26/11 मुंबई हमला: अजमल कसाब को किसने दी मटन बिरयानी, आतंकी ने कैसी सीखी मराठी, निकम ने खोला राज

Mumbai Attack 2008: मुंबई हमले के भले ही 17 साल पूरे हो गए हों, लेकिन उस आतंकी हमले के जख्म आज भी 26/11 की बरसी पर हरे हो जाते हैं. ये समय उन शहीदों को भी याद करने का है, जिन्होंने बेकसूर लोगों की जान बचाने के लिए सब कुछ न्योछावर कर दिया.

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Mumbai Attack 26/11: मुंबई हमले की खास बातें
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  • मुंबई हमले के बाद कसाब को जिंदा पकड़ने से पाकिस्तान की साजिश चंद घंटों में बेनकाब हो गई थी
  • सरकारी अभियोजक उज्जवल निकम ने कसाब से रोजाना पूछताछ के दौरान उसके इंसानी पहलुओं का अनुभव किया था
  • कसाब ने जेल में मराठी भाषा के कुछ शब्द सीखे और उज्जवल निकम को अपना वकील बनाने की मांग की थी
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मुंबई:

मुंबई हमले की आज 17वीं बरसी है. 26/11 में अगर आतंकी अजमल कसाब को जिंदा न पकड़ा गया हो तो शायद पाकिस्तान की साजिश को खोलने में ज्यादा मेहनत लगती. लेकिन कसाब के जिंदा पकड़े जाने से पड़ोसी मुल्क की हरकत चंद घंटों में बेनकाब हो गई. मुंबई हमला केस में विशेष सरकारी अभियोजक रोजाना पूछताछ के दौरान कसाब के बेहद करीब रहे. एनडीटीवी पर विशेष बातचीत में निकम ने कसाब को बिरयानी खिलाने और मराठी सिखाने वाली बात का असली राज खोला. आइए जानते हैं कि मुंबई हमले केस से जुड़े कुछ अहम किरदारों ने एनडीटीवी से विशेष बातचीत में क्या कहा था...


कसाब से रोज आमना-सामना होने की बात 

निकम ने बताया कि ये बात सही है कि वाकई उस दिन (रक्षाबंधन) कसाब ने पूछा था कि आपके हाथ में क्या बंधा है. निकम ने त्योहार की पूरी अहमियत बताई. उतने में कसाब ने नीचे सिर झुकाया तो ये मीडिया में ये चला कि आतंकी की आंखों में पानी आ गया. इसके मन में इंसानियत है. निकम ने कहा, शाम को जब मुझे ये मालूम हुआ तो मीडियाकर्मियों ने कसाब के रोने पर पूछा तो उन्होंने कहा कि आज कसाब ने मटन बिरयानी की मांग की तो फिर हल्ला मच गया. लोगों ने चलाया कि इतने लोगों की जान ले ली और उसे बिरयानी ऑफर करने पर सवाल उठाए. कोर्ट में भी कसाब से ये सवाल पूछा कि क्या वो मटन बिरयानी खाएगा तो वो सिर नीचे किए रहा. 

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कसाब ने मराठी कैसी सीखी

कसाब ने जेल और पुलिस अफसरों के बीच मराठी भाषा में कुछ शब्द सीखे और वो बोलता था ताकि अपनी जरूरत बता सके. उसने उज्जवल निकम को अपना वकील बनाने की मांग की थी. वो जेल और पुलिसकर्मियों से बात करने के लिए ये शब्द जेल, कोर्ट में बोलता था.

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महाले ने किया दोस्ताना व्यवहार

रमेश महाले ने बताया कि मुंबई हमले के 10-12 दिन बाद ईद थी. वो 10 दिनों से एक ही कपड़े में था. उसे ईद पर तोहफा देने की बात पर महाले ने कहा, हमने एक ही शर्ट पैंट में उसे देखा तो नई पोशाक दी गई. 


 

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