PM मोदी की 'मिसाइल' हैं जयशंकर, यूं ही फिर नहीं बनाया मंत्री

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने दूसरे कार्यकाल के दौरान एस जयशंकर को विदेश मंत्री के रूप में चुना. एक राजनयिक से जयशंकर ने विदेश मंत्री तक का सफर तय किया है.

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देश की विदेश नीति और विदेश मंत्री एस जयशंकर की काफी चर्चा है.
नई दिल्‍ली:

मोदी सरकार 3.0 में एक बार फिर एस जयशंकर (S Jaishankar) ने मंत्री पद की शपथ ली है. जयशंकर ने एक राजनयिक से विदेश मंत्री तक का लंबा और शानदार सफर तय किया है. पिछली मोदी सरकार (Modi Government) में देश की विदेश नीति की जबरदस्‍त चर्चा रही थी. इसका पूरा श्रेय विदेश मंत्री एस जयशंकर को दिया गया. यूक्रेन से भारतीय छात्रों को वापस लाने से लेकर इजरायल और हमास युद्ध के दौरान भारत के रुख और रूस से तेल खरीदने से लेकर विदेश में भारत का पक्ष मजबूती से रखने तक जयशंकर ने खुद को साबित किया है. कई मौकों पर एस जयशंकर ने दुनिया में भारत की साख बढ़ाने का काम किया है और कई मौकों पर देश के लिए संकटमोचक की भूमिका भी निभाई है. 

एस जयशंकर का जन्‍म 9 जनवरी 1955 को दिल्‍ली में हुआ. उनके पिता के सुब्रमण्‍यम सिविल सेवा में थे और मां शिक्षक थीं. दिल्‍ली के स्‍टीफेंस कॉलेज से रसायन विज्ञान में ग्रेजुएशन के बाद उन्‍होंने जवाहरलाल नेहरू विश्‍वविद्यालय से राजनीति विज्ञान में एमए किया और फिर अंतराष्‍ट्रीय संबंधों में एमफिल और पीएचडी की. 

जयशंकर 1977 में भारतीय विदेश सेवा में शामिल हुए और पहली पोस्टिंग मॉस्‍को में मिली. विदेश सेवा में रहते जयशंकर अमेरिका और चीन जैसे महत्‍वपूर्ण देशों में भारत के राजदूत रहे. भारत और अमेरिका के बीच बेहद महत्‍वपूर्ण असैन्‍य परमाणु समझौते के दौरान उन्‍होंने बड़ी भूमिका निभाई थी. 

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सेवानिवृत्ति के बाद जयशंकर ने टाटा संस के ग्‍लोबल कॉर्पोरेट अफेयर्स के अध्‍यक्ष के रूप में काम शुरू किया. हालांकि 2019 के लोकसभा चुनाव के बाद पीएम मोदी ने उन्‍हें बुलाया और देश के विदेश मंत्री की बेहद महत्‍वपूर्ण जिम्‍मेदारी सौंपी. 

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ऐसी हुई थी पीएम मोदी से पहली मुलाकात 

नरेंद्र मोदी 2011 में जब गुजरात के मुख्‍यमंत्री थे, उस वक्‍त उन्‍होंने चीन का दौरा किया था. पहली बार जयशंकर और मोदी की मुलाकात वहीं हुई थी. उस वक्‍त जयशंकर चीन में भारत के राजदूत थे. वहीं 2014 में प्रधानमंत्री बनने के बाद नरेंद्र मोदी अमेरिका गए थे. उस वक्‍त अमेरिका में जयशंकर भारत के राजदूत थे और मैडिसन स्‍क्‍वायर पर आयोजित कार्यक्रम के शानदार आयोजन के पीछे भी उन्‍हें ही माना जाता है. 

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देश के दूसरे राजनयिक जो बने विदेश मंत्री

जनवरी 2015 से जनवरी 2018 के बीच जयशंकर देश के विदेश सचिव के रूप में सेवाएं भी दे चुके हैं. नटवर‍ सिंह के बाद जयशंकर ऐसे दूसरे राजनयिक हैं, जिन्‍होंने भारत के विदेश मंत्री के रूप में शपथ ग्रहण की. 

भारत और यूक्रेन युद्ध के दौरान रूस से सस्‍ता क्रूड ऑयल खरीदने के फैसले को लेकर काफी दबाव था, जिसका जयशंकर ने बेहद बेबाकी से जवाब दिया था. वहीं जी-20 के दौरान साझा घोषणा पत्र पर सहमति बनाना भी उनकी बड़ी जीत थी. 

आम लोगों में भी जयशंकर काफी लोकप्रिय हैं. ऐसे में पीएम मोदी ने फिर उन पर विश्‍वास जताया है. जयशंकर राज्‍यसभा सांसद हैं.

जयशंकर का सफर : 

1977 :  भारतीय विदेश सेवा में शामिल हुए. 
1979 - 1981 : सोवियत संघ में भारतीय मिशन में तीसरे और दूसरे सचिव के रूप में कार्य
1985 : अमेरिका के वाशिंगटन में भारतीय दूतावास के प्रथम सचिव के रूप में नियुक्त
1988 - 1990 : श्रीलंका में भारतीय शांति सेना के प्रथम सचिव और राजनीतिक सलाहकार के रूप में कार्य
1990 - 1993 : बुडापेस्ट में भारतीय मिशन में काउंसलर 
1991 :  विदेश मंत्रालय में निदेशक (पूर्वी यूरोप). राष्ट्रपति शंकर दयाल शर्मा के लिए प्रेस सचिव के रूप में कार्य
1996 - 2000 :  टोक्यो में भारतीय दूतावास में मिशन के उप प्रमुख
2001 - 2004 : चेक गणराज्य में भारत के राजदूत 
2004 - 2007 : नई दिल्ली में विदेश मंत्रालय में संयुक्त सचिव (अमेरिका) 
2007 - 2009 : सिंगापुर में भारत के उच्चायुक्त के रूप में कार्य
2009 - 2012 : चीन में भारत के सबसे लंबे समय तक सेवा देने वाले राजदूत बने 
2013 - 2015 : अमेरिका में भारत के राजदूत के रूप में नियुक्त 
2015 - 2018 : भारत के विदेश सचिव के रूप में नियुक्ति 
2019 : विदेश मंत्री के रूप में नरेंद्र मोदी सरकार में शामिल 

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