प्रस्तावित आपराधिक कानून में जघन्य अपराधों से निपटने के लिए कई नये प्रावधान

अधिकारियों ने कहा कि जैसा कि प्रचलन रहा है, मौजूदा कानून कभी-कभी भारत के बाहर स्थित भगोड़ों और साजिशकर्ताओं के खिलाफ कार्रवाई करने में सक्षम नहीं होता है. नया विधेयक पुलिस को ऐसे भगोड़ों को पकड़ने, उनके कृत्यों के लिए दंडित करने और उनकी संलिप्तता के कारण प्राप्त वित्तीय लाभ की वसूली करने का अधिकार देगा.

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प्रतीकात्मक तस्वीर

नई दिल्ली: भारतीय दंड संहिता 1860 की जगह लेने वाली प्रस्तावित भारतीय न्याय संहिता, 2023 में अपराध की लगातार बदलती प्रकृति को देखते हुए तथा आतंकवाद एवं संगठित गिरोह द्वारा किये जाने वाले जघन्य अपराधों से निपटने के लिए कई विशेष प्रावधान पेश किए गए हैं. अधिकारियों ने शनिवार को यह जानकारी दी. इन प्रावधानों का उद्देश्य न केवल संबंधित शब्दों को परिभाषित करना, बल्कि ऐसे अपराधों के कारण अर्जित कमाई के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करना भी है.

अधिकारियों ने कहा कि जैसा कि प्रचलन रहा है, मौजूदा कानून कभी-कभी भारत के बाहर स्थित भगोड़ों और साजिशकर्ताओं के खिलाफ कार्रवाई करने में सक्षम नहीं होता है. नया विधेयक पुलिस को ऐसे भगोड़ों को पकड़ने, उनके कृत्यों के लिए दंडित करने और उनकी संलिप्तता के कारण प्राप्त वित्तीय लाभ की वसूली करने का अधिकार देगा.

प्रस्तावित कानून के माध्यम से आपराधिक गिरोह से सांठगांठ करने वालों को भी न्याय के कटघरे में खड़ा किया जाएगा. अधिकारियों ने बताया कि भारत के बाहर के लोगों द्वारा आतंकवादी कृत्यों और संगठित अपराध को बढ़ावा देना अब दंडनीय बना दिया गया है.

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प्रस्तावित कानून के अनुसार, पुलिस को आपराधिक साजिश, संगठित अपराध और आतंकवाद के बाहरी संबंधों का पता लगाने में सक्षम बनाने के लिए, भारत से बाहर बैठे किसी व्यक्ति द्वारा इस देश में किए गए अपराध के लिए उकसाया जाना अब अपराध की श्रेणी में आएगा. संगठित अपराध को लेकर इस प्रस्तावित कानून में एक नई धारा जोड़ी गई है. यह धारा किसी संगठित गिरोह के सदस्य द्वारा या ऐसे सिंडिकेट की ओर से प्रत्यक्ष या परोक्ष सामग्री और वित्तीय लाभ अर्जित करने के लिए हिंसा, जोर-जबरदस्ती या अन्य अवैध साधनों का इस्तेमाल करने वाली गैरकानूनी गतिविधियों के लिए दंड का प्रावधान करती है.

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लाभ में मूर्त और अमूर्त दोनों शामिल होंगे. तीन या अधिक व्यक्तियों का एक समूह, जो अकेले या सामूहिक रूप से कार्य कर रहा हो, और एक या अधिक गंभीर अपराधों को अंजाम देने में शामिल हो, उसे संगठित अपराध ‘सिंडिकेट' कहा जा सकता है.

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यदि किसी गैरकानूनी कार्य के परिणामस्वरूप किसी व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है तो यह सजा के रूप में मृत्युदंड या आजीवन कारावास का प्रावधान करती है. अन्य मामलों में, ऐसे सिंडिकेट के सदस्य के लिए न्यूनतम पांच साल की सजा का प्रावधान किया गया है, जिसे आजीवन कारावास तक बढ़ाई जा सकती है.

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आतंकवादी कृत्य: घातक हथियारों और किसी अन्य जीवन को खतरे में डालने वाले पदार्थ का उपयोग करके आम जनता को डराना या सार्वजनिक व्यवस्था को परेशान करना और भारत की एकता, अखंडता और सुरक्षा को खतरे में डालने के लिए की गई कोई भी गतिविधि इस नई धारा में शामिल है.

इसमें सरकार को कुछ कार्य करने के लिए मजबूर करने या कुछ कार्य करने से विरत रहने के लिए किसी व्यक्ति के अपहरण और बंधक बनाने के कृत्यों को भी शामिल किया गया है. इसके अलावा, गैर-कानूनी गतिविधि निरोधक कानून (यूएपीए) की दूसरी अनुसूची के अंतर्गत आने वाला कोई भी कृत्य आतंकवादी कृत्य मानता है.

इस धारा के तहत प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से आतंकवादी कृत्य में शामिल किसी भी व्यक्ति को आतंकवादी माना जाएगा. इसी प्रकार, आतंकवादी कृत्यों में शामिल व्यक्तियों या इनके स्वामित्व या प्रबंधन वाली किसी भी संस्था को आतंकवादी संगठन माना जाएगा. भगोड़ों की एकपक्षीय सुनवाई और सजा: अपराधियों के फरार होने/भाग निकलने के खतरे से निपटने के लिए विधेयक में एक विशेष प्रावधान जोड़ा गया है.

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