प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को 78 वें स्वतंत्रता दिवस के मौके पर 11वीं बार ऐतिहासिक लाल किले की प्राचीर पर तिरंगा फहराया. उन्होंने स्वतंत्रता दिवस पर अब तक का अपना सबसे लंबा 98 मिनट का भाषण दिया. साल 2014 में पहली बार प्रधानमंत्री बनने के बाद नरेंद्र मोदी ने 65 मिनट तक देशवासियों को संबोधित किया था.
लालकीले के प्राचीर से लगातार 11 बार संबोधित करने वाले पीएम मोदी ने बहुत ही अहम बात कही है. उन्होंने सेक्यूलर सिविल कोड का जिक्र किया. जिस सेक्यूलर तानेबाने की दुहाई देकर सामान नागरिक संहिता की धज्जियां उड़ाई जाती थीं, पीएम मोदी ने उसे सामान बताकर एक गूगली फेंक दी.
चुनाव के बाद लोगों को लगने लगा था कि अब पीएम मोदी क्या करेंगे, ऐसे में उन्होंने लाल किला के प्राचीर से गूगली फेंक कर साबित कर दिया कि विंटेज मोदी इज बैक. विकसित भारत के जरिए देश भर के लोगों का दिल जीत लिया है.
पीएम मोदी ने क्या कहा?
पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा, "हमारे देश में सुप्रीम कोर्ट ने कई बार यूनिफॉर्म सिविल कोड को लेकर चर्चा की है. कोर्ट की तरफ से कई बार आदेश दिए गए हैं. देश का एक बड़ा वर्ग मानता है कि सिविल कोड सांप्रदायिक है. इस बात में सच्चाई भी है कि जिस सिविल कोड को लेकर हम जी रहे हैं, वो एक प्रकार का कम्युनल सिविल कोड है. ये भेदभाव करने वाला सिविल कोड है. आज हम संविधान के 75 वर्ष जब मनाने जा रहे हैं तो इसकी भावना और देश की सुप्रीम कोर्ट भी हमें यही कहती है."
उन्होंने आगे कहा, "संविधान निर्माताओं का जो सपना था, उसे पूरा करना हमारा दायित्व है. मैं मानता हूं कि इस गंभीर विषय पर चर्चा हो. हर कोई अपने विचारों को लेकर आए. धर्म के आधार पर बांटने वाले कानूनों का समाज में कोई स्थान नहीं हो सकता है. अब समय की मांग है कि देश में एक सेक्युलर सिविल कोड हो. हमने कम्युनल सिविल कोड में 75 साल बिताए हैं, अब हमें सेक्युलर सिविल कोड की ओर जाना होगा. तब जाकर हमें धर्म के आधार पर होने वाले भेदभाव से मुक्ति मिलेगी."
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एक देश एक चुनाव
अपने इस पुराने लक्ष्य को पीएम मोदी ने लाल किला से फिर से दोहराया. उन्होंने कहा वन नेशन वन इलेक्शन के लिए देश को साथ में आना होगा. उन्होंने कहा कि भारत की प्रगति के लिए ये बेहद जरूरी है. गूगली फेंकते हुए उन्होंने कहा- भारत के संसाधनों का इस्तेमाल लोककल्याण में होना चाहिए.
इस साल भी पीएम मोदी ने देश को संबोधित करते हुए कुछ खास शब्दों का जिक्र किया. जिसमें सेक्युलर और साम्प्रदायिक जैसे शब्द शामिल थे. ऐसे में चलिए जानते हैं कि आखिर इन शब्दों का मतलब क्या होता है.
युवाओं का राजनीति में आना जरूरी है
लोकसभा, सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में चुनावों में करीब 4.500 करोड़ रुपरये खर्च आते हैं. अगर देश में एक साथ चुनाव हो तो इन खर्चों पर अंकुश लगाए जा सकते हैं. इससे खर्च और समय तो बचेंगे ही साथ ही साथ आदर्श संहिता लागू होने से विकास कार्यों में पड़ने वाली अड़चनें भी दूर होंगी.
परिवारवाद को राजनीति से दूर करने के लिए पीएम मोदी ने अपनी राय दी. उन्होंने कहा, राजनीति में युवाओं का आना बेहद जरूरी हैं. मैं चाहता हूं कि देश में 1 लाख से अधिक ऐसे युवा राजनीति में आएं, जिनका कोई राजनीति बैकग्राउंड ना हो.
मेडिकल सीटों को लेकर पीएम ने कही बड़ी बात
पीएम नरेंद्र मोदी ने लाल किले की प्राचीर से संबोधित करते हुए कहा कि मेडिकल की पढ़ाई के लिए छात्र बाहर जा रहे हैं. लेकिन हमने पिछले 10 सालों में मेडिकल सीटों की संख्या 1 लाख कर दी है. छात्रों को ऐसे-ऐसे देशों में जाना पड़ता है कभी-कभी मैं सोचता हूं तो हैरान होता हूं. इसलिए अब आने वाले 5 वर्षों में मेडिकल कॉलेजों में 75 हजार नई सीटें बनाई जाएंगी. पीएम मोदी ने कहा, मेडिकल के क्षेत्र में सुधार लाने की जरूरत है. मेरी कोशिश है कि छात्र भारत में ही रहकर पढ़ाई करें और देश के उन्नती में सहयोग करें. पीएम मोदी ने कहा है कि भ्रष्टाचारियों के साथ कोई समझौता नहीं किया जाएगा. आने वाले दिनों में भ्रष्टाचारियों पर बड़ी कार्रवाई होगी.
सेक्युलर का मतलब क्या है?
सेकुलर शब्द काफी पुराना है. ये लेटिन भाषा के saeculum से बना है, जिसका अर्थ है- किसी भी धर्म के प्रति तटस्थ रहने वाला. यानी जो सही मायने में सेकुलर होते हैं कि वे किसी भी धर्म विशेष के लिए झुकाव या रंजिश नहीं रखते. हालांकि लेटिन में इसका मूल अर्थ अनंत और सार्थक जीवन से है. क्रिश्चियन धर्म में इसे ईश्वर से जोड़ा जाता है जो समय के बाद भी रहते हैं.
सांप्रदायिक का मतलब क्या होता है?
सांप्रदायिक का मतलब होता है किसी कम्यून या समुदाय से संबंधित. वहीं सांप्रदायिकता एक सामाजिक-राजनीतिक विचारधारा या किए जाने वाले कामों को परिभाषित करती है जो किसी धार्मिक या जातीय समूह की पहचान पर जोर देती है, जो अक्सर समाज के भीतर अन्य समूहों के प्रति बहिष्कार या शत्रुता की ओर ले जाती है.
बांग्लादेशी हिन्दुओं पर जताई चिंता
बांग्लादेश में हिन्दुओं पर हुए हमलों और मंदिरों में तोड़फोड़ समेत कई जरूरी मसलों पर साफ साफ संदेश दिए. उन्होंने शेख हसीना का नाम लिए बगैर साफ कहा कि बांग्लादेश में जो कुछ भी हुआ, उसको लेकर पड़ोसी देश के नाते चिंता होना वाजिब है. पीएम मोदी ने कहा है कि भारत बांग्लादेश की स्थिति पर नजर बनाए हुए है.