मध्य प्रदेश: बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि से परेशान हुए किसान, फसलों को हो रहा है भारी नुकसान

भोपाल के करीब बरखेड़ा नाथू में संतोष मालवीय के पास 10 एकड़ खेत है, आधे में गेंहू लगाया था. इनके खेत में लगा शरबती बाज़ार में 4000 प्रति क्विंटल तक बिकता है. लेकिन ओले-बरसात से अब इन्हें 2200-2500 मिलने की उम्मीद है.

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सिलवानी में फसल बर्बाद होने से एक किसान की सदमे से मौत हो गई.
भोपाल:

मध्यप्रदेश में बेमौसम बरसात फसलों पर आफत बनकर बरस रही है. ओलों की मार गेहूं, चना, सरसों की तैयार फसल पर पड़ी है.  बेमौसम बरसात से 20 से ज्यादा जिले प्रभावित हुए हैं और किसानों की फसलें बर्बाद हो गई हैं. सिलवानी में फसल बर्बाद होने से एक किसान की सदमे से मौत भी हो गई. ये दावा उसके परिजनों का है.

सिलवानी के पहरिया में 65 साल के हरप्रसाद लोधी ने 5 एकड़ में चना लगाया था. हरप्रसाद लोधी के बेटे तेजराम लोधी के अनुसार पिताजी को खेत में पड़े ओले की वीडियो दिखाई थी, वीडियो देख सदमे से उनकी मौत हो गई. तेजराम लोधी ने कहा कि 3-4 बजे ओलावृष्टि हुई. खेत का वीडियो बनाया और पिताजी को दिखाया. सदमे में आकर रात को 11-12 बजे उनका देहांत हो गया.

भोपाल के करीब बरखेड़ा नाथू में संतोष मालवीय के पास 10 एकड़ खेत है, आधे में गेंहू लगाया था. इनके खेत में लगा शरबती बाज़ार में 4000 प्रति क्विंटल तक बिकता है. लेकिन ओले-बरसात से अब इन्हें 2200-2500 मिलने की उम्मीद है. यानी इनको आधे से ज्यादा का नुकसान हुआ है.  संतोष मालवीय ने कहा कि नुकसान काफी हो गया है. फसल आड़ी हो गई है और मुंडके भी टूटकर नीचे गिर गई है. 

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किसान रवि सिंह रोले ने कहा कि फसल पूरी बर्बाद हो गई, सब किसानों की यही हालत है. पता नहीं भगवान ने क्या सोचा है शिवराज जी ने बोल दिया है. किसान घबराना मत... यहां कोई आया नहीं है.

दूसरी और मुख्यमंत्री ने आला अधिकारियों के साथ बैठक की है. बताया गया कि 6 से 8 मार्च के लगभग हुई बारिश के दौरान पहले फेस का सर्वे पूरा हो चुका है. 16 से 19 मार्च तक दूसरे फेस का सर्वे शुरू हो चुका है, 25 तक सर्वे पूरा हो जाएगा.  वहीं ऊर्जा मंत्री  प्रद्युम्न सिंह तोमर ने कहा कि हमारे नेता क्षेत्र में जा रहे हैं, कई जगह सर्वे हो गया है, कई जगह सर्वे हो रहा है. आप विश्वास रखेंगे.

कांग्रेस विधायक कुणाल चौधरी ने इस मामले में सरकार को घेरते हुए कहा कि होली के दिन ऐलान किया था. आजतक कोई लेटर नहीं पहुंचा. जो फसल बच गई थी वो पूरी चौपट हो गई, क्या किसान को 40,000 प्रति हैक्टेयर नहीं मिलना चाहिए. सदन में चर्चा करने से क्यों भाग रहे हो.

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