नगालैंड में अफस्पा को हटाने की मांग तेज होती जा रही है. सोमवार को नगालैंड विधानसभा में एक प्रस्ताव पारित किया गया. इसके तहत पूरे पूर्वोत्तर क्षेत्र से सशस्त्र बल विशेषाधिकार कानून (AFSPA या अफस्पा ) को हटाने की मांग केंद्र सरकार से की गई है. विधानसभा में 5 बिंदुओं वाला एक प्रस्ताव पारित किया गया है और इसके लिए विशेष तौर पर विधानसभा सत्र बुलाया गया था. विधानसभा में नगा शांति वार्ता के तहत समाधान प्रक्रिया भी जल्द पूरा करने की मांग की गई है. वहीं नगालैंड में सेना के ऑपरेशन में हुई चूक को लेकर उचित प्राधिकार की ओर से माफी की मांग भी की गई है.
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नगालैंड सरकार ने नागरिक कानूनों के तहत इस मामले में पूरा न्याय करने का भरोसा भी दिलाया है. ताकि इस हत्याकांड के साजिशकर्ताओं को न्याय के कठघरे में खड़ा किया जा सके. नगालैंड विधानसभा मोन जिले के नागरिकों, सिविल सोसायटी और अन्य संगठनों से संयम बरतने की भी अपील की गई है. नगालैंड के मुख्यमंत्री नेफियू रियो ने कहा कि लंबी चर्चा के बाद हमने ये प्रस्ताव पारित किया है. नगालैंड विधानसभा एक सुर से 4 दिसंबर को मोन जिले के एक गांव में हुए नरसंहार की निंदा करती है. सेना की 21 स्पेशल पैरा फोर्स के जवानों ने अंधाधुंध फायरिंग की, इसमें 13 बेकसूर लोगों की मौत हो गई औऱ एक निर्दोष जवान की भी मौत हो गई.
नगालैंड विधानसभा ने मोन जिले के लोगों, इसके नागरिक समाजों, राज्य के नागरिकों और जन संगठनों से न्याय की मांग और सामान्य स्थिति बहाल करने के सामूहिक प्रयासों में सरकार और उसकी एजेंसियों के साथ सहयोग करने की अपील की है . विधानसभा ने Mon जिले के लोगों, सिविल सोसाइटीज और राज्य के लोगों से न्याय और सामान्य स्थिति की बहाली के लिए सरकार और इसकी एजेंसियों के साथ सहयोग करने की अपील की है. मुख्यमंत्री नेइफियु रियो, उप मुख्यमंत्री वाय. पेट्टोन, एनपीएफ विधायक दल के नेता टीआर जेलिआंग के अलावा बीजेपी प्रमुख व मंत्री तेमजेन इम्मा ने चर्चा में हिस्सा लिया. छह वर्ष से कुछ अधिक समय में यह तीसरी बार है जब नगालैंड विधानसभा ने AFSPA हटाने का प्रस्ताव पारित किया है.
असम में जारी रहेगा AFSPA: सीएम बिस्व सरमा
उधर, नगालैंड में AFSPA को हटाने को लेकर उठ रही मांगों के बीच असम के सीएम हिमांता बिस्व सरमा ने स्पष्ट किया है कि उनके राज्य में आर्म्ड फोर्सेस (स्पेशल पावर) एक्ट 1958 एक्ट लागू रहेगा. उन्होंने कहा कि AFSPA को हटाने का फैसला तभी लिया जाएगा जब राज्य में मौजूदा शांति लंबे समय तक बरकरार रहे.