मदुरै-तूतीकोरिन हाईवे टोल वसूली केस: सुप्रीम कोर्ट ने मद्रास हाई कोर्ट के आदेश पर लगाई रोक

NHAI की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एन वेंकटरमन पेश हुए और हाई कोर्ट के आदेश पर रोक लगाने का अनुरोध किया. दूसरे पक्ष की ओर से पेश वरिष्ठ वकील पी विल्सन ने रोक लगाने का विरोध करते हुए कहा कि टोल वसूली दिनदहाड़े लूट है, क्योंकि हाईवे की स्थिति संतोषजनक नहीं है.

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हम टोल का भुगतान करते हैं, लेकिन हम सड़क का आनंद नहीं ले पाते यह दिनदहाड़े लूट...
नई दिल्‍ली:

सुप्रीम कोर्ट ने मद्रास हाई कोर्ट के उस आदेश पर रोक लगा दी है, जिसमें मदुरै-तूतीकोरिन हाईवे पर टोल वसूली पर तब तक रोक लगाई गई थी, जब तक कि सड़क की मरम्मत नहीं हो जाती और उसे अच्छी स्थिति में नहीं रखा जाता. जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा और जस्टिस मनमोहन की पीठ ने हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) द्वारा दायर याचिका पर नोटिस जारी करते हुए अंतरिम आदेश पारित किया. 

NHAI की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एन वेंकटरमन पेश हुए और हाई कोर्ट के आदेश पर रोक लगाने का अनुरोध किया. दूसरे पक्ष की ओर से पेश वरिष्ठ वकील पी विल्सन ने रोक लगाने का विरोध करते हुए कहा कि टोल वसूली दिनदहाड़े लूट है, क्योंकि हाईवे की स्थिति संतोषजनक नहीं है. 

हालांकि, पीठ ने कहा कि हाई कोर्ट में रिट याचिकाकर्ता ने टोल वसूली के खिलाफ कोई निर्देश नहीं मांगा था. विल्सन ने कहा कि अन्य याचिकाओं में NHAI ने सड़क की मरम्मत करने का वादा दिया था, जो नहीं किया गया. सड़क उपयोगकर्ताओं की हर दिन की परेशानी यह है कि हम टोल का भुगतान करते हैं, लेकिन हम सड़क का आनंद नहीं ले पाते यह दिनदहाड़े लूट है. 

लेकिन ASG ने इसका खंडन करते हुए कहा कि 25,000 से अधिक उपयोगकर्ता प्रतिदिन सड़क का उपयोग कर रहे हैं. जब विल्सन ने फिर से रोक दिए जाने के खिलाफ पीठ को मनाने की कोशिश की, तो पीठ ने इनकार कर दिया. पीठ ने उनसे जवाबी हलफनामा दाखिल करने को कहा और साथ ही कहा कि अदालत बाद में मामले पर विस्तार से विचार करेगी.  

जस्टिस मनमोहन ने कहा कि उन्हें अभी वसूलने दें, फिर हम देखेंगे. दरअसल, हाई कोर्ट ने 3 जून को आदेश पारित करते हुए रेखांकित किया कि भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) का दायित्व है कि वह राजमार्गों का उचित रखरखाव करे, जिसके तहत वे ऐसे उपयोगकर्ताओं से टोल शुल्क वसूल सकते हैं. 

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