Monsoon Update: देश में इस बार देर से होगी मॉनसून की एंट्री, IMD ने बताई यह वजह

मॉनसून आम तौर पर 1 जून के आसपास केरल तट से टकराता है. 26 मई को मौसम विभाग ने कहा था कि इस साल मॉनसून 4 जून तक केरल तट पर पहुंच सकता है. लेकिन साइक्लोनिक सर्कुलेशन की वजह से अब मॉनसून के इस साल देरी से पहुंचने की उम्मीद है.

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मौसम विभाग ने इस साल जून से सितंबर के बीच देश में मॉनसून की बारिश सामान्य रहने का पूर्वानुमान जताया है.
नई दिल्ली:

देश में मॉनसून की एंट्री (Monsoon) इस बार कुछ देर से होगी. मौसम विभाग (IMD) ने सोमवार को कहा कि पिछले 24 घंटे में अरब सागर के दक्षिण पर्व में एक  साइक्लोनिक सर्कुलेशन (Cyclonic Circulation) यानी चक्रवाती परिसंचरण बना हुआ है. इसके असर की वजह से केरल के तट पर बादल घट गए हैं. ऐसे में मॉनसून के केरल पहुंचने में इस साल थोड़ी देरी होगी. मई के आखिरी हफ्ते में मौसम विभाग ने मॉनसून 4 जून तक केरल पहुंचने की संभावना जताई थी.

मौसम विभाग ने कहा कि दक्षिण पूर्व अरब सागर के ऊपर कम दबाव का क्षेत्र बना है. बादल छाए हुए हैं. जल्द ही तेज चक्रवाती हवाएं केरल तट की ओर मॉनसून को आगे बढ़ा सकती हैं. मौसम विभाग ने कहा कि अगले दो-तीन दिनों में स्थितियों में सुधार होने से केरल में मॉनसून दस्तक दे सकता है.

आम तौर पर 1 जून के आसपास केरल से टकराता है मॉनसून
मॉनसून आम तौर पर 1 जून के आसपास केरल तट से टकराता है. 26 मई को मौसम विभाग ने कहा था कि इस साल मॉनसून 4 जून तक केरल तट पर पहुंच सकता है. लेकिन साइक्लोनिक सर्कुलेशन की वजह से अब मॉनसून के इस साल देरी से पहुंचने की उम्मीद है.

क्या कहते हैं एक्सपर्ट?
भारतीय मौसम विभाग की वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. सोमा सेनरॉय ने NDTV से कहा, "अरब सागर में साइक्लोनिक सर्कुलेशन ऐसे समय पर बना है, जब हम उम्मीद करते हैं कि केरल तक से मॉनसून टकराएगा.  इसकी वजह से मॉनसून का फ्लो थोड़ा डिस्टर्ब हुआ है. मॉनसून केरल तक से कब तक टकराएगा. इस पर हम अभी कोई रिपोर्ट नहीं दे सकते."

क्या मॉनसून के केरल तट पर पहुंचने में देरी होगी? इस सवाल के जवाब में डॉ. सोमा सेनरॉय कहती हैं, "हां... इस बार मॉनसून में थोड़ी देरी हो सकती है. हम 4 जून की तारीख पार कर चुके हैं."

पूर्वी भारत के राज्यों में हीट वेव का संकट
उधर, पूर्वी भारत के राज्यों विशेषकर बिहार, पश्चिम बंगाल और झारखंड में गर्मी का संकट गहराता जा रहा है. आने वाले दिनों में पूर्वी भारत के राज्यों में हीट वेव का संकट और बढ़ने का अंदेशा है.

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भारतीय मौसम विभाग के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. नरेश कुमार ने NDTV से कहा, "जब तापमान औसत से 4.5 डिग्री सेल्सियस अधिक हो जाता है, तो हीटवेव (Heatwave) माना जाता है. अगर तापमान औसत से 6.5 डिग्री सेल्सियस ज्यादा हो जाता है, तो उसे सीविएर हीटवेव (Severe Heat Wave) माना जाता है. बिहार में पिछले कुछ दिनों से सीविएर हीटवेव चल रहा है. हमने बिहार और पश्चिम बंगाल के लिए ऑरेंज अलर्ट जारी किया है. आम लोगों को हमने NDMA की गाइडलाइंस के मुताबिक घरों में रहने और ज्यादा से ज्यादा लिक्विड फूड लेने की सलाह दी है."

मौसम विभाग ने इस साल जून से सितंबर के बीच देश में मॉनसून की बारिश सामान्य रहने का पूर्वानुमान जताया है. देश के अधिकतर हिस्सों में मॉनसून सामान्य रहने का अनुमान है. हालांकि, उत्तर-पश्चिम भारत में इस साल मॉनसून की बारिश औसत से कम रह सकती है. 

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