पीएम मोदी की नई सरकार चंद्रबाबू नायडू की TDP और नीतीश कुमार की JDU पर निर्भर रहेगी.
देश में तीसरी बार नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में NDA की सरकार बनने जा रही है. नरेंद्र मोदी 9 जून को शाम 6:00 बजे प्रधानमंत्री पद की शपथ लेंगे. चूंकि BJP इस बार 240 से आगे नहीं बढ़ पाई और बहुमत से दूर रही है. लिहाजा नई सरकार को NDA के सहयोगी चंद्रबाबू नायडू और नीतीश कुमार पर निर्भर रहना होगा. इस बीच नई सरकार में मंत्रीपदों को लेकर भी सहयोगियों की तरफ से BJP पर दबाव बनाने की बात सामने आ रही है. कोई लोकसभा के स्पीकर का पद मांग रहा है, तो कई रेल और कृषि मंत्रालय पर दावा ठोंक रहा है. सवाल है कि NDA सरकार में बीजेपी को कितने मंत्रालय मिलेंगे? चंद्रबाबू नायडू और नीतीश कुमार कितने मंत्रियों की मांग करेंगे? किस पार्टी को कौन सा विभाग मिलेगा?
2024 के लोकसभा चुनाव में BJP बहुमत से दूर रही. उसे 240 सीटें ही मिली हैं. जबकि NDA की 293 सीटें हैं. चंद्रबाबू नायडू की पार्टी TDP को 16 और नीतीश कुमार की JDU को 12 सीटों पर जीत हासिल हुई है. एकनाथ शिंदे की शिवसेना ने 7 संसदीय सीटों पर जीत दर्ज की है. जबकि चिराग पासवान की LJP रामविलास के पास भी 5 सांसद हैं. इन चारों पार्टियों को मिला दें, तो कुल 40 सांसद होते हैं. जाहिर तौर पर बहुमत से दूर BJP के लिए सहयोगियों के बीच पोर्टफोलियो के बंटवारा बड़ी चुनौती साबित होगी. खासतौर पर जब नायडू और नीतीश बड़े-बड़े पोर्टफोलियो की मांग कर रहे हैं. मंत्रियों की संख्या को लेकर भी आम सहमति बनाना एक बड़ा टास्क होगा.
TDP मांग रही लोकसभा स्पीकर का पद
कहा जा रहा है कि TDP लोकसभा स्पीकर का पद भी चाहती है. हालांकि, इस बात की बहुत कम गुंजाइश है कि BJP इसके लिए तैयार हो जाएगी. ज्यादा जोर देने पर चंद्रबाबू नायडू की पार्टी को डिप्टी स्पीकर का पद मिल सकता है. उधर, JDU के पास पहले से ही राज्यसभा में डिप्टी चेयरमैन का पद है. जबकि जीतन राम मांझी ने एक मंत्री पद मांग लिया है.
NDA पार्टनर्स को मिलता रहा है सिंबॉलिक रिप्रेजेंटेशन
देखा जाए तो मोदी सरकार के दो कार्यकाल में सहयोगी दलों को सांकेतिक प्रतिनिधित्व ही मिला है. यानी उनकी संख्या के अनुपात में मंत्री पद देने के बजाय उनको सांकेतिक नुमाइंदगी दी गई है. 2019 में नीतीश कुमार की पार्टी JDU ने संख्या के हिसाब से हिस्सेदारी की मांग की थी. ऐसा न होने पर वो सरकार में शामिल नहीं हुई थी.
क्या समझौता करेगी BJP?
बहुमत से दूर रहने पर BJP की इस सरकार में कुछ मजबूरी भी होगी. शायद वो कुछ शर्तों पर समझौता कर ले. माना जा रहा है कि रक्षा मंत्रालय, वित्त मंत्रालय, गृह मंत्रालय और विदेश मंत्रालय को BJP अपने ही पास रखना चाहेगी. इसके अलावा इंफ्रास्ट्रक्चर, गरीब कल्याण, युवाओं से जुड़े विभाग और कृषि मंत्रालयों को भी BJP सहयोगियों के हवाले नहीं करना चाहेगी.
ऐसा इसलिए क्योंकि यही वो मंत्रालय हैं, जो प्रधानमंत्री मोदी की बताई गई चार जातियों- गरीब, महिला, युवा और किसान के लिए योजनाओं को लागू करने में अहम भूमिका निभाएंगे. चुनाव के दौरान प्रधानमंत्री अपनी रैलियों में अक्सर इन चार जातियों का जिक्र करते सुने गए.
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रेलवे और सड़क परिवहन भी किसी को देने के मूड में नहीं BJP
माना जा रहा है कि रेलवे और सड़क परिवहन को भी BJP दूसरे दलों को नहीं देना चाहेगी. इन क्षेत्रों में मोदी सरकार ने रफ्तार के साथ काम किए हैं. और वो नहीं चाहेगी की सुधार में किसी नए प्रयोग की वजह से ब्रेक लग जाए. ऐसा देखने में आया है कि रेलवे जिस किसी भी गठबंधन सरकार में सहयोगियों के पास रहा है. मंत्रालय का काम काज लोकलुभावन नीतियों की वजह से प्रभावित हुआ है.
सहयोगियों को मिल सकते हैं ये मंत्रालय
मोदी सरकार के पिछले दो कार्यकाल को देखें तो सहयोगी दलों को नागरिक उड्डयन, भारी उद्योग, खाद्य प्रसंस्करण, स्टील और खाद्य, जन वितरण और उपभोक्ता मामले जैसे मंत्रालय दिए गए हैं. खाद्य, जन वितरण और उपभोक्ता मामलों का मंत्रालय 2014 में राम विलास पासवान के पास था. भारी उद्योग और पब्लिक एंटरप्राइज शिवसेना के पास था. इसी तरह खाद्य प्रसंस्करण पहले अकाली दल और बाद में एलजेपी के पास रहा. जबकि इस्पात मंत्रालय JDU को दिया गया था.
JDU को मिल सकते हैं पंचायती राज्य और ग्रामीण विकास मंत्रालय
लोकसभा चुनाव के नतीजों को देखें, तो अबकी बार BJP को अपने सहयोगियों के आगे कुछ हद तक झुकना पड़ सकता है. ऐसा माना जा रहा है कि पंचायती राज्य और ग्रामीण विकास जैसे मंत्रालय JDU को दिए जा सकते हैं. इसी तरह नागरिक उड्डयन और स्टील मंत्रालय का जिम्मा TDP को दिया जा सकता है, जबकि भारी उद्योग शिवसेना के हिस्से में जा सकता है.
TDP कर सकती है सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय की मांग
माना जा रहा है कि वित्त और रक्षा जैसे अहम मंत्रालयों में सहयोगियों को राज्य मंत्री का पद दिया जा सकता है. हो सकता है तेलुगू देशम पार्टी की तरफ से MEITY यानी इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय की मांग की जाए. वैसे पर्यटन, सामाजिक न्याय और अधिकारिता, स्किल डेवलपमेंट, साइंस टेक्नॉलॉजी एंड अर्थ साइंसेज जैसे मंत्रालय भी सहयोगियों के हिस्से में जा सकते हैं. इसमें BJP की तरफ से कोई परेशानी सामने आने की उम्मीद नहीं है.