"वित्त मंत्रालय ने PM को शर्मिन्दा किया..." : GST बकाया को लेकर चिदम्बरम ने कसा तंज

पूर्व वित्तमंत्री ने माइक्रो-ब्लॉगिंग वेबसाइट ट्विटर पर लिखा, "जो राशि बकाया है, दरअसल वह इससे भी ज़्यादा है... अगर आप वह राशि जोड़ लेते हैं, जो राज्यों का बकाया के तौर पर दावा है, तो कुल राशि कहीं ज़्यादा होगी... सिर्फ कन्ट्रोलर ऑफ गवर्नमेंट अकाउंट्स (CGA) ही सही राशि की पुष्टि कर सकता है..."

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पी चिदम्बरम ने कहा, "यह जानना दिलचस्प होगा कि क्यों वित्त मंत्रालय ने प्रधानमंत्री को 'शर्मिन्दा' किया... (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता तथा पूर्व वित्तमंत्री पी. चिदम्बरम ने GST मुआवज़े के तौर पर राज्यों के बकाया को लेकर गुरुवार को केंद्र सरकार पर कटाक्ष किया, और कहा कि यह जानना काफी रोचक होगा कि क्यों वित्त मंत्रालय ने यह जानकारी उसी दिन कर प्रधानमंत्री को 'शर्मिन्दा' किया, जिस दिन को उन्होंने (PM नरेंद्र मोदी ने) राज्यों को 'लताड़ने' के लिए चुना था.

वित्त मंत्रालय ने बुधवार को कहा कि केंद्र सरकार ने मार्च, 2022 को समाप्त हुए वित्तवर्ष के लिए आठ माह के GST मुआवज़े की राशि को राज्यों को जारी कर दिया है, जबकि सेस फंड में अपर्याप्त राशि बची होने की वजह से 78,704 करोड़ रुपये की राशि पेन्डिन्ग रह गई है.

पी. चिदम्बरम ने कहा कि जिस दिन प्रधानमंत्री ने पेट्रोल और डीज़ल पर VAT दरों को नहीं घटाने के लिए राज्यों को लताड़ा, वित्त मंत्रालय ने उसी दिन बताया कि राज्यों का 78,704 करोड़ रुपया केंद्र सरकार पर बकाया है.

पूर्व वित्तमंत्री ने माइक्रो-ब्लॉगिंग वेबसाइट ट्विटर पर लिखा, "जो राशि बकाया है, दरअसल वह इससे भी ज़्यादा है... अगर आप वह राशि जोड़ लेते हैं, जो राज्यों का बकाया के तौर पर दावा है, तो कुल राशि कहीं ज़्यादा होगी... सिर्फ कन्ट्रोलर ऑफ गवर्नमेंट अकाउंट्स (CGA) ही सही राशि की पुष्टि कर सकता है..."

उन्होंने लिखा, "यह जानना दिलचस्प होगा कि क्यों वित्त मंत्रालय ने प्रधानमंत्री को उसी दिन शर्मिन्दा किया, जिस दिन को उन्होंने राज्यों को लताड़ने के लिए चुना..."

बुधवार को विपक्ष-शासित कई राज्यों में ईंधन की ऊंची कीमतों का ज़िक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने इसे 'अन्याय' करार दिया था, और राज्य सरकारों से आग्रह किया था कि वे आम आदमी को लाभ देने के उद्देश्य से 'राष्ट्रहित' में VAT को घटाएं. प्रधानमंत्री ने कहा कि नवंबर में उनकी केंद्र सरकार द्वारा एक्साइज़ ड्यूटी घटा दिए जाने के बावजूद कई राज्यों ने उनकी VAT घटाने का आग्रह नहीं माना, और राज्य सरकारों से कहा कि सहयोगी संघवाद की मूल भावना को ध्यान में रखते हुए वैश्विक संकट के दौर में काम करने का आग्रह किया.

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