मोरबी हादसे के बाद आज गुजरात में एक दिन का राजकीय शोक है. सरकारी भवनों पर राष्ट्रीय ध्वज आधा झुका दिया गया है. इसके साथ ही राज्य में आज कोई मनोरंजक कार्यक्रम नहीं किया जाएगा. रविवार शाम को मोरबी में मच्छु नदी पर हुए केबल पुल हादसे में 125 से अधिक लोगों की मौत हो गई थी. पुलिस ने इस घटना के सिलसिले में कुल नौ लोगों को गिरफ्तार किया है.
आपको बता दें कि कि पीएम नरेंद्र मोदी ने भी मंगलवार को मोरबी में पुल हादसे वाली जगह का दौरा किया. घटनास्थल का दौरा करने से पहले उन्होंने इस दुर्घटना को लेकर एक उच्च स्तरीय बैठक भी की. पीएम ने अस्पताल जाकर घायलों से भी मुलाकात की. घटना को लेकर पुलिस का कहना है कि जिस समय यह पुल टूटा था, उस समय उस पर 500 से ज्यादा लोग सवार थे. वहीं इस पुल की क्षमता महज 125 लोगों के भार उठाने की थी.
एनडीआरएफ अधिकारी का कहना है कि गुजरात में मोरबी पुल हादसे में मरने वाले लोगों की संख्या कम भी हो सकती थी, अगर उस दौरान पुल के नीचे उथला पानी और चट्टाने नहीं होतीं. इस रेस्क्यू की अगुवाई कर रहे एनडीआरएफ कमांडेंट वीवीएन प्रसन्ना कुमार ने मंगलवार को एनडीटीवी से कहा कि अगर घटना वाली जगह पर पानी का लेवल थोड़ा ज्यादा होता तो शायद मौत का आंकड़ा कम हो सकता था. उन्होंने बताया कि नदी के बीच के हिस्से में जहां पानी लगभग रुका हुआ है, जहां कोई बहाव नहीं है, वहां की गहराई 20 फीट के करीब है.
कुमार ने कहा कि ज्यादातर शव, टूटे हुए ब्रिज के नीचे पाए गए क्योंकि नदी में बहाव नहीं है और पानी इन्हें बहाकर दूर नहीं ले जा पाया. उन्होंने कहा कि सिविल एडमिनिस्ट्रेशन की ओर से लापता लोगों के लिए दिए गए आंकड़ों के आधार पर, अब केवल एक या दो शवों की ही तलाश होना बाकी है.
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