उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को कहा कि महज रिक्तियां होने भर से कोई कर्मचारी पूर्व प्रभाव से पदोन्नति पाने का हकदार नहीं हो जाता, वह भी तब जब पदोन्नति के तहत आने वाले पद विशिष्ट नियमों के अधीन हों. शीर्ष अदालत ने कहा कि पदोन्नति के मामले के निस्तारण के दौरान दो अलग-अलग नियमों के बीच समानता नहीं हो सकती है. न्यायमूर्ति एस के कौल और न्यायमूर्ति एम एम सुंदरेश की पीठ ने कनिष्ठ प्रशासनिक ग्रेड (जेएजी)-I में पदोन्नति से संबंधित मामले में 2014 के दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ केंद्र द्वारा दायर अपीलों पर अपना फैसला सुनाया.
पीठ ने कहा, “जब पदोन्नति वाले पद पर रिक्तियां विशेष रूप से नियमों के तहत निर्धारित की जाती हैं, जो चयन प्रक्रिया के माध्यम से मंजूरी को अनिवार्य करती हैं, तब केवल रिक्ति की मौजूदगी होने भर से कर्मचारी पूर्व प्रभाव से पदोन्नति का हकदार नहीं बन जाता.”
न्यायालय ने कहा, “दूसरे शब्दों में, पदोन्नति का अधिकार और उससे जुड़े लाभ व वरिष्ठता उस पदोन्नति का निर्धारण करने वाले नियमों से ही संदर्भित होंगी.” पीठ ने कहा, ‘‘किसी भी अधिकारी के पास पदोन्नति वाले पद के लिए अंतर्निहित अधिकार नहीं है, जो कानून के तहत विचारार्थ रखे गये हैं.
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