मध्य प्रदेश : शराब फैक्ट्री में बाल मजदूरों की उंगलियां गल गईं, हाथों में छाले; 60 बच्चों को किया गया रेस्क्यू

एनसीपीसीआर के अध्यक्ष प्रियांक कानूनगो ने कहा, "इन बच्चों को जिस स्थिति में पाया गया, वह भयावह है. उनके हाथ गल गए हैं और फिर भी इसके लिए जिम्मेदार लोगों में कोई पछतावा नहीं है."

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भोपाल:

मध्य प्रदेश के रायसेन जिले में बाल श्रमिकों (Child labors) के शोषण का एक भयावह मामला सामने आया है. यहां बाल अधिकार आयोग (Child rights commission) द्वारा किए गए औचक निरीक्षण के दौरान 60 से अधिक बच्चे शराब फैक्ट्री में काम करते हुए पाए गए. शिकायतें मिलने के बाद राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) ने सोम डिस्टिलरी का दौरा किया था. टीम ने पाया कि 20 लड़कियों सहित 60 से अधिक बच्चे खतरनाक हालात में काम कर रहे थे.

कई बच्चे रसायनों के कारण भयानक जलन से पीड़ित थे. एनसीपीसीआर के अध्यक्ष प्रियांक कानूनगो ने कहा, "यह बच्चे जिस हालत में मिले हैं, वह भयावह है. उनके हाथ गल गए हैं, उनकी त्वचा छिल गई है, और फिर भी इसके लिए जिम्मेदार लोगों को कोई पछतावा नहीं है."

उन्होंने कहा, "यह मामला न केवल बाल श्रम बल्कि मानव तस्करी से भी जुड़ा है. स्थानीय अधिकारियों की मिलीभगत से फैक्ट्री मालिक को यह शोषण जारी रखने की छूट मिल गई है." 

मुख्यमंत्री ने की तत्काल कार्रवाई
मुख्यमंत्री मोहन यादव ने इस मामले में तत्काल कार्रवाई की है. जिला आबकारी अधिकारी और तीन सब इंस्पेक्टर समेत कई अधिकारियों को निलंबित कर दिया गया है. धारा 75, 79 और बंधुआ मजदूरी अधिनियम 374 के तहत मामला दर्ज किया गया है.

मुख्यमंत्री मोहन यादव ने ‘एक्स' पर एक पोस्ट में कहा कि यह एक गंभीर मामला है.

मोहन यादव ने लिखा, ‘‘श्रम, आबकारी और पुलिस विभाग से विस्तृत जानकारी ली तथा उचित कार्रवाई करने के निर्देश दिए गए हैं. दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी.''

सहायक पुलिस अधीक्षक (एएसपी) कमलेश कुमार ने कहा, "आज फैक्ट्री के खिलाफ कार्रवाई की गई. बयान दर्ज किए जा रहे हैं और जांच जारी है. बाल कल्याण समिति आगे की कार्रवाई करेगी." 

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बच्चों से 12 से 14 घंटे काम कराया जा रहा था
जिन बच्चों के हाथों में किताबें  होनी चाहिए थीं, उनके हाथों में शराब की बोतलें और केमिकल पकड़ा दिए गए. शिकायत मिली थी कि फैक्ट्री में बच्चों से 12 से 14 घंटे काम कराया जा रहा है. सूत्रों ने बताया कि, लोगों की नजरों में आने से बचने के लिए बच्चों को स्कूल बसों में फैक्ट्री ले जाया जाता था.

इस मामले की जांच में लापरवाही और मिलीभगत की चौंकाने वाली तस्वीरें सामने आई हैं. NDTV के पास निलंबित आबकारी अधिकारी कन्हैयालाल अतुलकर द्वारा लिखा गया एक पत्र है, जिसमें उन्होंने शर्मनाक तरीके से दावा किया है कि बच्चे केवल अपने माता-पिता को भोजन और दवाइयां पहुंचा रहे थे. इस बात से लोगों में आक्रोश फैल गया है, क्योंकि यह साफ तौर पर मामले की गंभीरता को कम करने की कोशिश है.

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गरीब परिवारों की दुर्दशा उजागर
इस घटना ने गरीब परिवारों की दुर्दशा को उजागर किया है, जो अपने बच्चों को खतरनाक स्थितियों में काम करने के लिए भेजने को मजबूर हैं. इससे नियामक निकायों की प्रभाव और आबकारी विभाग के भीतर भ्रष्टाचार पर भी सवाल उठे हैं.

बीजेपी प्रवक्ता अजय सिंह यादव ने कहा कि सरकार इस मुद्दे पर कार्रवाई करने के लिए प्रतिबद्ध है. उन्होंने कहा कि, "सरकार ने तत्काल कार्रवाई की है. अधिकारियों को दंडित किया गया है, और आगे भी सख्त कदम उठाए जाएंगे."

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युवा कांग्रेस अध्यक्ष मितेंद्र सिंह ने प्रशासन पर बच्चों की सुरक्षा में विफल रहने का आरोप लगाया है. उन्होंने कहा कि, "जिन बच्चों के हाथों में किताबें होनी चाहिए, वे शराब की बोतलें कैसे पकड़ सकते हैं? यह भ्रष्टाचार और लापरवाही की गहराई को दर्शाता है. हमारे राज्य के भविष्य से समझौता किया जा रहा है." 

आबकारी विभाग आंखें बंद किए रहा 
यह शराब फैक्ट्री आबकारी विभाग की देखरेख में संचालित हो रही है. आबकारी अधिकारी का कार्यालय भी इसी परिसर में मौजूद है. फैक्ट्री में बच्चों से काम कराए जाने पर विभाग ने कोई कार्रवाई नहीं की. पुलिस के रवैये पर भी सवाल उठ रहे हैं. कार्रवाई दोपहर में हुई, एफआईआर कई घंटों बाद देर रात में दर्ज हुई, वह भी मामूली धाराओं में.

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इस मामले में प्रभारी जिला आबकारी अधिकारी कन्हैयालाल अतुलकर, तीन आबकारी उप निरीक्षक प्रीति शैलेंद्र उइके, शैफाली वर्मा और मुकेश कुमार को निलंबित किया गया है. श्रम निरीक्षक को भी सस्पेंड कर दिया गया है.

‘सोम डिस्टिलरीज एंड ब्रूअरीज' आईएसओ प्रमाणित कंपनियों का ग्रुप है जो बीयर, आईएमएफएल (भारत निर्मित विदेशी शराब) और आरटीडी पेय पदार्थ का उत्पादन एवं आपूर्ति करता है. सोम ग्रुप ऑफ कंपनीज के डायरेक्टर आलोक अरोड़ा हैं.

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