पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव (Bengal Assembly election) में धमाकेदार जीत के बाद तृणमूल कांग्रेस (Trinamool Congress) ने देश के अन्य हिस्सों में अपनी पैठ जमाने की कोशिश तेज कर दी है. ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) खुद दिल्ली के दौरे पर हैं. पूर्वोत्तर और गोवा जैसे राज्यों के बाद तृणमूल कांग्रेस ने देश के अन्य हिस्सों से भी नेताओं को अपने पाले में लाने की कवायद तेज कर दी है. इनमें से ज्यादातर कांग्रेस से आए नेता रहे हैं. पार्टी ने इस रणनीति के साथ साफ संकेत दिया है कि वह 2024 के आम चुनाव में बीजेपी से अकेले मोर्चा लेने के लिए तैयार है. कीर्ति आजाद (Kirti Azad) पूर्व क्रिकेटर हैं,टीएमसी से पहले कांग्रेस और बीजेपी में रह चुके हैं.
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अब उन्होंने ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) के साथ नई सियासी पारी शुरू करने का फैसला किया है. अशोक तंवर राहुल गांधी के पूर्व सहयोगी रहे हैं. जबकि पवन वर्मा जेडीयू के राज्यसभा सांसद हैं, जिन्हें पार्टी से निष्कासित किया जा चुका है. पवन वर्मा (Pawan Verma) का बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से रिश्ते खराब हो गए थे और बाद में उन्हें पार्टी से भी निकाल दिया गया. वर्मा को जनवरी 2020 में जेडीयू से निकाला गया था.
उसी समय जेडीयू के उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर ने भी पार्टी छोड़ दी थी. प्रशांत किशोर अब पूर्णकालिक तरीके से चुनावी रणनीतिकार का काम कर रहे हैं और तृणमूल कांग्रेस को राष्ट्रीय स्तर पर मजबूत दल के तौर पर पेश करने में जुटे हैं. कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने कांग्रेस से दलबदल करने वाले इन नेताओं को अवसरवादी करार दिया है. साथ ही उन्होंने टीएमसी को बीजेपी का मुखौटा करार दिया है, जो सत्ताधारी दल के खिलाफ व्यापक दायरे वाले विपक्षी मोर्चे की संभावनाओं को चोट पहुंचा रही है. इसका सियासी गणित क्या है.
उन्होंने कहा, "देश के 63 फीसदी लोगों ने 2019 में बीजेपी को वोट नहीं दिया था. कांग्रेस को 20 फीसदी लोगों ने वोट दिया था. जबकि तृणमूल को 4 फीसदी वोट मिले. ऐसे में कांग्रेस के बिना क्या पाने की उम्मीद है." कांग्रेस के इन नेताओं के पहले भी कई दिग्गज पाला बदलकर टीएमसी में जा चुके हैं. राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के बेटे अभिजीत मुखर्जी, असम की सिल्चर सीट से कांग्रेस सांसद रहीं सुष्मिता देव के अलावा लुईजिन्हो फलेरियो भी हाल में पाला बदल चुके हैं.
फलेरियो गोवा के पूर्व मुख्यमंत्री रहे हैं. पार्टी में हर नए नेता की एंट्री तृणमूल कांग्रेस का बंगाल के बाहर पैर जमाने की ओर दिशा में उठाया गया कदम है. अशोक तंवर (Ashok Tanwar) हरियाणा से ताल्लुक रखते हैं, जहां किसान आंदोलन बड़ा प्रभावी रहा है.