महाराष्ट्र-कर्नाटक बेलगावी सीमा विवाद मामले में सुप्रीम कोर्ट में फिर एक और जज ने सुनवाई से खुद को अलग कर लिया है. जस्टिस अरविंद कुमार ने इस मामले की सुनवाई से खुद को अलग किया है. मामले को बेंच के गठन के लिए सीजेआई को भेजा गया है. ऐसे में इस मामले में सुनवाई में और देरी होगी. बता दें कि अभी तक इस मामले में चार जज सुनवाई से अलग हो चुके हैं. इनमें जस्टिस एस अब्दुल नजीर, जस्टिस मोहन एम शांतनागौदर, जस्टिस बीवी नागरत्ना और अब जस्टिस अरविंद कुमार शामिल हैं. ये सभी कर्नाटक से ही हैं. अगले महीने मई में कर्नाटक विधानसभा का चुनाव भी होना है.
इस मामले पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को फटकार लगाई है. कोर्ट ने कहा, 'सबसे महत्वपूर्ण पहलू, जिस पर विचार किया जाना आवश्यक है; वह है कि पर्यावरणीय पहलुओं पर राज्य सरकार द्वारा विवेक का प्रयोग नहीं किया गया और अधिग्रहीत भूमि से दो नदियां पार होती हैं. यह विवादित नहीं है कि प्रश्नगत भूमि से दो नदियां 'नुआनाई' और 'नाला' बह रही हैं, जिन्हें राज्य सरकार द्वारा अधिग्रहित किया गया था.' अदालत ने सवाल किया कि नदियों आदि का रखरखाव लाभार्थी कंपनी को कैसे सौंपा जा सकता है.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर विचाराधीन भूमि का लाभार्थी कंपनी द्वारा अधिग्रहण जारी रखा जाता है, तो नदियों का नियंत्रण उक्त निजी कंपनी के पास होगा. और ये सार्वजनिक विश्वास के सिद्धांत का उल्लंघन होगा. यहां तक कि लाभार्थी कंपनी को ऊपर की दो नदियों के प्रवाह को बनाए रखने की जरूरत भी बड़े पैमाने पर इलाके के निवासियों को प्रभावित कर सकती हैं.
दरअसल, महाराष्ट्र द्वारा राज्य पुनर्गठन अधिनियम के खिलाफ दाखिल याचिका 2004 से लंबित है. 1956 में जब इन दो राज्यों का पुनर्गठन किया गया, उस समय कुछ जिले कर्नाटक राज्य में आ गए. इसके पहले यह क्षेत्र बॉम्बे जो अब महाराष्ट्र में है, उसके अंतर्गत आते थे. वहीं, पहले केंद्र सरकार ने इस मामले को सुलझाने के लिए सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज की अध्यक्षता में एक कमेटी भी बनाई थी. बाद में मामला सुप्रीम कोर्ट में है, जो फिलहाल लंबित है.
भारत में सबसे बड़े अंतर-राज्यीय सीमा विवादों में से एक महाराष्ट्र और कर्नाटक राज्यों के बीच में बेलगाम जिला है. इसके अलावा खानापुर, निप्पानी, नंदगाड और कारवार के क्षेत्र को लेकर भी दोनों राज्यों में विवाद है. जिसमें एक बड़ी आबादी मराठी और कन्नड़ भाषा बोलती है और लंबे समय से यह क्षेत्र विवाद का केंद्र रहा है. फिलहाल कर्नाटक के बेलगावी इलाके को लेकर दोनों राज्यों के बीच विवाद काफी बढ़ चुका है.
इस विवाद की शुरुआत 1956 में हुई थी. 1956 में राज्य पुनर्गठन एक्ट पारित किया गया था. इसके जरिए देश को 14 राज्यों और 6 केंद्र शासित प्रदेशों में बांटा गया था. दिसंबर 1953 में फजल अली की अध्यक्षता में एक तीन सदस्यीय राज्य पुनर्गठन आयोग बनाया गया था.
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