वीर भूमि में ही हुई थी राजीव गांधी की अंत्येष्टि, क्या जहां होता है अंतिम संस्कार वहीं बनती है समाधि?

पूर्व पीएम मनमोहन सिंह की समाधि (Manmohan Singh Mausoleum) के लिए जगह को लेकर कांग्रेस की मांग के बीच ये सवाल तेजी से उठ रहा है कि क्या अंतिम संस्कार वाली जगह पर ही समाधि बनाई जाती है. ये कितना सच है, यहां जानिए.

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अंत्येष्टि और समाधि को लेकर नियम जानिए.

नई दिल्ली:

देश के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का गुरुवार को 92 साल की उम्र में निधन (Manmohan Singh Death) हो गया. आज उनका अंतिम संस्कार होना है. लेकिन इस बीच जगह को लेकर राजनीति शुरू हो गई है. कांग्रेस चाहती है कि पूर्व पीएम का अंतिम संस्कार वहीं हो, जिस जगह पर समाधि बनाई जाएगी. लेकिन केंद्र अभी जगह तय नहीं कर पाई है. कांग्रेस नेता ये चाहते हैं कि जहां पूर्व पीएम के स्मारक बने हैं, वहीं मनमोहन सिंह का भी स्मारक बने. बता दें कि पूर्व पीएम जवाहरलाल नेहरू, इंदिरा गांधी, राजीव गांधी, चंद्रशेखर और अटल विहारी बाजपेयी की समाधि राजघाट पर बनी है. 

बात अगर पूर्व पीएम राजीव गांधी की करें तो उनकी अंत्येष्टि 24 मई 1991 को वीर भूमि पर यमुना नदी के तट पर की गई थी. यहीं पर उनका स्मारक स्थल बना हुआ है. यह वही जगह है जहां पर उनकी मां इंदिरा गांधी, भाई संजय गांधी और नाना जवाहरलाल नेहरू का अंतिम संस्कार किया गया था. बाद में राजघाट के पास अलग से इन सभी की समाधि बना दी गई. अब सवाल ये उठ रहा है कि क्या मनमोहन सिंह की समाधि भी यही बनेगी. हालांकि अब तक समाधि के लिए जगह तय नहीं हो सकी है. 

क्या अंत्येष्टि वाली जगह पर ही समाधि बनती है? 

अंत्येष्ट वाली जगह पर ही समाधि बनाने का कोई संवैधानिक नियम तो देश में नहीं है. लेकिन अगर इतिहास पर नजर डालें तो ऐसा कई बार हुआ है कि जहां पर पूर्व पीएम का अंतिम संस्कार किया गया था, उसके पास ही उनकी समाधि भी बनाई गई. पू्र्व पीएम जवाहरलाल नेहरू, इंदिरा गांधी, राजीव गांधी उनमें से एक हैं. इन सभी का अंतिम संस्कार जहां किया गया, उसके पास ही इनका स्मृति स्थल भी बनाया गया था. अब मनमोहन सिंह के मामले में भी ऐसी ही मांग कांग्रेस कर रही है. कांग्रेस का कहना है कि जहां पर अंतिम संस्कार हो, वहीं पर समाधि भी बने. लेकिन केंद्र अब तक कोई फैसला जगह पर नहीं कर पाया है.

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समाधि बनाने के लिए फाइल की प्रक्रिया जानिए 

  • समाधि बनाने की प्रक्रिया केंद्र सरकार के कई मंत्रालयों से होकर गुजरती है.
  • समाधि स्थल बनाने और संरक्षण का प्रबंधन संस्कृति मंत्रालय करता है.
  • भूमि आवंटन और निर्माण योजना में सहयोग का काम आवास और शहरी मामलों का मंत्रालय करता है.
  • समाधि स्थल बनाने के लिए सुरक्षा और राजकीय सम्मान की प्रक्रिया गृह मंत्रालय सुनिश्चित करता है.
  • समाधि के लिए जगह का चयन और मंजूरी दिल्ली विकास प्राधिकरण (DDA) और राजघाट क्षेत्र समिति के जरिए होता है.

कांग्रेस की मांग और सरकार का पक्ष जानिए

कांग्रेस ने यह मुद्दा तब उठाया जब केंद्रीय गृह मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री सिंह का अंतिम संस्कार शनिवार को पूरे राजकीय सम्मान के साथ नयी दिल्ली के निगमबोध घाट पर पूर्वाह्न 11.45 बजे किया जाएगा. कांग्रेस नेता कह रहे है कि यह पहले सिख पीएम का अपमान है. उनका तो ये तक कहना है कि लोग जानना चाहते हैं कि सरकार अब तक समाधि के लिए जगह क्यों नहीं ढूंढ पाई है. जब कि सरकार कह रही है कि अंतिम संस्कार निगमबोध घाट पर होगा. समाधि के लिए जगह जल्द ही आवंटित कर दी जाएगी. लेकिन कांग्रेस ऐसा नहीं चाहती. अंत्येष्ट और समाधि के लिए एक ही जगह की मांग कर रही है. 

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समाधि को लेकर क्या है नियम?

समाधि स्थल बनाए जाने के लिए केंद्र सरकार की स्वीकृति की जरूरत होती है. राजघाट परिसर में समाधि स्थल बनाया जाएगा या नहीं, ये फैसला सरकार लेती है. राष्ट्रीय स्मारक स्थल के रूप में स्थापित होने की वजह से दिल्ली के राजघाट परिसर और उसके आसपास समाधि स्थल बनाए जाते हैं. राजघाट में जगह सीमित होने की वजह से समाधि के लिए जगह का आवंटन बहुत ही चयनित और अहम व्यक्तियों के लिए किया जाता है. 

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किन नेताओं की बनती है समाधि?

समाधि स्थल सिर्फ उन नेताओं के ही बनाए जाते हैं, जिनका योगदान राष्ट्रीय और ऐतिहासिक महत्व का रहा हो. खासकर देश के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, उप-प्रधानमंत्री, और कभी-कभी राष्ट्रीय स्तर पर महत्व रखने वाले लोगों के लिए भी ये फैसला लिया जाता है. 

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