- MP के सरकारी स्कूलों में 22 प्रतिशत शिक्षक सरकारी कामों में लगे होने से बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है.
- आगर मालवा के खेड़ा माधोपुर स्कूल में 55 बच्चों को एक शिक्षक पढ़ा रहा है, जिससे पढ़ाई की गुणवत्ता गिर रही है.
- राज्य का स्कूल शिक्षा बजट 41 प्रतिशत बढ़ा है, फिर भी साक्षरता दर 76.7 से घटकर 75.2 प्रतिशत रह गई है.
मध्यप्रदेश के सरकारी स्कूलों में इन दिनों बच्चों की पढ़ाई सरकारी ड्यूटी की भेंट चढ़ रही है. सरकार ने भले ही शिक्षा का बजट 41 फीसदी तक बढ़ा दिया हो, लेकिन फिर भी साक्षरता दर सुधरने के बजाय लगातार घट रही है. हालात यह हैं कि राज्य के हजारों शिक्षक क्लास में बच्चों को पढ़ाने के बजाय घर-घर जाकर मतदाता सूचियां और सरकारी फाइलें चेक करने में लगे हैं. इस वजह से आगर मालवा जिले के स्कूल का क्या हाल है, खुद ही जान लीजिए.
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दो कमरों का स्कूल, 55 बच्चे, एक टीचर
आगर मालवा के खेड़ा माधोपुर गांव के स्कूल में बच्चों का भविष्य अंधकार में जा रहा है. क्यों कि इनको पढ़ाने वाले शिक्षकों की कमी जो है. मास्टरसाहब की ड्यूटी को एसआईआर में लगा दी गई. अब दो कमरों में चल रहे स्कूल में 55 बच्चों तो प़ाने के लिए सिर्फ़ एक ही शिक्षक है. आप खुद ही सोचिए कि 55 बच्चों को अकेला शिक्षक पढ़ा सकता है क्या. NDTV की ये ग्राउंड रिपोर्ट शिक्षा व्यवस्था पर बड़ा सवाल खड़ा करने वाली है.
मास्टर साहब तो SIR के काम में लगे हैं
55 बच्चों पर एक टीचर होने की वजह भी आपको विस्तार से बताते हैं. दरअसल स्कूल में पढ़ाने वाले दूसरे शिक्षक नवंबर से SIR में लगे हैं. नतीजा ये कि एक ही ब्लैकबोर्ड पर एक साथ तीन-तीन कक्षाओं को पढ़ाया जा रहा है. नतीजन पढ़ाई बुरी तरह प्रभावित हो रही है. ये सच्चाई सिर्फ खेड़ा माधोपुर गांव के स्कूल की ही नहीं है. राज्य के 92 हजार स्कूलों में 22% शिक्षक सरकारी कामों में लगाए गए हैं, जबकि बजट बढ़ने के बावजूद साक्षरता दर घट गई है. सवाल यही है जब शिक्षक ही क्लास में नहीं होंगे, तो शिक्षा सुधरेगी कैसे? हालांकि सरकार खुद कह रही है फिलहाल वब 76000 अतिथि शिक्षकों से काम चला रही है
एक ही शिक्षक पांच क्लास को पढ़ा रहा
खेड़ा माधोपुर गांव में 2 कमरों में पहली से पांचवी तक के 55 बच्चे पढ़ते हैं, फिलहाल इन सब बच्चों को हिन्दी,अंग्रेजी, विज्ञान, गणित, सभी विषय एक शिक्षक ही पढ़ा रहे हैं. क्यों कि दूसरे शिक्षक पर तो पहले घर-घर सर्वे की जिम्मेदारी थी. अब एसआईआर की दूसरी ज़िम्मेदारी उनको दे दी गई है. हालात ये है कि बोर्ड के एक हिस्से में शिक्षक चौथी क्लास को पढ़ाते हैं, तो दूसरे हिस्से में पांचवीं को पढ़ाते हैं. दूसरी क्लास में एक बोर्ड में तीन हिस्से बनाए गए हैं,. इस पर पहली, दूसरी और तीसरी क्लास को पढ़ाया जा रहा है.
शिक्षक ही नहीं छात्र भी परेशान
स्कूल में चल रही इस तरह की पढ़ाई से सिर्फ शिक्षक ही नहीं बल्कि छात्र भी परेशान हैं. छात्र राज ने कहा कि सर इधर आते हैं तो बच्चे उधर चिल्लाते हैं. इसकी वजह से हम पढ़ नहीं पा रहे हैं. सर जब उधर चले जाते हैं तो हमको क्या बताएंगे.
दरअसल 65000 बीएलएओ 4 नवंबर से घर-घर जाकर मतदाताओं की जानकारी जुटा रहे थे ,जिसमें बड़ी तादाद शिक्षक भी शामिल हैं. कई तो ऐसे शिक्षकों को इस काम में लगाया गया, जो उन स्कूलों में पढ़ाते हैं जहां एक ही शिक्षक तैनात हैं. कई अतिथि शिक्षकों की भी ड्यूटी लगा दी गई..
- बता दें कि मध्यप्रदेश के 92,071 स्कूलों में कुल 393210 शिक्षक है. लेकिन इनमें लगभग 22 फीसद को एसआईआर से लेकर दूसरी सरकारी कामों में लगाया गया है.
- स्कूल शिक्षा विभाग के लिए वर्ष 2021-22 का बजट 25,953 था जो 2025-26 में 36,582 करोड़ रुपए हो गया है, यानी लगभग 41 % की वृद्धि.
- लेकिन 2021-22 में साक्षरता दर 76.7 प्रतिशत थी जो 2023-24 में घटकर 75.2 रह गई, जबकि राष्ट्रीय औसत 80.9 प्रतिशत है.
- यहां 33 छात्रों पर 1 शिक्षक हैं, जबकि राष्ट्रीय स्तर पर 28 छात्रों पर 1 शिक्षक हैं. 12,210 स्कूल 1 शिक्षकों के बूते चल रहे हैं बजट सत्र में कांग्रेस ने सवाल पूछा था 70,000 शिक्षकों के पद खाली हैं.
शिक्षा विभाग में भ्रष्टाचार का आरोप
मध्य प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने कहा कि शिक्षा विभाग भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गया. शिक्षा की दर भी कम होती जा रही है. स्कूल जाने वाले बच्चों की शिक्षा कम होती जा रही है और बजट बढ़ता जा रहा है. लेकिन यह बजट कहां जा रहा है किसी को नहीं पता. उन्होंने कहा कि बच्चों की शिक्षा पर संकट मंडराता जा रहा है.
परीक्षा आने को हैं, कैसे होगी पढ़ाई?
बता दें कि बीएलओ की ड्यूटी में लगे शिक्षक 7 फरवरी 2026 को इस ड्यूटी से मुक्त होंगे, उसी दिन से राज्य में 12वीं की बोर्ड की परीक्षाएं शुरू हो रही हैं. 10वीं की परीक्षाएं 11 फरवरी से शुरू होंगी.
2016 में सरकार ने ही आदेश दिया था कि हाईस्कूल और हायर सेकेंडरी के शिक्षकों के अलावा गणित और विज्ञान पढ़ाने वाले शिक्षकों की चुनाव या दूसरे सरकारी कामों में ड्यूटी नहीं लगाई जाएगी. लेकिन हालात ये हैं कि जनगणना से लेकर मिड-डे मील और तमाम सरकार आयोजनों से वक्त मिले तो शिक्षक पढ़ा पाते हैं, नतीजा आपके सामने है साक्षरता दर में पूरे देश में राज्य नीचे से चौथे पायदान पर है.














