जबकि  57 चश्मदीद के बयान भी दर्ज किए गए थे इस मामले में 13 साल से सुनवाई चल रही थी.

कौन हैं माया कोडनानी?

माया कोडनानी का पूरा नाम माया सुरेंद्रकुमार कोडनानी है. वह पेशे से गाइनोकोलोजिस्ट हैं. उन्होंने बरोदा मेडिकल कॉलेज में लंबे समय तक अपनी सेवाएं भी दीं. राजनीति में प्रवेश के साथ ही उन्होंने पहली बार 1995 में निकाय चुनाव में लड़ा. इसके बाद  वह गुजरात के 12वें विधानसभा चुनाव में नरोडा सीट से विधायक के तौर पर चुनी गईं. बाद में वह गुजरात सरकार में वुमेन एंड चाइल्ड डेवलेप्मेंट मंत्री भी रहीं. वर्ष 2002 में गुजरात दंगों में इनकी भूमिका के लिए निचली अदालत ने वर्ष 2012 में दोषी करार दिया था. इस मामले में बाद में उन्हें हाईकोर्ट से राहत मिल गई.

इस मामले में माया कोडनानी ने अपने बचाव में कहा था कि सुबह के वक्त वो गुजरात विधानसभा में थीं. वहीं, दोपहर में वे गोधरा ट्रेन हत्याकांड में मारे गए कार सेवकों के शवों को देखने के लिए सिविल अस्पताल पहुंची थीं.  जबकि कुछ चश्मदीद ने कोर्ट में गवाही दी है कि कोडनानी दंगों के वक्त नरोदा में मौजूद थीं और उन्हीं ने भीड़ को उकसाया था. 

गोधरा कांड के बाद भड़की थी हिंसा

गोधरा में ट्रेन आगजनी की घटना में अयोध्या से लौट रहे 58 यात्रियों की मौत के एक दिन बाद 28 फरवरी 2002 को अहमदाबाद शहर के नरोदा गाम इलाके में दंगों के दौरान कम से कम 11 लोग मारे गए थे. नरोदा ग्राम मामले में आरोपियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 302 (हत्या), 307 (हत्या का प्रयास), 143 (गैरकानूनी जमावड़ा), 147 (दंगा), 148 (घातक हथियारों से लैस होकर दंगा करना), 120बी (आपराधिक साजिश) के तहत मुकदमा चल रहा है.

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हाल ही में कलोल की घटना के 26 आरोपी हुए थे बरी

गुजरात की एक अदालत ने 2002 के सांप्रदायिक दंगों  के दौरान कलोल में अलग-अलग घटनाओं में अल्पसंख्यक समुदाय के 12 से अधिक सदस्यों की हत्या (Murder) और सामूहिक बलात्कार (Gang Rape) के आरोपी सभी 26 लोगों को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया था. कुल 39 अभियुक्तों में से 13 की मामले के लंबित रहने के दौरान मृत्यु  हो गई थी और उनके खिलाफ मुकदमा समाप्त कर दिया गया था.

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