पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने मंगलवार को आरोप लगाया कि निर्वाचन आयोग ने भाजपा नेताओं द्वारा प्रचार के दौरान नफरत फैलाने वाले भाषण देने से जुड़े आरोपों के संबंध में आंखें मूंद ली हैं, जिससे आदर्श आचार संहिता, ‘‘मोदी आचार संहिता'' में तब्दील हो गई है.
उन्होंने आरोप लगाया कि मोदी और अन्य भाजपा नेता अपने ‘‘नफरत भरे भाषणों'' से निचली जाति के हिंदुओं, अल्पसंख्यकों और अन्य वंचित वर्गों को डरा रहे हैं लेकिन निर्वाचन आयोग चुप है.
मोदी पर अपना हमला जारी रखते हुए बनर्जी ने कहा कि उन्होंने दूसरा ऐसा कोई प्रधानमंत्री नहीं देखा जो इतना झूठ बोलते हैं. उन्होंने पूछा, ‘‘प्रत्येक नागरिक के बैंक खाते में 15 लाख रुपये देने के उनके (प्रधानमंत्री मोदी) 2014 के वादे का क्या हुआ? मुफ्त एलपीजी गैस देने के उनके वादे का क्या हुआ? उनके ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ' कार्यक्रम का क्या हुआ?''
तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ने दावा किया, ‘‘भाजपा नेता हर गांव में ‘अन्नपूर्णा भंडार योजना' के तहत हर गरीब महिला को 3000 रुपये देने का झूठा वादा कर रहे हैं. याद रखें कि भाजपा ने बंगाल में गरीबों को मिलने वाली 100 दिन की मजदूरी तीन साल से रोक रखी है. भाजपा चावल के लिए एक भी पैसा जारी नहीं कर रही लेकिन हमने इस पर आने वाला पूरा खर्च वहन किया है ताकि गरीबों को समस्या महसूस न हो.''बनर्जी ने दावा किया कि मोदी केवल चुनाव के दौरान ही बंगाल का दौरा करते हैं.
बनर्जी ने कहा, ‘‘उन्होंने बंगाल और उसकी महिलाओं को बदनाम करने की कहानी गढ़ने की अपनी साजिश के तहत संदेशखालि की माताओं को नकदी की पेशकश भी की थी. उन्होंने बंगाल की महिलाओं, उनकी गरिमा और आत्मसम्मान का गलत आकलन किया है.''
हाल में वायरल हुए एक वीडियो में दावा किया गया था कि संदेशखालि की घटनाओं के पीछे भाजपा नेता शुभेंदु अधिकारी का हाथ था और महिलाओं पर अत्याचार करने का आरोप लगाकर टीएमसी नेताओं के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करने के लिए कई महिलाओं को पैसे दिए गए थे.