- मालेगांव ब्लास्ट मामले में एनआईए की विशेष अदालत ने साध्वी प्रज्ञा ठाकुर समेत सभी आरोपियों को बरी कर दिया है.
- इस धमाके में छह लोगों की मौत हुई थी और मामला लगभग 17 वर्षों तक चला. आज 31 जुलाई को कोर्ट ने फैसला सुनाया.
- अदालत ने अभियोजन और बचाव पक्ष की दलीलों के बाद अपनी अंतिम राय 19 अप्रैल को सुरक्षित रख ली थी.
मालेगांव बम ब्लास्ट मामले में 17 साल के लंबे इंतजार के बाद गुरुवार को राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) की विशेष अदालत ने फैसला सुनाया. सबूत के अभाव में कोर्ट ने सभी सातों आरोपियों को बरी कर दिया. कोर्ट ने कहा कि एटीएस और एनआईए की चार्जशीट में काफी अंतर है. अभियोजन पक्ष यह साबित नहीं कर पाया कि बम मोटरसाइकल में था. प्रसाद पुरोहित के खिलाफ कोई सबूत नहीं मिला कि उन्होंने बम बनाया या उसे सप्लाई किया. यह भी साबित नहीं हुआ कि बम किसने लगाया. घटना के बाद विशेषज्ञों ने सबूत इकट्ठा नहीं किए, जिससे सबूतों में गड़बड़ी हुई. कोर्ट ने यह भी कहा कि धमाके के बाद पंचनामा ठीक से नहीं किया गया. घटनास्थल से फिंगरप्रिंट नहीं लिए गए और बाइक का चेसिस नंबर कभी रिकवर नहीं हुआ. साथ ही, वह बाइक साध्वी प्रज्ञा के नाम से थी, यह भी सिद्ध नहीं हो पाया.
मालेगांव धमाके में छह लोगों की मौत हुई थी. ये मामला करीब 17 साल तक चलता रहा. ट्रायल के दौरान 34 गवाह बयान से पलट गए थे. अदालत ने अभियोजन और बचाव पक्ष की ओर से सुनवाई और अंतिम दलीलें पूरी करने के बाद 19 अप्रैल को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. अब कोर्ट ने सबूतों के अभाव में इन आरोपियों को बरी कर दिया. पीड़ितों के वकील ने इस फैसले के खिलाफ हाई कोर्ट जाने की बात कही है.
- 29 सितंबर 2008: रात 9:35 बजे मालेगांव में मस्जिद के पास धमाका, 6 की मौत, 101 घायल
- 30 सितंबर 2008: तड़के 3 बजे FIR दर्ज
- 21 अक्टूबर 2008: ATS को जांच
- 20 जनवरी 2009: ATS की चार्जशीट
- 13 अप्रैल 2011: NIA के हाथ जांच
- 21 अप्रैल 2011: ATS कीसप्लीमेंट्री चार्जशीट
- 13 मई 2016: NIA की सप्लीमेंट्री चार्जशीट
- 2017: सभी आरोपी जमानत पर बाहर
- 27 दिसंबर 2017: NIA कोर्ट में चार्ज फ्रेमिंग की प्रक्रिया
- 30 अक्टूबर 2018: 7 आरोपियों के खिलाफ चार्ज फ्रेम
- 3 दिसंबर 2018: पहला गवाह पेश
- 4 सितंबर 2023: अंतिम गवाह पेश
- 12 अगस्त 2024: गवाहों के बयान की प्रक्रिया पूरी
- 25 जुलाई से 27 सितंबर 2024: प्रॉसिक्यूशन की बहस
- 30 सितंबर से 3 अप्रैल 2025: डिफेंस की बहस
- 4 अप्रैल से 19 अप्रैल 2025 तक प्रॉसिक्यूशन की जवाबी बहस
- 19 अप्रैल 2025: अदालत ने फैसला सुरक्षित रख लिया
- 31 जुलाई 2025: कोर्ट ने सभी आरोपियों को बरी कर दिया