जालना: मराठा आरक्षण कार्यकर्ता मनोज जरांगे ने मराठा आरक्षण को लेकर नौ दिन से जारी अपना अनिश्चितकालीन अनशन बृहस्पतिवार को समाप्त कर दिया, लेकिन समुदाय को आरक्षण का लाभ देने पर दो महीने में कोई कदम नहीं उठाये जाने पर बड़े आंदोलन की चेतावनी दी. जरांगे ने कहा कि यदि दो महीने के भीतर कोई निर्णय नहीं लिया गया तो वह मुंबई तक एक विशाल मार्च का नेतृत्व करेंगे. उन्होंने कहा, ‘‘तब मुंबई के लोगों को सब्जियां तक नहीं मिल सकेंगी.''
जरांगे ने जालना जिले के अंतरवाली सरती गांव स्थित अपने अनशन स्थल पर यह घोषणा तब की जब राज्य के चार मंत्रियों ने उनसे मुलाकात कर अनिश्चितकालीन अनशन समाप्त करने का अनुरोध किया. बाद में मुंबई में पत्रकारों से बात करते हुए मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने अनशन समाप्त करने के लिए जरांगे को धन्यवाद दिया.
जरांगे ने कहा, ‘‘'मैंने अपना अनशन समाप्त किया है, लेकिन मराठा आरक्षण आंदोलन जारी है. क्रमिक अनशन भी जारी रहेगा.'' जरांगे ने सरकार से 24 दिसंबर तक निर्णय लेने को कहा. इस मौके पर उपस्थित मंत्रियों ने उनसे इस समयसीमा दो जनवरी तक बढ़ाने के लिए कहा, लेकिन वह नहीं माने.
बम्बई उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीशों न्यायूमूर्ति सुनील शुकरे, न्यायमूर्ति एम जी गायकवाड़ और कुछ अधिकारियों के एक प्रतिनिधिमंडल ने भी जरांगे से मुलाकात की. जरांगे ने पूरे महाराष्ट्र में मराठों के लिए आरक्षण की अपनी मांग दोहरायी. जरांगे ने ‘‘फुलप्रूफ आरक्षण'' की मांग की और राज्य सरकार से उन्हें इसका आश्वासन देने को कहा.
मंत्रिस्तरीय प्रतिनिधिमंडल में राज्य में सत्तारूढ़ तीनों दलों- शिवसेना, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (अजित पवार गुट) के मंत्री शामिल थे. इनमें उदय सामंत, संदीपन भुमरे, धनंजय मुंडे और अतुल सावे शामिल थे.
जरांगे ने कहा कि जब तक सभी मराठों को आरक्षण का लाभ नहीं मिल जाता, तब तक वह अपने घर में प्रवेश नहीं करेंगे. उन्होंने यह भी मांग की कि मराठा आरक्षण आंदोलनकारियों के खिलाफ दर्ज मामलों को रद्द करने के लिए एक तारीख तय की जाए.
उन्होंने सवाल किया, ‘‘13,000 से अधिक रिकॉर्ड पाए जाने के बाद भी मराठों को कुनबी जाति प्रमाण पत्र क्यों नहीं दिया जा सकता?'' मुंडे ने कहा कि जरांगे द्वारा उठाए गए अतिरिक्त मुद्दों को आठ दिसंबर को नागपुर में राज्य विधानमंडल के शीतकालीन सत्र के दौरान एक सर्वदलीय प्रस्ताव के माध्यम से लिया जाएगा.
जरांगे ने कहा, ‘‘उन्हें (सरकार को) मराठा समुदाय को स्थायी आरक्षण देने के लिए विभिन्न समितियों के काम के लिए 45 से 60 दिनों की आवश्यकता है. हम इस बीच गांव-गांव जाकर अपने लोगों से मिलेंगे. अगर हमारी मांगें नहीं मानी गईं तो हम मुंबई की सीमा पर बैठेंगे.'' जरांगे ने बुधवार शाम को कहा था कि वह पानी भी नहीं पीएंगे. इससे पहले बुधवार को दिन में एक सर्वदलीय बैठक में आरक्षण की मांग का समर्थन करते हुए दिन में एक प्रस्ताव पारित किया गया था और जरांगे से अनशन खत्म करने की अपील की गई थी.
जरांगे ने बृहस्पतिवार को मांग की कि सरकार मराठा समुदाय के आर्थिक और सामाजिक पिछड़ेपन के सर्वेक्षण के लिए पर्याप्त धन मुहैया कराए और कई टीमें तैनात करे. उन्होंने कहा कि मराठों को कुनबी जाति प्रमाण पत्र देने वाला एक सरकारी आदेश पारित किया जाना चाहिए और 'पूरे' (महाराष्ट्र) शब्द को शामिल किया जाना चाहिए.
सरकार ने मराठवाड़ा क्षेत्र के मराठों को कुनबी प्रमाणपत्र देने की प्रक्रिया पहले ही शुरू कर दी है, जो उन्हें या उनके पूर्वजों को कुनबी बताने वाले पुराने रिकॉर्ड पेश कर सकते हैं. कुनबी, एक कृषक समुदाय है जिसे अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) श्रेणी में आरक्षण मिलता है.
जरांगे ने सवाल किया, ‘‘जब अन्य जातियों को आरक्षण का लाभ मिल रहा है तो मराठों को क्यों नहीं मिल रहा?'' प्रतिनिधिमंडल के सदस्यों ने उनसे कहा कि आरक्षण ''एक या दो दिन में'' नहीं दिया जा सकता, लेकिन मराठा समुदाय को यह जरूर मिलेगा. उन्होंने कहा कि समुदाय का पिछड़ापन अभी तक स्थापित नहीं हुआ है और उच्चतम न्यायालय के आदेश के अनुसार साक्ष्य इकट्ठा करने का काम चल रहा है.
प्रतिनिधिमंडल ने जरांगे को बताया कि जल्दबाजी में लिया गया निर्णय न्यायिक पड़ताल में टिक नहीं पाएगा और समुदाय के पिछड़ेपन को मापने के लिए एक नया आयोग बनाया जा रहा है. मंत्रियों और सेवानिवृत्त न्यायाधीशों के साथ चर्चा का सीधा प्रसारण हुआ, जिस दौरान जरांगे के हजारों समर्थक उपस्थित थे.
जरांगे ने कहा, ‘‘हमें ‘फुलप्रूफ' आरक्षण चाहिए. मुझसे वादा करिये. यदि आप अपना वादा तोड़ते हैं, तो मैं सरकार को एक मिनट भी अधिक नहीं दूंगा.'' मराठा महाराष्ट्र में शिक्षा और नौकरियों में आरक्षण की मांग कर रहे हैं. मांग को लेकर जरांगे द्वारा अनिश्चितकालीन अनशन की घोषणा के बाद आंदोलन को नयी गति मिली. मराठा आरक्षण आंदोलन के दौरान हाल ही में राज्य भर में हिंसा भड़क उठी थी और कई विधायकों के घरों में आग लगा दी गई थी.
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