पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया(PFI) को भारत सरकार ने बैन कर दिया है. केंद्रीय गृह मंत्रालय ने आतंकी गतिविधियों में संलिप्तता के सबूत मिलने के बाद पीएफआई और उससे जुड़े आठ संगठनों पर पांच साल के लिए प्रतिबंध लगा दिया है. इस बीच बहुजन समाज पार्टी प्रमुख मायावती ने पीएफआई से आरएसएस की तुलना करते हुए कहा कि ये दोनों समान हैं और प्रतिबंध इन दोनों पर लगना चाहिए. उन्होंने RSS पर प्रतिबंध लगाने की मांग को अपना समर्थन दिया है.
बहुजन समाज पार्टी प्रमुख मायावती ने सोशल मीडिया के जरिए कहा, "केन्द्र द्वारा पीपुल्स फ्रण्ट आफ इण्डिया (पीएफआई) पर देश भर में कई प्रकार से टारगेट करके अन्ततः अब विधानसभा चुनावों से पहले उसे उसके आठ सहयोगी संगठनों के साथ प्रतिबन्ध लगा दिया है, उसे राजनीतिक स्वार्थ व संघ तुष्टीकरण की नीति मानकर यहां लोगों में संतोष कम व बेचैनी ज्यादा है."
बहुजन समाज पार्टी प्रमुख मायावती ने सोशल मीडिया के जरिए कहा, "यही कारण है कि विपक्षी पार्टियां सरकार की नीयत में खोट मानकर इस मुद्दे पर भी आक्रोशित व हमलावर हैं और आरएसएस पर भी बैन लगाने की मांग खुलेआम हो रही है कि अगर पीएफआई देश की आन्तरिक सुरक्षा के लिए खतरा है तो उस जैसी अन्य संगठनों पर भी बैन क्यों नहीं लगना चाहिए?".
इससे पहले आरजेडी अध्यक्ष लालू यादव ने कहा कि पीएफआई के साथ-साथ आरएसएस पर भी प्रतिबंध लगना चाहिए. मुस्लिमों के साथ गलत हो रहा है. इस बार बीजेपी का पताका नहीं फहराया जाएगा. वहीं केरल में कांग्रेस और उसके गठबंधन सहयोगी इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग या आईयूएमएल ने कथित तौर पर आतंकी गतिविधियों के लिए पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया या पीएफआई पर प्रतिबंध लगाने के केंद्र के फैसले का स्वागत करते हुए कहा है कि आरएसएस पर भी बैन लगना चाहिए.
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