कैश-फॉर-जॉब घोटाले से संबंधित मनी लॉन्ड्रिंग मामले में सेंथिल बालाजी का जमानत आदेश वापस लेने की याचिका पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. कोर्ट ने हैरानी जताई कि जमानत मिलने के तुरंत बाद सेंथिल बालाजी को तमिलनाडु में मंत्री नियुक्त कर दिया गया, हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने जमानत आदेश वापस लेने से इनकार किया, लेकिन अदालत इस मुद्दे पर सुनवाई करेगी कि क्या बालाजी के मंत्री बनने से गवाहों पर दबाव है ? इस मामले में सुप्रीम कोर्ट 13 दिसंबर को सुनवाई करेगा.
जस्टिस अभय एस ओक और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ बालाजी को जमानत देने वाले फैसले को वापस लेने की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई कर रही थी. इसमें कहा गया है कि बालाजी को रिहा किए जाने के बाद मंत्री बनाए जाने के कारण गवाहों पर दबाव होगा.
सुनवाई करते हुए जस्टिस ओक ने कहा कि हम जमानत देते हैं और अगले दिन आप जाकर मंत्री बन जाते हैं. कोई भी इस धारणा के तहत बाध्य होगा कि अब वरिष्ठ कैबिनेट मंत्री के रूप में आपके पद के कारण गवाहों पर दबाव होगा. यह क्या हो रहा है? हालांकि पीठ ने कहा कि वह कानून के अनुसार फैसले को वापस नहीं लेगी क्योंकि इससे कई अन्य लोगों को लाभ हो रहा है. वह जांच के दायरे को इस तक सीमित रखेगी कि क्या गवाहों पर दबाव है. - पीठ ने बालाजी के वकील से निर्देश प्राप्त करने को कहा और मामले को 13 दिसंबर तक के लिए टाल दिया.