राजस्थान के डूंगरपुर में बच्चों की मौत का ज़िम्मेदार कौन? एक साल में 300 से ज्यादा नवजात ने तोड़ा दम

राजस्थान के स्वास्थ्य मंत्री ख़ुद बच्चों की मौत को बड़ी चुनौती मानते हैं. उनका कहना है कि स्वास्थ्य विभाग ग़रीब महिलाओं के लिए मोबाइल वैन के इंतज़ाम की योजना बना रहा है.

Advertisement
Read Time: 3 mins
डूंगरपुर:

राजस्थान के डूंगरपुर ज़िले में नवजात बच्चों की मौत के आंकड़े परेशान करने वाले हैं. पिछले एक साल में ही यहां 300 से ज्यादा नवजात की मौत हो चुकी है, ख़ासकर आदिवासी इलाकों में ये एक बड़ी समस्या है. सरकार ने इसको लेकर कई योजनाएं चलाईं हैं, आंगनबाड़ी केंद्र भी खोले हैं, हालांकि ये केंद्र ख़ुद बीमार दिखते हैं. महिलाओं के पोषण का हाल क्या है वो ज़िले की असली तस्वीर दिखाते हैं.

डिस्ट्रिकिट न्यूट्रिशन प्रोफ़ाइल के आंकड़ों के मुताबिक ज़िले में 15 से 49 साल की 73% महिलाएं एनीमिया की शिकार हैं, यानि 4.25 लाख में करीब 3 लाख महिलाओं को एनीमिया है. एक लाख से ज़्यादा महिलाएं अंटरवेट यानि सामान्य से कम वज़न की हैं. ज़िले की करीब 93% गर्भवती महिलाओं ने 180 दिनों में आयरन की गोली नहीं ली है.

डॉक्टरों की कमी से जूझ रहे हैं अस्पताल
यहां के अस्पतालों की बात करें तो वो ख़ुद बेहाल हैं, डॉक्टरों की कमी से जूझ रहे हैं. ज़िले के बिछीवाड़ा ब्लाक में पिछले साल सबसे अधिक 40 बच्चों की मौत हुई, वहां एक भी डॉक्टर नहीं है. ज़िले के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी का पद ख़ाली है. जूनियर स्पेशलिस्ट के 67 में 65 पद ख़ाली हैं. खंड मुख्य चिकित्सा अधिकारी के 10 में से 5 पद ख़ाली हैं. सीनियर मेडिकल ऑफ़िसर के 21 में 17 और मेडिकल ऑफ़िसर के 144 में से 35 पद ख़ाली हैं.

राजस्थान के स्वास्थ्य मंत्री गजेंद्र सिंह खींवसर ख़ुद इसे बड़ी चुनौती मानते हैं. उनका कहना है कि स्वास्थ्य विभाग ग़रीब महिलाओं के लिए मोबाइल वैन के इंतज़ाम की योजना बना रहा है.

महिलाओं के ख़राब स्वास्थ्य और शिशुओं की मौत के पीछे शिक्षा की कमी और ग़रीबी भी एक बड़ी वजह मानी जा रही है. कई बार हालात ये हो जाते हैं कि मां या बच्चे में किसी एक की ही जान बचाई जा सकती है.

आंगनबाड़ी केंद्र का उद्देश्य होता है गर्भवती महिलाओं और बच्चों की देखभाल करना, लेकिन डूंगरपुर ज़िले के आंगनबाड़ी के आंकड़े बता रहे हैं कि अभी वहां बहुत काम होना बाकी है.

डूंगरपुर ज़िले में 2117 आंगनबाड़ी केंद्र हैं. इनमें से 968 आंगनबाड़ी केंद्र के पास अपना भवन तक नहीं है. जो बाकी हैं, उनमें 212 आंगनबाड़ी केंद्र को मरम्मत की ज़रूरत है.