मनोज जरांगे ने आमरण अनशन किया खत्म, जानें कोर्ट से लेकर आजाद मैदान तक क्या हुआ

आंदोलनकारी नेता मनोज जरांगे पाटिल ने 5 दिन का उपवास खत्म किया. उन्होंने कहा कि हम जीत गए.

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  • मनोज जरांगे पाटिल ने महाराष्ट्र कैबिनेट उप-समिति के प्रस्ताव को स्वीकार कर अपना आमरण अनशन तोड़ दिया.
  • राधाकृष्ण विखे पाटिल ने मनोज जरांगे का सरकार के प्रस्ताव को स्वीकार करने के लिए धन्यवाद किया.
  • आजाद मैदान में मंत्रियों और मनोज जरांगे पाटिल के बीच पहली औपचारिक बातचीत हुई.
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मराठा आरक्षण कार्यकर्ता मनोज जरांगे पाटिल ने अपना आमरण अनशन तोड़ दिया है. उन्होंने कहा कि हम जीत गए. उन्होंने मराठा आरक्षण पर महाराष्ट्र कैबिनेट उप-समिति द्वारा दिए गए सरकारी प्रस्ताव (जीआर) को स्वीकार कर लिया और अपना अनशन तोड़ दिया. कैबिनेट उप-समिति के प्रमुख राधाकृष्ण विखे पाटिल ने सरकार के प्रस्ताव को स्वीकार करने और अपना अनशन तोड़ने के लिए मनोज जरांगे का धन्यवाद किया.

मराठा आरक्षण आंदोलन को एक बड़ी सफलता देते हुए, महाराष्ट्र सरकार ने 2 सितंबर महत्वपूर्ण सरकारी आदेश (GR) जारी किया है, जिसमें घोषणा की गई है कि हैदराबाद राजपत्र के ऐतिहासिक अभिलेखों को मराठा समुदाय के सदस्यों को कुनबी जाति प्रमाण पत्र जारी करने के लिए वैध साक्ष्य माना जाएगा. यह कदम मराठों को कुनबी - एक अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) श्रेणी - के बराबर करता है, जिससे उन्हें शिक्षा और सरकारी नौकरियों में आरक्षण का लाभ मिल सकेगा.

जीआर में निर्दिष्ट किया गया है कि पूर्ववर्ती हैदराबाद राज्य की अधिसूचनाएँ, जिनमें 1900, 1902, 1918, 1923, 1926, 1928 और 1948 तक की अन्य अधिसूचनाएँ शामिल हैं, जिनमें मराठों को कुनबी या पिछड़ा वर्ग के रूप में मान्यता दी गई है, सत्यापन के लिए उपयोग की जाएँगी. पूर्व में हैदराबाद राज्य के अधीन रहे क्षेत्रों, जैसे मराठवाड़ा के कुछ हिस्सों के मराठों पर लागू, यह प्रस्ताव आवेदनों, वंशावली अभिलेखों और हलफनामों की जाँच के लिए जिला-स्तरीय समितियों को शामिल करते हुए एक विस्तृत प्रक्रिया की रूपरेखा प्रस्तुत करता है. इसमें यह अनिवार्य किया गया है कि प्रमाण पत्र निर्धारित समय-सीमा के भीतर जारी किए जाएँ, साथ ही धोखाधड़ी वाले दावों के विरुद्ध अपील और सख्त कार्रवाई का प्रावधान भी किया गया है.

यह निर्णय कैबिनेट उपसमिति के विचार-विमर्श के बाद कार्यकर्ता मनोज जरांगे पाटिल की अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल के बीच आया है, और इसे ओबीसी श्रेणी के अंतर्गत मराठा आरक्षण की लंबे समय से चली आ रही माँग के संभावित समाधान के रूप में देखा जा रहा है. जीआर में स्थानीय अधिकारियों को इस निर्णय का प्रचार करने और औरंगाबाद, बीड, जालना, नांदेड़, उस्मानाबाद, परभणी आदि प्रभावित जिलों में इसके सुचारू कार्यान्वयन को सुगम बनाने का भी निर्देश दिया गया है.

'आज मुझे गरीबों की ताकत का एहसास हुआ...'

मंत्रियों के साथ बैठक के बाद अपने समर्थकों को संबोधित करते हुए मनोज जरांगे पाटिल ने कहा कि हम आपकी ताकत से जीते हैं. आज मुझे गरीबों की ताकत का एहसास हुआ.

मुंबई के आजाद मैदान में कैबिनेट उप-समिति की बैठक में मंत्री राधाकृष्ण विखे पाटिल, माणिकराव कोकाटे और शिवेंद्र राजे भोसले ने श्री पाटिल से मुलाकात की. यह सरकार और आंदोलन नेतृत्व के बीच पहली औपचारिक बातचीत थी. बैठक के बाद पाटिल ने घोषणा की कि सरकार के प्रस्ताव जारी होते ही उनके समर्थक रात 9 बजे तक मुंबई खाली कर देंगे.

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पाटिल 29 अगस्त से भूख हड़ताल पर थे और मराठवाड़ा व पश्चिमी महाराष्ट्र के मराठा समुदाय के लिए शिक्षा और नौकरियों में आरक्षण की मांग कर रहे थे. उन्होंने कहा कि हैदराबाद गजट ऐतिहासिक प्रमाण है, जिससे मराठा समुदाय की पहचान को पुनर्स्थापित किया जा सकता है.

आंदोलन के कारण मुंबई में जनजीवन प्रभावित हुआ, जिस पर बॉम्बे हाईकोर्ट ने सख्त रुख अपनाया. अदालत ने चेतावनी दी कि अगर आजाद मैदान खाली नहीं हुआ, तो अवमानना की कार्रवाई की जाएगी. अदालत ने आंदोलनकारियों को "उल्लंघनकर्ता" बताते हुए कहा कि उन्हें तुरंत हटना चाहिए.

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  • मराठा आरक्षण आंदोलन को लेकर मुंबई हाईकोर्ट ने मंगलवार को सख्त रुख अपनाते हुए आंदोलनकारी नेता मनोज जरांगे और उनके समर्थकों को दोपहर 3 बजे तक आज़ाद मैदान खाली करने का निर्देश दिया. अदालत ने स्पष्ट किया कि यदि आदेश का पालन नहीं हुआ, तो कड़ी कार्रवाई की जाएगी, जिसमें भारी जुर्माना और अवमानना की कार्यवाही भी शामिल हो सकती है.
  • कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश श्री चंद्रशेखर और न्यायमूर्ति आरती साठे की पीठ ने कहा कि आंदोलनकारियों ने कानून का उल्लंघन किया है और बिना अनुमति के सार्वजनिक स्थल पर कब्जा करने का कोई अधिकार नहीं है. अदालत ने टिप्पणी की, "यह बहुत गंभीर स्थिति है. हम राज्य सरकार से भी संतुष्ट नहीं हैं. ऐसा प्रतीत होता है कि प्रशासनिक स्तर पर भी चूक हुई है."
  • राज्य सरकार के वकील ने अदालत को बताया कि पुलिस ने सभी स्थानों पर जाकर लोगों से हटने की अपील की है. भीड़ में कमी आई है, लेकिन अभी भी कई स्थानों पर लोग डटे हुए हैं. उन्होंने कहा कि पुलिस कोर्ट के आदेशों का पालन कर रही है और उनके पास कार्रवाई के फोटो व वीडियो प्रमाण मौजूद हैं.
  • अदालत ने यह भी कहा कि आयोजकों को उस स्थिति की जिम्मेदारी लेनी होगी, जहां 5000 से अधिक लोग एकत्र हुए और आम जनता को परेशानी का सामना करना पड़ा. इस मामले की अगली सुनवाई बुधवार दोपहर 1 बजे निर्धारित की गई है.
  • कोर्ट ने उम्मीद जताई कि मनोज जरांगे अपने समर्थकों से अपील करेंगे कि वे स्थान खाली करें. अदालत ने कहा, "बीते कुछ दिनों में हमने काफी परेशानियाँ देखी हैं. आम जनता को कठिनाइयों का सामना करना पड़ा है. अब शहर को सामान्य स्थिति में लौटना चाहिए."

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