अपनी मीठी आवाज से लोगों पर जादू करने वालीं लता मंगेशकर के जीवन में एक ऐसा समय भी आया था, जब 1962 में उनके स्वास्थ्य को लेकर गंभीर चिंताएं पैदा हो गई थीं और उन्हें ‘‘जहर'' देने संबंधी चौंकाने वाली खबर सामने आई थी. भारत रत्न मंगेशकर (92) का रविवार को मुंबई के एक अस्पताल में निधन हो गया. वे कोरोना वायरस से संक्रमित पाई गई थीं और उन्हें बीमारी के मामूली लक्षण थे. उन्हें आठ जनवरी को ब्रीच कैंडी अस्पताल की गहन चिकित्सा इकाई (आईसीयू) में भर्ती कराया गया था.
नसरीन मुन्नी कबीर की किताब ‘‘लता मंगेशकर इन हर ओन वॉयस'' पुस्तक में जहर देने की घटना को याद करते हुए, सुर साम्राज्ञी ने कहा कि वह तीन महीने तक बिस्तर पर रही थीं. लता मंगेशकर ने किताब में कहा, ‘‘1962 में, मैं लगभग तीन महीने तक बहुत बीमार रही. एक दिन, मुझे पेट में बहुत दर्द हो रहा था. और फिर मुझे उल्टी हुई. डॉक्टर ने मेरे पेट का एक्स-रे किया और कहा कि मुझे धीमा जहर दिया जा रहा है.''
लता मंगेशकर ने याद किया था कि कैसे वह इतनी कमजोर महसूस करती थीं कि उन्हें लगा था कि वह फिर कभी गा नहीं पाएगी. उन्हें जहर दिए जाने की चौंकाने वाली खबर सुनकर उनकी बहन उषा सीधे रसोई में गई और सभी से कहा कि घरेलू सहायक अब खाना नहीं बनाएंगे, बल्कि वह बनाएंगी.
लता मंगेशकर ने दावा किया था कि इसके तुरंत बाद घरेलू सहायक बिना किसी को बताए और वेतन लिए बगैर चुपके से चला गया. उन्होंने कहा था, ‘‘तो हमें लगा कि किसी ने उसे वहां भेजा था. हमें नहीं पता था कि वह कौन था. मैं तीन महीने तक बिस्तर पर पड़ी रही और बहुत कमजोर हो गई थी.''