प्यार अंधा होता है, परिवार और समाज के लगाव से ज्यादा गहरा भी : अदालत

कर्नाटक हाईकोर्ट ने भागकर अपने प्रेमी से शादी करने वाली लड़की को पति के साथ रहने की अनुमति तो दे दी, लड़की के पिता की याचिका खारिज

विज्ञापन
Read Time: 24 mins
कर्नाटक हईकोर्ट ने घर से भागकर शादी करने वाली लड़की के पिता की याचिका खारिज कर दी (प्रतीकात्मक फोटो).
बेंगलुरु:

कर्नाटक हाईकोर्ट (Karnataka High Court) ने भागकर अपने प्रेमी से शादी करने वाली लड़की को पति के साथ रहने की अनुमति तो दे दी लेकिन साथ ही आगाह किया कि उसने अपने माता-पिता के साथ जो किया है, कल को उसके बच्चे भी उसके साथ वैसा ही व्यवहार कर सकते हैं. लड़की के पिता टीएल नागराजू ने अदालत में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर करते हुए कहा था कि उनकी बेटी निसर्ग इंजीनियरिंग की छात्रा है और अपने कॉलेज के छात्रावास से गायब हो गई है तथा निखिल उर्फ अभि नामक एक ड्राइवर उसे जबरन अपने साथ ले गया है.

निसर्ग तथा निखिल को न्यायमूर्ति बी वीरप्पा और न्यायमूर्ति केएस हेमालेखा की पीठ के समक्ष पेश किया गया. निसर्ग ने अदालत के सामने कहा कि वह 28 अप्रैल 2003 को पैदा हुई थी और उम्र के हिसाब से बालिग है. वह निखिल से प्यार करती है और अपनी मर्जी से उसके साथ गई थी. दोनों ने 13 मई को एक मंदिर में शादी की और तब से दोनों साथ-साथ रह रहे हैं. वह अपने पति के साथ रहना चाहती है और अपने अभिभावकों के पास वापस नहीं जाना चाहती.

दोनों का बयान दर्ज करते समय अदालत ने माता-पिता और उनकी बेटी दोनों को कुछ सलाह दी. पीठ ने अभिभावकों से कहा कि हमारे इतिहास में ऐसे उदाहरण हैं जब माता-पिता ने अपने बच्चों के लिए अपनी जान कुर्बान कर दी और बच्चों ने माता-पिता के लिए अपना जीवन बलिदान कर दिया.

Advertisement

पीठ ने कहा, ‘‘... अगर दोनों के बीच प्रेम और स्नेह है, तो परिवार में कोई विवाद नहीं हो सकता है. इसके साथ ही अपने अधिकारों की रक्षा के लिए बच्चों के माता-पिता के खिलाफ या अभिभावकों के बच्चों के खिलाफ अदालत जाने का कोई सवाल नहीं पैदा होता.''

Advertisement

पीठ ने अपने हालिया फैसले में कहा, 'वर्तमान मामले के अजीबोगरीब तथ्य और परिस्थितियां स्पष्ट करती हैं कि 'प्रेम अंधा होता है तथा माता-पिता, परिवार के सदस्यों और समाज के प्यार और स्नेह की तुलना में अधिक शक्तिशाली औजार होता है.'

Advertisement

अदालत ने निसर्ग को आगाह किया, ‘‘बच्चों को यह जानने का समय आ गया है कि जीवन में प्रतिक्रिया, प्रतिध्वनि और प्रतिबिंब शामिल हैं. वे आज अपने माता-पिता के साथ जो कर रहे हैं, कल उनके साथ भी वही होगा.'' पीठ ने इस क्रम में मनुस्मृति को भी उद्धृत किया.

Advertisement

हालांकि, अदालत ने निसर्ग के पिता की याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि कानून भले ही वैध विवाह की शर्तों को विनियमित कर सकता है, लेकिन 'जीवनसाथी चुनने में माता-पिता सहित समाज की कोई भूमिका नहीं है.''

यह भी पढ़ें -

* ""राष्ट्रपति चुनाव : विपक्ष की अहम बैठक से पहले ममता बनर्जी ने एनसीपी प्रमुख शरद पवार से की मुलाकात
* ""राष्ट्रपति चुनाव : साझा उम्मीदवार तय करने से पहले ही विपक्ष में दरार, ममता की बैठक में शामिल नहीं होंगे लेफ्ट दलों के शीर्ष नेता
* ""राष्ट्रपति चुनाव: BJP को घेरने की तैयारी, ममता बनर्जी की बुलाई गई विपक्षी बैठक में कल कांग्रेस भी लेगी हिस्सा

Featured Video Of The Day
Trump Tariff War: क्या भारत अब सस्ते iPhone का नया ठिकाना बनेगा? | Donald Trump
Topics mentioned in this article