चुनाव लड़ने के लिए पैसा नहीं जिगरा... ये हैं मुंबई के घाटकोपर के सबसे गरीब पत्रकार उम्मीदवार

Ghatkopar Poor Candidate: नित्यानंद ने कहा कि ये मिथ है कि चुनाव लड़ने के लिए पैसा लगता है.चुनाव के लिए तो जिगरा लगता है.वो जिगरा उनको लोगों के अटूट प्यार से मिला है.

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घाटकोपर के सबसे गरीब और पत्रकार उम्मीदवार से मिलिए.

मुंबई:

महाराष्ट्र में 20 नवंबर को विधानसभा चुनाव (Maharashttra Assembly Elections 2024) होना है. चुनाव लड़ रहे 7 हजार से ज्यादा उम्मीदवारों में घाटकोपर पूर्व से बीजेपी के पराग शाह सबसे अमीर उम्मीदवार हैं. लेकिन उसी घाटकोपर पूर्व से एक गरीब पत्रकार भी चुनावी मैदान में है, नाम है एडवोकेट नित्यानंद रामजतन शर्मा. नित्यानंद शर्मा से जब पूछा गया कि लोग आखिर एक निर्दलीय उम्मीदवार को क्यों वोट देंगे तो इस पर उनका जवाब सुनिए.

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 इन पांच मुद्दों पर चुनाव लड़ रहे नित्यानांद

  • घाटकोपर ईस्ट में रमाबाई कामराज नगर में डंपिंग की समस्या
  • इलाके में एक भी डिग्री कॉलेज नहीं है
  • पंत नगर, गारोड़िया नगर और रश्मिनगर में ट्रैफिक बड़ी समस्या
  • पार्किंग की भी बहुत किल्लत है
  • नो डोनेशन, नो एडमिशन बड़ा मुद्दा

नित्यानंद ने बताया कि वह पांच मुद्दों को लेकर जनता के बीच जाना चाहते हैं. पहला मुद्दा घाटकोपर ईस्ट में रमाबाई कामराज नगर में डंपिंग की समस्या है. इस क्षेत्र में डंपिंग की वजह से टीबी मरीज बढ़ते जा रहे हैं. इस इलाके में एक भी डिग्री कॉलेज नहीं है.घाटकोपर के ही पंत नगर, गारोड़िया नगर और रश्मिनगर में ट्रैफिक बड़ी समस्या है. यहां पार्किंग की भी बहुत किल्लत है. उनका तीसरा मुद्दा नो डोनेशन, नो एडमिशन है.

कोई नित्यानंद शर्मा पर भरोसा क्यों करे?

नित्यानंद ने कहा कि जितने भी लोग चुनाव लड़ रहे हैं उनमें वह सबसे पढ़े-लिखे उम्मीदवार हैं.उन्होंने कहा कि भले ही वह श्रीमंत नहीं लेकिन शिक्षित जरूर हैं.लेजिस्लेटिव एग्जीक्यूटिव ज्युडिशियरी क्या होती है और फंग्शनिंग ऑफ वर्क क्या होता है उनको अच्छे से पता है. वह 14 सालों तक पत्रकार रहे हैं और अभी एडवोकेट भी हैं. कैसे काम होता है और कैसे पेपर वर्क होता है, ये उनको अच्छे से पता है. वह जनता के बीच में आसानी से उपलब्ध हैं. वह दूसरे नेताओं की तरह नॉट रीचेबल नहीं हैं.घाटकोपर ईस्ट में लोग उनको पत्रकार के नाम से भी बुलाते हैं.

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एक नया नेता क्यों जीतेगा?

नित्यानंद ने कहा कि चुनाव का दौर है. लोग उनका किस तरह से स्वागत कर रहे हैं, यह देखना चाहिए. इससे पता चलता है कि उनको जनता किस कदर पसंद करती है. उनका चुनाव चिन्ह स्लेट है. उनको लोगों का भरपूर प्यार मिल रहा है. पहले वह भी पत्रकार के तौर पर जनता के मुद्दे उठाते थे. लोगों को लगता है कि अगर उनको एक मौका दिया जाए तो वह जरूर अच्छा करेंगे. 

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 नित्यानंद पर क्यों भरोसा करें लोग

नित्यानंद ने कहा कि वह जनता के बीच जाकर उनके मुद्दे उठा रहे हैं, इससे लोगों में उनको लेकर विश्वास बढ़ा है.वह युवा हैं और आसानी से उपलब्ध हैं. इसलिए लोग उन पर विश्वास जता रहे हैं.

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खाली जेब कैसे लड़ेंगे चुनाव?

नित्यानंद ने कहा कि ये मिथ है कि चुनाव लड़ने के लिए पैसा लगता है.चुनाव के लिए तो जिगरा लगता है.वो जिगरा उनके पास है.ये हिम्मत लोगों के अटूट प्यार से मिलती है. जब वह लोगों के बीच जाते हैं और लोग उनको गले लगाते हैं तो वह हिम्मत खुद मिल जाती है.

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'मैं न भाई का, न ताई का'

महायुति और महाविकास अघाड़ी में अन्य दल हैं लेकिन नित्यानंद के साथ कौन है, इस सवाल पर नित्यानंद ने कहा कि उनको कभी भाई तो कभी ताई का उम्मीदवार कहा गया. लेकिन वह तो माता रमाबाई के हैं. उन्होंने कहा कि 'कोई भी लक्ष्य बड़ा नहीं, जीता वही जो डरा नहीं'. उनका नारा है न धर्मवर, न जातिवर, वोट करो पार्टीवर. वह किसी एक धर्म और एक समाज के नहीं बल्कि सबके हैं. यहां 2 लाख 40 हजार वोटर्स हैं, उनको सभी को साथ लेकर चलना है. वह युवा चेहरा हैं. लोगों में उनमें एक उम्मीद दिखती है.