संवैधानिक पदों का लंबा अनुभव रखती हैं मार्ग्रेट अल्वा, कई राज्यों की रही हैं राज्यपाल 

मार्ग्रेट अल्वा को संवैधानिक पद पर रहने का खासा अनुभव है. अल्वा गोवा की 17वीं राज्यपाल रहीं. वहीं उन्होंने गुजरात की 23वीं राज्यपाल के रूप में अपनी सेवाएं दीं. साथ ही अल्वा राजस्थान की 20वी और उत्तराखंड की चौथी राज्यपाल के रूप में भी काम किया. 

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मार्ग्रेट अल्वा (फाइल)
नई दिल्ली:

कांग्रेस नेता मार्ग्रेट अल्वा (Margaret Alva) उपराष्ट्रपति चुनाव (Vice-Presidential Election) में विपक्ष की साझा उम्मीदवार होंगी. अल्वा के नाम की घोषणा विपक्षी पार्टियों की मीटिंग के बाद एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने की है. मार्ग्रेट अल्वा केंद्रीय मंत्री रह चुकी हैं, वहीं कई राज्यों की राज्यपाल के रूप में भी अपनी सेवाएं दे चुकी हैं. उपराष्ट्रपति चुनाव में उनका मुकाबला एनडीए के उम्मीदवार जगदीप धनखड़ से होगा. धनखड़ फिलहाल पश्चिम बंगाल के राज्यपाल हैं. 

मार्ग्रेट अल्वा को संवैधानिक पद पर रहने का खासा अनुभव है. अल्वा गोवा की 17वीं राज्यपाल रहीं. वहीं उन्होंने गुजरात की 23वीं राज्यपाल के रूप में अपनी सेवाएं दीं. साथ ही अल्वा राजस्थान की 20वी और उत्तराखंड की चौथी राज्यपाल के रूप में भी काम किया. 

अल्वा का जन्म 1942 में मैंगलोर में हुआ था, वे तत्कालीन मद्रास प्रेसीडेंसी के विभिन्न हिस्सों में पली-बढ़ीं और इस दौरान उन्होंने स्थानीय संस्कृति को आत्मसात किया, जिसके कुछ हिस्से अब आंध्र, तेलंगाना, तमिलनाडु, कर्नाटक और केरल में हैं. उनके पिता भारतीय सिविल सेवा से जुड़े थे. अल्वा राज्यसभा के लिए लगातार चार बार और लोकसभा में एक कार्यकाल के लिए चुनी गईं. अल्वा ने प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी, राजीव गांधी और नरसिम्हा राव के तहत कई जिम्मेदारियां निभाईं. 

राज्यपाल बनने से पहले अल्वा कांग्रेस की संयुक्त सचिव और कैबिनेट मंत्री रह चुकी थीं. उनकी सास वायलेट अल्वा 1960 के दशक में राज्यसभा की स्पीकर थीं. अल्वा पेशे से वकील हैं. वकालत के दौरान वे कई कल्याणकारी संगठनों से जुड़ी रहीं. साथ ही उन्होंने महिलाओं और बच्चों से जुड़े मुद्दों पर काम किया. 

बता दें कि उपराष्ट्रपति चुनाव कार्यक्रम की घोषणा कर दी गई है. इसके तहत 6 अगस्त को उपराष्ट्रपति पद के लिए चुनाव होगा. इसके लिए नामांकन भरने की अंतिम तारीख 19 जुलाई है.

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