मध्यप्रदेश सरकार भारी कर्ज में डूबी है, साथ ही सरकार के कई संस्थानों पर भी संकट खड़ा हो गया है.सरकार ने विधानसभा में माना है कि नागरिक आपूर्ति निगम (नान) पर पुराने कर्जों से बड़ी मुसीबत आई है.सरकार ने स्वीकार किया कि नान का अब तक बैंकों से लिया गया कर्ज ₹62,944.71 करोड़ है. इस कर्ज पर रोज़ाना करीब ₹14.17 करोड़ ब्याज देय होता है. विधायक सुशील कुमार तिवारी के सवाल पर खाद्य मंत्री गोविंद सिंह राजपूत ने सदन में ये जानकारी दी.जानकार मानते हैं कि इस संस्था की वित्तीय अस्थिरता,भंडारण-विफलता और किसानों व गरीब उपभोक्ताओं पर प्रभाव के सवालों के बीच सरकार की नीति और प्रबंधन पर गंभीर संदेह खड़े हो गए हैं.
सरकार का कहना है कि ब्याज भुगतान नियमित हो रहा है लेकिन यह स्वीकार करना कि “यह ऋण भार सामाजिक योजनाओं MSP पर खरीदी और विकेंद्रीकृत उपार्जन प्रसंस्करण व्यवस्था” के कारण हुआ, साफ संकेत है कि पुरानी व्यवस्था अब बोझ बन चुकी है.हालांकि वित्तीय संकट के सवाल पर खाद्य मंत्री ने कहा कि जी नहीं, कुप्रबंधन के कारण वित्तीय संकट नहीं हुआ है. संकट के लिए “कौन जिम्मेदार” इस पर भी सरकार ने स्पष्ट जवाब नहीं दिया और कहा कि प्रश्न उपस्थित नहीं होता है.
वित्तीय अस्थिरता के साथ ही भंडारण प्रणाली की विफलता भी साफ हो रही है. रीवा जिले के सिरमौर विधानसभा क्षेत्र के उमरी वेयरहाउस में पिछले एक साल से 939.044 मीट्रिक टन धान सड़ा पड़ा है,जिसकी बदबू पूरे इलाके में फैल रही है। विधायक दिव्यराज सिंह ने पूछा कि क्या वेयरहाउस में एक साल से खराब धान पड़ा है? इसे हटाया क्यों नहीं गया? इससे महामारी फैली तो जिम्मेदारी किसकी होगी? मंत्री गोविंद सिंह राजपूत ने स्वीकार किया कि वर्ष 2020–21 में खरीदी गई धान की मिलिंग फरवरी 2022 तक होनी थी.
समय पर मिलिंग नहीं हो सक. केंद्र सरकार ने समय बढ़ाने की अनुमति भी नहीं दी. इसलिए धान को ई-ऑक्शन के माध्यम से बेचने का फैसला लिया गया. ई-ऑक्शन में बेची गई धान, लेकिन कंपनी ने नहीं उठाया पूरा माल. 3682 MT धान का लॉट 279 जय अंबे एग्रोटेक ने 935 रुपये/क्विंटल में खरीदा.कंपनी को 12 जुलाई 2025 तक पूरा धान उठाना था. लेकिन उसने केवल 2742.956 MT धान उठाया। 939.044 MT धान अब भी वेयरहाउस में सड़ा पड़ा है.7 नवंबर 2025 को कंपनी को नोटिस दिया गया, तुरंत पूरा धान उठाओ. राज्य सरकार ने इस मामले की जांच के लिए टीम भी गठित कर दी है.
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