महाराष्ट्र सरकार ने SC में दाखिल किया हलफनामा, कहा- परमबीर सिंह को व्हिसलब्लोअर नहीं माना जा सकता

महाराष्ट्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया है, जिसमें कहा है कि मुंबई पुलिस के पूर्व आयुक्त परमबीर सिंह को कानून एक व्हिसलब्लोअर नहीं मान सकता है.

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महाराष्ट्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में किया हलफनामा दाखिल, कहा- परमबीर सिंह व्हिसलब्लोअर नहीं
नई दिल्ली:

महाराष्ट्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया है, जिसमें कहा है कि मुंबई पुलिस के पूर्व आयुक्त परमबीर सिंह को कानून एक व्हिसलब्लोअर नहीं मान सकता है. सरकार ने सिंह की याचिका को खारिज करने की मांग भी की है. हलफनामे में महाराष्ट्र गृह विभाग के संयुक्त सचिव वेंकटेश माधव ने कहा है कि याचिकाकर्ता (परमबीर सिंह) को व्हिसलब्लोअर नहीं माना जा सकता है. याचिकाकर्ता के 20 मार्च 2021 के पत्र से साफ होता है कि उन्होंने कथित भ्रष्टाचार के जो मामले बताए वो मार्च से कुछ महीने पहले हुए थे. लेकिन उन्होंने ये आरोप 20 मार्च को लगाए, अपने ट्रांसफर के तीन दिन बाद. ऐसे में उनका पत्र जनहित या वास्तविक उद्देश्य के लिए नहीं था. इसलिए इस बात से इनकार किया जाता है कि याचिकाकर्ता एक व्हिलसब्लोअर है.

महाराष्ट्र सरकार ने कहा कि हाल ही में निलंबित किए गए परमबीर सिंह इस याचिका के जरिए अपने खिलाफ लंबित आपराधिक मामलों की जांच को रोकना चाहते हैं. क्योंकि सिंह ने पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख के खिलाफ कथित भ्रष्टाचार के बारे में अपने ट्रांसफर के बाद जानकारी दी. सिंह के खिलाफ आपराधिक मामलों में हो रही जांच में बाधा नहीं पहुंचानी चाहिए. परमबीर सिंह को अपने खिलाफ विभागीय जांच के खिलाफ CAT जाना चाहिए.

समझौता करने का दबाव नहीं बनाया-  महाराष्ट्र डी.जी.पी

वहीं महाराष्ट्र डी.जी.पी संजय पांडे ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर कर अपने ऊपर लगाए गए आरोपों को गलत बताया है. संजय पांडे ने लिखा है कि उन्होंने परमबीर सिंह पर राज्य सरकार से समझौता करने का कोई दबाव नहीं बनाया. खुद परमबीर सिंह ने उनसे संपर्क कर कहा था कि वो बहुत ही परेशान हैं और मामले को खत्म करना चाहते हैं और इसके लिए मदद की मांग की थी. तब मैंने उनसे बात की थी. ना तो मुझे सरकार की तरफ से मामला खत्म करवाने का कोई निर्देश था और नहीं मैंने खुद कोई कोशिश की. परमबीर सिंह ने पूरे प्रकरण को गलत तरह से पेश कर उसको अपने फायदे के लिए इस्तेमाल किया है. 

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गौरतलब है कि जस्टिस एसके कौल की अगुवाई वाली सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने 22 नवंबर को महाराष्ट्र पुलिस को परमबीर सिंह को उनके खिलाफ दर्ज आपराधिक मामलों में गिरफ्तार न करने का निर्देश देते हुए बड़ी राहत दी थी. पीठ ने हैरानी जताई थी कि क्या पुलिस अधिकारियों और वसूली करने वालों के खिलाफ मामला दर्ज करने के लिए उनका पीछा किया जा रहा है. सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख और परम बीर सिंह के बीच चल रही लड़ाई पर चिंता जताई थी और कहा था कि हमें तस्वीर बहुत परेशान करने वाली लगती है. महाराष्ट्र के पूर्व गृह मंत्री और मुंबई के पूर्व पुलिस प्रमुख के बीच लड़ाई में मामला "जिज्ञासु और जिज्ञासु" होता जा रहा है. हमें ये बहुत परेशान करने वाला लगता है. हैरानी है कि एक आम आदमी का क्या होगा.

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परमबीर सिंह की जान को है खतरा

सुनवाई के दौरान परमबीर के वकील ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह भारत में ही हैं. लेकिन जान के खतरे की वजह से छिपे हैं. वकील ने बताया कि परमबीर सिंह पूरी तरह से देश में ही हैं. वो फरार नहीं होना चाहते. जैसे ही वह महाराष्ट्र टच करेंगे उनको पुलिस से खतरा होगा. 

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जस्टिस एसके कौल ने कहा था कि अगर मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त कहते हैं कि उन्हें मुंबई पुलिस से खतरा है तो ये किस तरह का संदेश भेजता है? परमबीर के वकील ने कहा था कि सटोरिये और अन्य लोग अवैध गतिविधियों में लिप्त हैं. जिन्होंने उनके खिलाफ FIR दर्ज की है. इसपर जस्टिस एसके कौल ने कहा था कि आप पूर्व गृह मंत्री के संपर्क में थे. परमबीर के वकील ने कहा कि मुझे (परमबीर) अपने जूनियरों से पता चला कि गृह मंत्री जबरन वसूली की मांग कर रहे हैं. तो मैंने महाराष्ट्र के सीएम को लिखा और कार्रवाई की मांग की. मैंने सुप्रीम कोर्ट से भी संपर्क किया और सीबीआई जांच की मांग की और कहा कि मुझे मेरे पद से हटा दिया गया है. मुझे हाईकोर्ट जाने को कहा गया और कहा गया कि मेरा मामला सीबीआई के पास जाना चाहिए. हाईकोर्ट ने मेरी याचिका को भी मंजूर कर लिया. मार्च में DGP ने मुझसे अपनी चिट्ठी वापस लेने को कहा उन्होंने मुझसे गृह मंत्री के साथ शांति स्थापित करने को कहा. मैंने वो चिट्ठी सीबीआई को भेजी और सीबीआई ने देशमुख के खिलाफ मामला दर्ज किया. 

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मुंबई पुलिस के पूर्व कमिश्नर परमबीर सिंह ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर संरक्षण की मांग की है. पिछली सुनवाई में  कोर्ट ने कहा था कि पूर्व  पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह को फिलहाल संरक्षण नहीं मिलेगा, जब तक ये बताया नहीं जाएगा कि वो कहां हैं?  क्या आप देश में हैं? देश से बाहर हैं? जस्टिस संजय किशन कौल ने कहा कि आप किसी जांच में शामिल नहीं हुए हैं. आप सुरक्षा आदेश मांग रहे हैं. हमारा शक गलत हो सकता है, लेकिन अगर आप कहीं विदेश में हैं और सुप्रीम कोर्ट के आदेश का इंतजार कर रहे हैं तो हम इसे कैसे दे सकते हैं? सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 22 नवंबर को बताएं कि परमबीर कहां हैं. इस पूरे मामले पर परमबीर की ओर से कहा गया कि अगर मुझे सांस लेने की इजाजत मिले तो मैं गड्ढे से बाहर आ जाऊंगा.

इससे पहले मुंबई की कोर्ट ने परमबीर सिंह को भगोड़ा क्रिमिनल घोषित करने की अनुमति दे दी थी. जिसके बाद अब मुंबई पुलिस उन्हें वांछित आरोपी घोषित कर सकती है और मीडिया सहित सभी संभावित स्थानों पर भगोड़ा घोषित करने की प्रक्रिया शुरू कर सकती है. जानकारी के मुताबिक यदि वो 30 दिनों में कानून के सामने नहीं आते हैं, तो मुंबई पुलिस उनकी संपत्तियों को कुर्क करने की प्रक्रिया शुरू कर सकेगी.

बता दें कि गत 22 जुलाई को मुंबई के मरीन ड्राइव पुलिस स्टेशन ने परमबीर सिंह, पांच अन्य पुलिसकर्मियों और दो अन्य लोगों के खिलाफ एक बिल्डर से कथित तौर पर 15 करोड़ रुपये मांगने के आरोप में केस दर्ज किया था. आरोप है कि आरोपियों ने एक-दूसरे की मिलीभगत से शिकायतकर्ता के होटल और बार के खिलाफ कार्रवाई का डर दिखाकर 11.92 लाख रुपये की उगाही की थी. इस मामले की जांच क्राइम ब्रांच कर रही है. उनके खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी होने के बाद भी उनका कोई अतापता नहीं है. 

अनिल देशमुख पर लगाए थे आरोप

परमबीर सिंह ने राज्य के पूर्व गृहमंत्री अनिल देशमुख पर भ्रष्टाचार और जबरन वसूली का आरोप लगाया था. मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को लिखे पत्र में उन्होंने देशमुख पर हस्तक्षेप करने और हर महीने 100 करोड़ रुपये तक की जबरन वसूली करने के लिए पुलिस का उपयोग करने का आरोप लगाया था. उन्होंने मुकेश अंबानी बम मामले में जांच धीमी होने पर पद से हटाए जाने के कुछ दिनों बाद ये पत्र लिखा था. 
 

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