रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने शनिवार को कहा कि पिछले नौ साल में आत्मनिर्भर बनने के लिए रक्षा क्षेत्र में कई बड़े कदम उठाए गए हैं और सशस्त्र बलों द्वारा उपयोग में लाए जा रहे ज्यादातर हथियार स्वदेशी हैं. ‘आत्मनिर्भरता' के महत्व को रेखांकित करते हुए राजनाथ सिंह ने कहा, ‘‘आत्मनिर्भरता के बगैर हम अपने राष्ट्रीय हितों के अनुरूप वैश्विक मुद्दों पर स्वतंत्र रूप से निर्णय नहीं ले सकते हैं.''
केन्द्रीय मंत्री ने कहा, ‘‘रक्षा उपकरणों के लिए आयात पर निर्भरता भारत की सामरिक स्वायत्तता में बाधक है. आयात व्यापार संतुलन पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है और यह हमारी अर्थव्यवस्था के लिए नुकसानदेह है.''
एक निजी समाचार चैनल द्वारा आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए रक्षा मंत्री ने कहा कि आत्मनिर्भरता से ना केवल अर्थव्यवस्था मजबूत होती है बल्कि रोजगार के अवसर भी बढ़ते हैं.
राजनाथ सिंह ने कहा कि पिछले नौ साल में रक्षा क्षेत्र ने आत्मनिर्भरता हासिल करने की दिशा में महत्वपूर्ण प्रगति की है और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी नीत केन्द्र सरकार के प्रयासों का नतीजा है कि सशस्त्र बलों द्वारा उपयोग किए जा रहे अधिकांश हथियार भारत में निर्मित हैं.
केन्द्रीय मंत्री ने रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता हासिल करने के लिए सरकार द्वारा उठाए गए विभिन्न कदमों की जानकारी दी.
सरकार द्वारा उठाए गए कदमों में आठ सकारात्मक स्वदेशीकरण की सूची शामिल हैं... चार सूची सैन्य मामलों के विभाग द्वारा सशस्त्र बलों के लिए है जिनमें 410 हथियार और सशस्त्र बलों के लिए मंच शामिल हैं, जबकि चार अन्य सूची रक्षा उत्पादन विभाग की है जिनमें 4,666 चीजें शामिल हैं.
राजनाथ सिंह ने इस बात पर जोर दिया कि 'नया भारत' स्वदेश में आईएनएस विक्रांत जैसे विमान वाहक पोत, तेजस जैसे हल्के लड़ाकू विमान बना रहा है और अब देश हर क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ रहा है.
भारत की जी-20 की अध्यक्षता पर सिंह ने कहा कि यह अंतरराष्ट्रीय समुदाय में भारत के बढ़ते कद को दर्शाता है.
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