किसी समुदाय को उकसाना ठीक नहीं..मोहन भागवत की विजयदशमी स्पीच, क्या हैं संघ के संदेश, समझिए

भागवत ने कहा, श्रीलंका, बांग्लादेश और फिर नेपाल में उथल पुथल दिख रही है. कभी-कभी प्रशासन जनता के प्रति संवेदनशील नहीं होती है और जनता की मांगों को ध्यान में नहीं रखकर काम नहीं करती है. असंतोष रहता है, लेकिन असंतोष का इस प्रकार से व्यक्त होना, किसी के लाभ की बात नहीं है.

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  • मोहन भागवत ने कहा कि भारत की विविधता में सभी को नियम पालन करते हुए संयम और सद्भाव बनाए रखना चाहिए
  • उन्होंने कहा कि छोटी बातों पर कानून हाथ में लेकर हिंसा करना और समुदायों को उकसाना गलत और योजनाबद्ध होता है
  • भागवत ने भारतीय संस्कृति को राष्ट्रीयता का मूल आधार बताया और इसे हिंदू राष्ट्रीयता के रूप में परिभाषित किया
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नई दिल्ली:

आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने नागपुर में विजयादशमी उत्सव को संबोधित करते हुए तमाम मुद्दों पर खुलकर अपनी बात कही. देश के मुद्दों के साथ-साथ वैश्विक मुद्दों पर भी उन्होंने अपनी बात को रखा. भागवत ने कहा कि समाज, देश और संस्कृति के नाते हम एक ही है. इस एकता के चलते हमारा सबका आपस का व्यवहार सदभावनापूर्ण और संयमपूर्ण रहने चाहिए, मन क्रम से आपस में इसकी अवमानना नहीं होनी चाहिए, इसकी चिंता सबको करनी चाहिए.

छोटी-छोटी बातों पर सड़क पर उतरना ठीक नहीं

मोहन भागवत ने कहा कि भारत में विविधता है और सब लोग साथ में रहते हैं जैसे अनेक बर्तन साथ में रहते हैं तो कुछ न कुछ आवाज हो सकती है, लेकिन नियम पालन करना ऐसा स्वभाव बनना चाहिए, छोटी बातों पर कानून हाथ में लेकर सड़क पर निकल आना यह ठीक नहीं, किसी समुदाय विशेष को उकसाना ऐसी घटना योजनापूर्वक कराया जाता है, इन प्रवृतियों की रोकथाम जरूरी है.

भारत की क्या है राष्ट्रीयता भागवत ने बताया

हम सबको एक सूत्र में मिलाने वाली हमारी भारतीय संस्कृति ही राष्ट्रीयता है, इस सबको हिंदू राष्ट्रीयता कहते हैं. किसी को हिंदू शब्द से आपत्ति है तो वो हिंद भी कहे..भारतीय कहे आर्य कहे, जो कुछ कहे समानार्थी शब्द हैं हमलोग जानते हैं, इस राष्ट्रीय का स्पष्ट स्वरूप बताने वाला एक ही शब्द मिलता है वो है हिंदू. हमारा राष्ट्र राज्य पर आधारित रहा ही नहीं है. राज्य आते जाते रहते हैं, राष्ट्र निरंतर विद्यमान रहा है. ये हमारा प्राचीन हिंदू राष्ट्र है. सब प्रकार के उतार चढाव हमने देखे गुलामी भी देखी और आजादी भी देखी. इसलिए हिंदू समाज का मजबूत होना एकता और विकास की गारंटी है.

धर्म पूछकर आतंकियों ने की हत्या

भागवत ने कहा, पहलगाम में सीमा पार के आतंकियों ने हमला किया. 26 भारतीयों का उनका धर्म पूछकर हत्या की गई. उसके कारण देश में दुख की लहर पैदा हुई. पूरी तैयारी करके सेना और सरकार ने पुरजोर जवाब दिया. सेना का शौर्य और समाज की एकता का उदाहरण स्थापित हुआ. ये आतंकी घटना हमें सिखा गई कि हम सबके लिए दोस्ताना व्यवहार रखेंगे लेकिन फिर भी हमें अपनी सुरक्षा के लिए अधिक मजबूत बनना होगा, इस वाकये से पता चला कि हमारे दोस्त कौन कौन हैं. नक्सली आंदोलन पर शासन और प्रशासन पर कड़ी कार्रवाई हुई है. विचारधारा का खोखलापन होने के कारण समाज में भी उनसे मोहभंग हो गया है.

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