बच्चों के खिलाफ हिंसा: जब मासूम आंखों में ख़ौफ़ नज़र आने लगे....गीतकार प्रसून जोशी ने लिखी कविता

गुरुग्राम के रयान इंटरनेशनल स्कूल में मासूम की हत्या ने हर किसी को झकझोर कर रख दिया है.

बच्चों के खिलाफ हिंसा: जब मासूम आंखों में ख़ौफ़ नज़र आने लगे....गीतकार प्रसून जोशी ने लिखी कविता

प्रसून जोशी की फाइल तस्वीर

खास बातें

  • गुरुग्राम के स्कूल में बच्चे की हत्या से पूरा देश स्तब्ध
  • सोशल मीडिया पर लोग जाहिर कर रहे हैं अपना गुस्सा
  • गीतकार प्रसून जोशी ने फेसबुक पर पोस्ट की मार्मिक कविता
नई दिल्ली:

गुरुग्राम के रयान इंटरनेशनल स्कूल में मासूम की हत्या ने हर किसी को झकझोर कर रख दिया है. इस जघन्य हत्या से पूरा देश स्तब्ध है. हर अभिभावक यह प्रश्न पूछ रहा है कि अगर हमारे बच्चे स्कूल में सुरक्षित नहीं है, तो कहां सुरक्षित होंगे. बच्चों की सुरक्षा को लेकर सरकार भी सजग हुई है.

सोशल मीडिया पर लोग गुस्सा जाहिर कर रहे हैं. इस मामले में गीतकार प्रसून जोशी ने भी एक दिल को छूने वाली कविता लिखी है. उन्होंने बड़े ही मार्मिक अंदाज से समाज से सवाल किए हैं. उन्होंने अपनी कविता फेसबुक पर पोस्ट की है. कविता कुछ इस प्रकार है:


जब बचपन तुम्हारी गोद में आने से कतराने लगे,
जब माँ की कोख से झाँकती ज़िन्दगी,
बाहर आने से घबराने लगे,
समझो कुछ ग़लत है ।
जब तलवारें फूलों पर ज़ोर आज़माने लगें,
जब मासूम आँखों में ख़ौफ़ नज़र आने लगे,
समझो कुछ ग़लत है
जब ओस की बूँदों को हथेलियों पे नहीं,
हथियारों की नोंक पर थमना हो,
जब नन्हें-नन्हें तलुवों को आग से गुज़रना हो,
समझो कुछ ग़लत है
जब किलकारियाँ सहम जायें
जब तोतली बोलियाँ ख़ामोश हो जाएँ
समझो कुछ ग़लत है
कुछ नहीं बहुत कुछ ग़लत है
क्योंकि ज़ोर से बारिश होनी चाहिये थी
पूरी दुनिया में
हर जगह टपकने चाहिये थे आँसू
रोना चाहिये था ऊपरवाले को
आसमान से
फूट-फूट कर
शर्म से झुकनी चाहिये थीं इंसानी सभ्यता की गर्दनें
शोक नहीं सोच का वक़्त है
मातम नहीं सवालों का वक़्त है ।
अगर इसके बाद भी सर उठा कर खड़ा हो सकता है इंसान
तो समझो कुछ ग़लत है l
- #PrasoonJoshi | #ChildSafety


Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com