4 साल में 4 बार बदला सियासी गणित, आंकड़ों से समझिए- महाराष्ट्र में कौन कितना ताकतवर?

एनसीपी की महाराष्ट्र यूनिट के अध्यक्ष जयंत पाटिल का कहना है कि कुछ विधायक उनके संपर्क में हैं. उन्होंने कहा कि बगावत करने वाले विधायकों पर कानूनी कार्रवाई की जाएगी. अभी 44 विधायक हमारे साथ हैं. आइए जानते हैं अजित पवार की बगावत के बाद महाराष्ट्र में नंबर गेम क्या रह गया है?

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अजित पवार चार साल में तीसरी बार राज्य के उपमुख्यमंत्री पद पर काबिज हुए हैं.

नई दिल्ली:

महाराष्ट्र की सियासत में रविवार को बड़ा उलटफेर हो गया. शरद पवार के भतीजे अजित पवार (Ajit Pawar Coup) ने बगावत कर दी और बीजेपी-शिवसेना सरकार (Maharashtra Government) में शामिल हो गए. एनडीए (NDA) ने उन्हें डिप्टी सीएम भी बना दिया है. अजित पवार के 8 समर्थक विधायकों को भी मंत्री पद दिया गया है. इसके साथ महाराष्ट्र में सियासी समीकरण 2019 के बाद फिर से बदल गए हैं. इस बीच एनसीपी ने बगावत करने वाले अजित पवार समेत 9 विधायकों पर एक्शन लेते हुए उन्हें पार्टी से बर्खास्त कर दिया है. महाराष्ट्र में 2019 से अब तक चार बार सियासी समीकरण बदले हैं. वहीं, अजित पवार 4 साल में तीन बार डिप्टी सीएम की शपथ ले चुके हैं.

कब कब डिप्टी सीएम बने अजित पवार
महाराष्ट्र में 2019 से अब तक 4 बार शपथ ग्रहण हो चुका है. अजित पवार चार साल में तीसरी बार राज्य के उपमुख्यमंत्री पद पर काबिज हुए हैं. नवंबर 2019 में अजित पवार ने बीजेपी सरकार में डिप्टी सीएम पद की शपथ ली. सरकार केवल 80 घंटे चली थी. इसके बाद उन्होंने उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली राज्य की पिछली महा विकास आघाडी (एमवीए) सरकार में भी उपमुख्यमंत्री पद संभाला था. महाराष्ट्र में एमवीए सरकार नवंबर 2019 से जून 2022 तक सत्ता में थी. इसके बाद 30 जून 2022 को एकनाथ शिंदे ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली. चौथा शपथ ग्रहण एक बार फिर अजित पवार का हुआ. उन्होंने 2 जुलाई 2023 को डिप्टी सीएम पद की शपथ ली.

एनसीपी की महाराष्ट्र यूनिट के अध्यक्ष जयंत पाटिल का कहना है कि कुछ विधायक उनके संपर्क में हैं. उन्होंने कहा कि बगावत करने वाले विधायकों पर कानूनी कार्रवाई की जाएगी. अभी 44 विधायक हमारे साथ हैं. आइए जानते हैं अजित पवार की बगावत के बाद महाराष्ट्र में नंबर गेम क्या रह गया है?

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2019 के चुनाव का नंबर गेम
साल 2019 में महाराष्ट्र के 288 सीटों के लिए 21 अक्टूबर को चुनाव हुए थे. एनडीए के पास 161 सीटें थीं, जिसमें से बीजेपी के पास 105 और शिवसेना के पास 56 विधायक थे. वहीं, यूपीए की बात करें तो उनके पास यह आंकड़ा 102 था, जिसमें कांग्रेस ने 44, एनसीपी ने 54, सपा ने 2, एसडब्ल्यूपी ने 1 और सीपीएम ने 1 दो सीटें जीती थीं. 

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शिवसेना ने छोड़ा बीजेपी का साथ
इसके बाद शिवसेना ने बीजेपी का साथ छोड़ दिया और एनसीपी-कांग्रेस के साथ मिलकर महाविकास अघाड़ी गठबंधन बना लिया. उद्धव ठाकरे गठबंधन सरकार में मुख्यमंत्री बनाए गए. बीजेपी विपक्ष में चली गई.

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शिवसेना में पड़ी फूट
इसके बाद शिवसेना में टूट होती है. एकनाथ शिंदे उद्धव ठाकरे से बगावत करके बीजेपी में शामिल हो गए. इस दौरान शिवसेना के 40 विधायक एकनाथ शिंदे के समर्थन में आ गए. 16 विधायक उद्धव ठाकरे के साथ रह गए. एकनाथ शिंदे ने बीजेपी के साथ मिलकर महाराष्ट्र में सरकार बना ली. इसके साथ ही एनडीए के विधायकों की संख्या बढ़कर 157 हो गई. 

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अब एनसीपी में टूट
रविवार 2 जुलाई को एनसीपी में टूट होती है. अजित पवार ने एनसीपी से बगावत करके बीजेपी-शिवसेना सरकार में शामिल हो गए. उन्होंने एनसीपी के 40 विधायकों के समर्थन का भी दावा किया है. 

2023 में मौजूदा सियासी समीकरण
अजित पवार की बगावत के बाद बीजेपी के पास 106 सीटें, शिवसेना के 44, शिवसेना (UBT) के 12, एनसीपी के पास 44, एनसीपी (अजित पवार) के पास 9, कांग्रेस के पास 44 और अन्य के पास 23 सीटें हैं.

संकट के बाद भी शरद पवार ने कई बार की वापसी
महाराष्ट्र के सियासी इतिहास को अगर देखें, को हम पाएंगे कि सत्ता में फूट और संकट के बाद भी शरद पवार हर बार वापसी करने में सफल रहे हैं. इसे ऐसे समझिए...

1978
- महाराष्ट्र में यशवंतराव चव्हाण (कांग्रेस-U) और वसंतदादा पाटिल की सरकार थी.
- शरद पवार ने कांग्रेस-U छोड़ी और जनता पार्टी की मदद से सरकार बनाई.
- 38 साल की उम्र में शरद पवार मुख्यमंत्री बने.

1999
- कांग्रेस छोड़ संगमा, तारिक़ अनवर के साथ पवार ने NCP बनाई.
- विधानसभा चुनाव बाद कांग्रेस के साथ मिलकर सरकार बनाई.
- विलासराव देखमुख मुख्यमंत्री बने.

2019
- बीजेपी-शिवसेना गठबंधन का मजबूत गठबंधन था.
- पवार के नेतृत्व में कांग्रेस से ज़्यादा सीट लेकर NCP उभरी.
- अजित पवार ने बगावत की.
- शरद पवार ने महाविकास अघाड़ी का गठन किया.
- उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री बने.

2023
- अजित पवार ने फिर से बगावत की.
- NCP में फिर टूट हुई.
- शरद पवार ने सतारा की रैली में किया नई शुरुआत का ऐलान.

अजित पवार और शरद पवार के बीच 2004 में शुरू हुई थी अनबन
बता दें कि अजित और शरद पवार के बीच की अनबन 2004 में शुरू हुई थी. इस साल हुए विधानसभा चुनाव में एनसीपी सबसे बड़ी पार्टी बनी. तब पार्टी ने मुख्यमंत्री बनने का मौका गवां दिया था. उस समय अजित पवार ने कहा था कि 2004 में मुख्यमंत्री का पद छोड़ना सबसे बड़ी गलती थी.

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