वाराणसी ब्लास्ट केस: वलीउल्ला की फांसी की सजा को हाईकोर्ट में चुनौती के लिए जमीयत उलमा मदद करेगा

मदनी ने कहा कि हमें पूरा विश्वास है कि हाईकोर्ट से उनको पूरा न्याय मिलेगा. ऐसे कई मामले हैं जिनमें निचली अदालतों ने सज़ा दी, लेकिन हाईकोर्ट में चुनौती देने पर पूरा इन्साफ़ हुआ.

विज्ञापन
Read Time: 10 mins
फाइल फोटो
नई दिल्ली:

ग़ाज़ियाबाद की विशेष सेशन कोर्ट (Special Sessions Court) से सोमवार को मुफ्ती वलीउल्ला को सुनाई गई सजा ए मौत को जमीअत उलमा ए हिंद हाईकोर्ट में चुनौती देगा. संकट मोचन मंदिर और वाराणसी छावनी में साल 2006 में हुए सीरियल बम विस्फोट (2006 Varanasi Blast Case) मामले के पकड़े गए एकमात्र दोषी मुफ़्ती वलीउल्लाह को विशेष कोर्ट ने फांसी की सज़ा सुनाई है. जमीअत के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी के मुताबिक मुफ़्ती वलीउल्लाह का संबंध उत्तर प्रदेश में इलाहाबाद के नजदीकी फूलपूर से है. पिछले दस वर्षों से आरोपी को जमीअत उलमा-ए-हिंद की ओर से क़ानूनी सहायता दी जा रही थी. मदनी ने बम विस्फोट के एक मामले में ग़ाजियाबाद सेशन कोर्ट से मुफ़्ती वलीउल्लाह को दी गई सज़ा ए मौत पर कहा है कि निचली अदालत के फ़ैसले को हाईकोर्ट में चुनौदी दी जाएगी.

वाराणसी सीरियल ब्लास्ट के दोषी वलीउल्लाह को फांसी की सजा, धमाकों में 16 लोग मारे गए थे

मदनी ने कहा कि हमें पूरा विश्वास है कि हाईकोर्ट से उनको पूरा न्याय मिलेगा. ऐसे कई मामले हैं जिनमें निचली अदालतों ने सज़ा दी, लेकिन हाईकोर्ट में चुनौती देने पर पूरा इन्साफ़ हुआ. इसका एक बड़ा उदाहरण अक्षरधाम मंदिर पर हुए हमले का मामला है. इसमें निचली अदालत ने मुफ़्ती अबदुल क़य्यूम समेत तीन लोगों को फांसी और चार लोगों को आजीवन कारावास की सज़ा सुनाई थी

उन्होंने कहा कि गुजरात हाईकोर्ट ने भी इस फ़ैसले को बरक़रार रखा था. लेकिन जमीअत उलमा-ए-हिंद की क़ानूनी सहायता के नतीजे में जब यह मुक़दमा सुप्रीम कोर्ट में आया तो सारे लोग बरी हुए. सुप्रीम कोर्ट ने बिना पर्याप्त सबूत के आरोपियों को आतंकवाद के इल्ज़ाम में फंसाने पर गुजरात पुलिस को कड़ी फटकार भी लगाई थी.

Advertisement
Featured Video Of The Day
Prime Minister Narendra Modi से Donald Trump की मजबूत बॉन्डिंग से भारत-America कहां तक जा सकते हैं?