मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने अपने इस्तीफे देने के फैसले को लेकर कहा कि मैं बहुत ही दुखी था. इसीलिए मैंने इस्तीफा देने का फैसला किया था. इस मुद्दे पर पहली बार बोलते हुए उन्होंने एनडीटीवी के साथ एक खास बातचीत में कहा कि मुझे लगा कि जब लोगों को मुझ पर भरोसा ही नहीं है तो फिर मुख्यमंत्री रहने का क्या मतलब है. साथ ही उन्होंने बताया कि आखिर क्यों उन्होंने इस्तीफा देने का फैसला वापस लिया. बता दें कि मणिपुर हिंसा के दौरान अब तक सौ से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है.
मणिपुर सीएम ने कहा, "मैं अपने सहकर्मियों से कहता था कि लोग राजनेताओं को उनके व्यवहार के चलते गाली देते हैं. इसलिए, राजनेताओं को अपना व्यवहार और कार्यशैली को बदलना होगा, जिससे लोग जैसा दूसरों का सम्मान करते हैं, वैसा हमारा भी सम्मान करें. यही मेरा सिद्धांत था. तो मैंने सोचा कि यदि कोई मेरी इज्जत ही नहीं कर रहा है तो इसका क्या मतलब है."
उन्होंने इस्तीफा देने से जाने से पहले अपने घर के बाहर जुटी भीड़ को लेकर कहा कि मैं इससे काफी आश्चर्यचकित था. जब मैंने भीड़ को देखा तो मैंने भगवान और अपने लोगों को धन्यवाद दिया जो मुझसे इतना प्यार करते हैं. उन्होंने मुझे जो विश्वास दिया, उसके कारण मैंने अपना निर्णय बदला. उन्होंने कहा कि राज्य और देश के लोगों से मैंने वादा किया कि मैं देश और राज्य के लिए काम करता रहूंगा.
मणिपुर सीएम ने कहा कि राज्य में शांति के लिए बातचीत करने की जरूरत है. उन्होंने कहा, "मैंने कुछ ही घंटे पहले अपने कुकी सहकर्मियों को टेलीफोन किया और अनुरोध किया कि जो हो गया है वो हो गया है. पति पत्नी में भी झगड़ा होता है, दो महीने हो गए हैं. हमने काफी भुगता है. कृपया वापस आ जाइए. हमें साथ रहना है, साथ जीना है." साथ ही उन्होंने कहा कि मैं मणिपुर के लोगों को धन्यवाद देता हूं कि आप लोगों का समर्थन और प्रेम मिला. आप लोगों की वजह से ही शांति आ रही है. साथ ही उन्होंने हर वर्ग और समुदाय के लोगों से शांति की अपील की.
बता दें कि मणिपुर में बहुसंख्यक मैतेई और अल्पसंख्यक कुकी समुदाय के बीच तीन मई को जातीय संघर्ष शुरू हुआ था. इस संघर्ष में अब तक 100 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है. साथ ही इसके कारण हजारों की संख्या में लोगों को विस्थापित होना पड़ा है.
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